Chhattisgarh Me Police Vyavastha: इनकी देन है SP और DSP का पद, नहीं जानते होंगे छत्तीसगढ़ पुलिस व्यवस्था से जुड़ी ये बातें...
Chhattisgarh Me Police Vyavastha: जब हम छत्तीसगढ़ की पुलिस व्यवस्था की बात करते हैं तो यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि वर्तमान में जो व्यवस्थित पुलिस प्रणाली हैं, वह अंग्रेजों की देन है। आइए जानते हैं, (CG Amazing Facts) पुलिस व्यवस्था से जुड़े रोचक तथ्य.

Chhattisgarh Me Police Vyavastha: भारत देश में जो आज हम पुलिस व्यवस्था देखते हैं यह अंग्रेजों की देन है। ब्रिटिश शासन काल के दौरान अंग्रेजों ने भारतीयों पर नियंत्रण रखने के लिए पुलिस व्यवस्था का सृजन किया। जब हम छत्तीसगढ़ की पुलिस व्यवस्था की बात करते हैं तो यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि वर्तमान में जो व्यवस्थित पुलिस प्रणाली हैं, वह अंग्रेजों की देन है। आइए जानते हैं, (CG Amazing Facts) पुलिस व्यवस्था से जुड़े रोचक तथ्य.
छत्तीसगढ़ में पुलिस व्यवस्था
सितंबर 1856 का समय छत्तीसगढ़ की पुलिस व्यवस्था के इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय था। इस दौरान ब्रिटिश प्रशासन ने छत्तीसगढ़ क्षेत्र को चार अलग-अलग पुलिस विभागों में विभाजित करने का निर्णय लिया – रायपुर सदर, रायपुर तहसीलदारी क्षेत्र, धमतरी तहसीलदारी क्षेत्र और रतनपुर तहसीलदारी क्षेत्र। यह विभाजन केवल भौगोलिक सीमाओं का निर्धारण नहीं था, बल्कि इसके पीछे कई प्रशासनिक रणनीति थी। अंग्रेज यह समझ चुके थे कि विशाल क्षेत्रफल को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए इसे छोटे प्रशासनिक इकाइयों में बांटना आवश्यक है। इस विभाजन से पहले तक छत्तीसगढ़ में कोई सुसंगठित पुलिस व्यवस्था नहीं थी।
पंजाब पुलिस मैनुअल का प्रभाव
छत्तीसगढ़ में जनवरी 1858 के समय पंजाब पुलिस मैनुअल को लागू किया गया। यह मैनुअल केवल एक दस्तावेज नहीं था, बल्कि यह पुलिस व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने का माध्यम था। इससे पहले तक छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मियों के लिए कोई निर्धारित वर्दी नहीं थी न ही उनके पास कोई विशेष हथियार या उपकरण थे। पंजाब पुलिस मैनुअल के लागू होने के साथ ही सबसे पहली बार छत्तीसगढ़ के पुलिसकर्मियों को एक निर्धारित ड्रेस यानी वर्दी प्रदान की गई। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों को विशेष रूप से तैयार किए गए हथियार भी उपलब्ध कराए गए।
पुलिस थानों की स्थापना
इस दौरान रायपुर और बिलासपुर जैसे प्रमुख शहरों के बीच सड़क मार्गों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए पुलिस थानों की स्थापना की गई। यह अंग्रेजो के लिए काफी जरूरी हो गया था क्योंकि इस समय काफी व्यापारिक गतिविधियां और क्रांतिकारी संगठन सक्रिय हो रहे थे। पंजाब पुलिस मैनुअल ने छत्तीसगढ़ पुलिस व्यवस्था को एक सुव्यवस्थित आकार प्रदान किया।
सन् 1862: पुलिस व्यवस्था का पुनर्गठन
वर्ष 1862 में पुलिस व्यवस्था का व्यापक पुनर्गठन और इसे पूरी तरह से नवीनीकृत किया गया। इस पुनर्गठन के तहत छत्तीसगढ़ में पहली बार एक व्यवस्थित श्रृंखला में विभिन्न पुलिस पदों की स्थापना की गई। सबसे ऊपरी स्तर पर पुलिस अधीक्षक का पद सृजित किया गया। पुलिस अधीक्षक को अंग्रेजी में सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस या संक्षेप में एसपी कहा जाने लगा। यह अधिकारी संपूर्ण जिले के पुलिस प्रशासन का सर्वोच्च प्रमुख होता था और उसके अधीन पूरे जिले की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी थी।
पुलिस अधीक्षक के सहयोग के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक यानी डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस या डीएसपी का पद भी बनाया गया। सहायक पुलिस अधीक्षक का कार्य पुलिस अधीक्षक की सहायता करना और उनके निर्देशों के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाना था।
इस नई व्यवस्था में प्रत्येक थाने के स्तर पर एक थानेदार की नियुक्ति की गई। थानेदार अपने क्षेत्राधिकार के थाने का प्रभारी अधिकारी होता था और उसकी जिम्मेदारी थी कि वह अपने इलाके में शांति और व्यवस्था बनाए रखे। प्रत्येक पुलिस विभाग में 15 थाने बनाए गए थे। थानेदार के अधीन सामान्य पुलिसकर्मी यानी सिपाही कार्य करते थे। उस दौर में इन सिपाहियों को बरकंदाज के नाम से पुकारा जाता था। बरकंदाज शब्द फारसी शब्द है और इसका प्रयोग उस समय सशस्त्र पुलिसकर्मियों के लिए किया जाता था।
