coolant freezing point kya hota hai: कूलेंट फ्रीजिंग पॉइंट क्या होता है? ठंड में अचानक गाड़ी बंद होने के पीछे यही है मुख्य कारण, टाइम रहते जरूर चेक कर लें ये सारी बातें!
coolant freezing point kya hota hai: जब भी हम ठंड के मौसम में गाड़ी चला रहे होते हैं तो कई बार इंजन अचानक बंद हो जाता है। इसकी एक खास वजह होती है जिसे कूलेंट फ्रीजिंग प्वाइंट कहते हैं। ऐसी समस्या तब सामने आती है जब हम अपनी गाड़ी की सर्विसिंग करवाते समय इंजन ऑयल, टायर या ब्रेक्स पर तो ध्यान देते हैं पर इस बहुत जरूरी चीज को नजर अंदाज कर देते हैं।

coolant freezing point kya hota hai: जब भी हम ठंड के मौसम में गाड़ी चला रहे होते हैं तो कई बार इंजन अचानक बंद हो जाता है। इसकी एक खास वजह होती है जिसे कूलेंट फ्रीजिंग प्वाइंट कहते हैं। ऐसी समस्या तब सामने आती है जब हम अपनी गाड़ी की सर्विसिंग करवाते समय इंजन ऑयल, टायर या ब्रेक्स पर तो ध्यान देते हैं पर इस बहुत जरूरी चीज को नजर अंदाज कर देते हैं। खासकर ठंड के मौसम में कूलेंट की क्वालिटी और इसकी फ्रीजिंग पॉइंट को समझना बहुत जरूरी है, जिससे आपको रास्ते में भटकना न पड़े। आइए जानते हैं कि कूलेंट फ्रीजिंग पॉइंट क्या होता है? और गाड़ियों में इसकी क्यों जरूरत है...
कूलेंट फ्रीजिंग पॉइंट क्या है?(What is coolant freezing point?)
आसान भाषा में कहे तो कूलेंट फ्रीजिंग पॉइंट वह तापमान होता है जिस पर आपके वाहन के इंजन में बहने वाला लिक्विड कूलेंट जमने लगता है या फिर पूरी तरह फ्रीज(बर्फ जैसा) हो जाता है। यह गाड़ियों में इसलिए होता है ताकि आपकी गाड़ी ठंड के मौसम में बिना बंद हुए लगातार काम करती रहे। यदि आप सामान्य पानी का उपयोग करें तो वह 0 डिग्री सेल्सियस पर ही जम जाएगा, लेकिन हाई क्वालिटी कूलेंट –30 डिग्री या उससे भी नीचे के तापमान में तरल अवस्था में बना रहता है। यही कारण है कि गाड़ी बनाने वाली कंपनियां इसे अपनी गाड़ियों में डालती है।
यह कूलेंट कैसे काम करता है?
कूलेंट के कार्य को समझने से पहले यह जानना आवश्यक है कि इंजन कूलिंग सिस्टम वास्तव में कैसे कार्य करता है। जब आपकी गाड़ी का इंजन चलता है तो काफी मात्रा में ऊष्मा (heat) निकलती है। इस ऊष्मा से निकलने वाली तेज गर्मी से इंजन के पुर्जे पिघल सकते हैं या कई विभिन्न आकृतियों में मुड़ भी सकते हैं। इन स्थितियों में ये कूलेंट इंजन के अंदर बनाए गए पाइप में लगातार बहता रहता है और गर्मी को अवशोषित करता है। फिर यह गर्म कूलेंट रेडिएटर तक पहुंचता है जहां कूलिंग फैन की सहायता से इसे ठंडा किया जाता है। ठंडा होने के बाद कूलेंट वापस इंजन में चला जाता है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक इंजन चालू रहता है।
कूलेंट के बिना इंजन में हो सकती है गंभीर समस्याएं
- यदि आपकी कार या बाइक में कूलेंट खत्म हो जाए या बहुत कम हो जाए तो इसके यह बहुत गंभीर समस्या हो सकती हैं। कई बार गाड़िया स्थायी रूप से खराब हो जाती है और फिर सीधे ने पार्ट्स लगाने पड़ जाते है।
- सबसे आम समस्या है ओवरहीटिंग की। कूलेंट के बिना इंजन बहुत जल्दी गर्म हो जाता है और अधिक गर्मी से इंजन के पार्ट्स आपस में ही रगड़ने लगते हैं जिससे इंजन सीज हो सकता है।
- जब इंजन का तापमान सामान्य लेवल से ज्यादा बढ़ जाता है तो इसके हेड गैस्केट फैट सकते है और इसके फटने पर कूलेंट और इंजन ऑयल आपस में मिक्स हो जाते हैं। इसको बनाने में काफी लंबा खर्चा आता है।
- कूलेंट की वजह से ही रेडिएटर और वाटर पंप सही तरीके से काम करते हैं अगर यह कम हो जाए या खत्म हो जाए तो ये भी हीटिंग की वजह से काम करना बंद कर देंगे।
- सबसे खतरनाक स्थिति तब होती है जब इंजन ब्लॉक या सिलेंडर हेड में दरार आ जाए। ऐसी स्थिति में पूरा इंजन ही बदलना पड़ सकता है।
- यदि आपकी गाड़ी काफी पुरानी है तो आपकी गाड़ी का कूलेंट समय से पहले ही समाप्त हो सकता है, ऐसे में आपको विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में भी कूलेंट का इस्तेमाल
कई लोगों को यह लगता है कि कूलेंट का उपयोग केवल पेट्रोल और डीजल गाड़ियों में होता है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों EV में भी कूलिंग सिस्टम काफी महत्वपूर्ण है। जब इलेक्ट्रिक गाड़ियां लगातार चलती रहती हैं तो उनके बैटरी पैक्स बहुत अधिक गर्मी पैदा करते हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का थर्मल कूलिंग सिस्टम, बैटरी के सुरक्षित काम करते रहने के लिए उचित तापमान बनाए रखता है।
