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Dalha Pahad Akaltara: रहस्यमयी पहाड़ जहां माता की मूर्ति में नहीं है सिर, ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए सबसे खास जगह, जानिए दलहा पहाड़ के बारे में

Dalha Pahad Akaltara: दलहा पहाड़, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बसा एक ऐसा स्थान है, जो प्रकृति की गोद में समाया हुआ है। यह पहाड़ी न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और धार्मिक महत्व के कारण भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच खास जगह रखती है।

Dalha Pahad Akaltara: रहस्यमयी पहाड़ जहां माता की मूर्ति में नहीं है सिर, ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए सबसे खास जगह, जानिए दलहा पहाड़ के बारे में
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By Chirag Sahu

Dalha Pahad Akaltara: दलहा पहाड़, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बसा एक ऐसा स्थान है, जो प्रकृति की गोद में समाया हुआ है। यह पहाड़ी न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और धार्मिक महत्व के कारण भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच खास जगह रखती है। चाहे आप एक ट्रेकिंग प्रेमी हों या प्रकृति के सौंदर्य में खो जाना चाहते हों, दलहा पहाड़ आपको एक अविस्मरणीय अनुभव देता है।

दलहा पहाड़ की प्राकृतिक विशेषताएं

दलहा पहाड़ छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में अकलतरा गांव के निकट स्थित है। यह पहाड़ी लगभग 760 मीटर ऊंची है। जो इसे राज्य की सबसे ऊंची चोटियों में से एक बनाती है। चारों ओर फैले हरे-भरे जंगल, साल, सागौन और महुआ जैसे पेड़ों की छांव, और आसपास बिखरे खेतों का मनोरम दृश्य इस स्थान को खास बनाता है। यह क्षेत्र जैव-विविधता से भी समृद्ध है, जहां छोटे-मोटे जंगली जानवरो की प्रजातियां देखी जा सकती हैं।

एडवेंचर प्रेमियों के लिए खास स्थान

दलहा पहाड़ ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। ट्रेकिंग रास्ता लगभग 4-5 किलोमीटर लंबा है, यह रास्ता खड़ी ढलानों, घने जंगलों और पथरीले मार्गों से होकर गुजरता है, जो इसे रोमांचक बनाता है। शुरुआती ट्रेकर्स भी इस चढ़ाई को पूरा कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास अच्छे ट्रेकिंग जूते और सामान्य फिटनेस हो। चोटी तक पहुंचने में लगभग 2-3 घंटे लगते हैं, और रास्ते में आपको जंगल की शांति और पक्षियों की चहचहाहट से सुकून मिलता है।

दलहा पहाड़ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

दलहा पहाड़ केवल एक प्राकृतिक स्थल ही नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। पहाड़ी पर कई छोटे-बड़े मंदिर हैं, जो स्थानीय देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इसके अन्य नाम सिन्दुरगिरी / सिंधुलगिरी है। जनश्रुतिनुसार भगवती महासती का सिन्दुर इसी स्थल पर गिरा था। यहां आस-पास का क्षेत्र दलदली था इसलिए यह दलदला पहाड़ कहलाने लगा। यहां छोटी-छोटी पहाड़ियों के अनेक दल है, दलबद्ध होने के कारण भी इस पहाड़ को दलहा कहते है।

अन्य मंदिर

• नागेश्वर शिव मंदिर

• सिद्ध बाबा का आश्रम

• साथ ही यहां 5 तालाब और 3 गुफाएं भी है।

• भगवती विश्वेश्वरी मंदिर – इस मंदिर में माता की मूर्ति शीश विहीन है। विश्वेश्वरी देवी को स्थानीय लोग हिंगलाज माई के नाम से जानते हैं। लोग इसे सिन्दुर शक्ति पीठ के रूप में भी पुजते हैं।

• श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी– नागपंचमी के दिन स्थानीय लोग सर्प को दूध पिलाने के लिए यहां जाते हैं साथ ही मेले और कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता है।

क्यों है दलहा पहाड़ खास?

दलहा पहाड़ छत्तीसगढ़ के उन गिने-चुने स्थानों में से एक है, जो प्रकृति और संस्कृति का अनूठा मिश्रण पेश करता है। यह पहाड़ी ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए एक रोमांचक गंतव्य है।

दलहा पहाड़ जांजगीर चांपा रेलवे स्टेशन से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। राजधानी रायपुर से दलहा पहाड़ की दूरी 170 किलोमीटर है, जिसे बस या निजी वाहन से 3-4 घंटे में तय किया जा सकता है। यह न केवल आपको प्रकृति के करीब लाएगा, बल्कि आपको छत्तीसगढ़ की आत्मा से भी जोड़ेगा।

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