Chhattisgarh Ki Riyasaton Ka Itihas: छत्तीसगढ़ के 14 देसी रियासतों का इतिहास, जानिए विलय की पूरी कहानी
Chhattisgarh Ki Riyasaton Ka Itihas:भारत के मध्य क्षेत्र में स्थित छत्तीसगढ़ का इतिहास केवल सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से ही समृद्ध नहीं है, बल्कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत रोचक रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक यह भूभाग कई शासकों और रियासतों का केंद्र रहा। स्वतंत्र भारत के उदय से पूर्व छत्तीसगढ़ मंर अनेक रियासतें (Princely States) अस्तित्व में थीं, जिनकी अपनी-अपनी प्रशासनिक संरचना, परंपराएं और शासकीय शैली थी। इन रियासतों का विलय स्वतंत्रता के बाद भारतीय संघ में हुआ और समय के साथ ये आधुनिक जिलों का हिस्सा बन गईं.

Chhattisgarh Ki Riyasaton Ka Itihas:भारत के मध्य क्षेत्र में स्थित छत्तीसगढ़ का इतिहास केवल सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से ही समृद्ध नहीं है, बल्कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत रोचक रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक यह भूभाग कई शासकों और रियासतों का केंद्र रहा। स्वतंत्र भारत के उदय से पूर्व छत्तीसगढ़ मंर अनेक रियासतें (Princely States) अस्तित्व में थीं, जिनकी अपनी-अपनी प्रशासनिक संरचना, परंपराएं और शासकीय शैली थी। इन रियासतों का विलय स्वतंत्रता के बाद भारतीय संघ में हुआ और समय के साथ ये आधुनिक जिलों का हिस्सा बन गईं।
छत्तीसगढ़ में रियासतों की संख्या
स्वतंत्रता से पहले छत्तीसगढ़ क्षेत्र में लगभग 14 प्रमुख रियासतें थीं। ये सभी रियासतें ब्रिटिश शासन के अधीन फ्यूडेटरी चीफडम के रूप में जानी जाती थीं। यद्यपि इनके शासक अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतंत्र अधिकार रखते थे, लेकिन विदेशी संबंध और रक्षा से जुड़े विषय ब्रिटिश हुकूमत के अधीन थे।
छत्तीसगढ़ की रियासतों की सूची
Bastar (बस्तर) – यह सबसे बड़ी और प्रभावशाली रियासत थी, जो अपने घने जंगलों, आदिवासी संस्कृति और खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध रही।
Changbhakar (चंगभाकर) – अपेक्षाकृत छोटा राज्य, जो अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण जाना जाता था।
Chhuikandan (छुईखदान) – सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यह रियासत स्थानीय परंपराओं की संरक्षक थी।
Jashpur (जशपुर) – धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह रियासत उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित थी।
Kanker (कांकेर) – घने जंगलों और आदिवासी समाज से जुड़ी यह रियासत इतिहास में बस्तर के साथ विशेष रूप से जानी जाती है।
Kawardha (कवर्धा) – यह क्षेत्र कला, स्थापत्य और धार्मिक परंपराओं का केंद्र रहा।
Khairagarh (खैरागढ़) – संगीत और कला की परंपराओं से जुड़ी इस रियासत की अलग पहचान थी।
Korea (कोरिया) – उत्तर की ओर स्थित यह रियासत भौगोलिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती थी।
Nandgaon (नांदगांव) – अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध।
Raigarh (रायगढ़) – यह रियासत न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक समृद्धि के लिए भी पहचानी जाती रही।
Sakti (सक्ति) – यह छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी रियासत मानी जाती थी।
Sarangarh (सारंगढ़) – ऐतिहासिक महत्व वाली यह रियासत भी अपनी सांस्कृतिक पहचान रखती थी।
Surguja (सरगुजा) – यह बड़ा राज्य आदिवासी समाज और पारंपरिक शासन प्रणाली के लिए जाना जाता था।
Udaipur/Dharamjaigarh (उदयपुर/धरमजयगढ़) – यह रियासत प्राकृतिक संपदा और भौगोलिक महत्व के कारण प्रसिद्ध रही।
रियासतों का विलय
1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद इन सभी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया। अधिकांश रियासतों ने स्वेच्छा से भारत में विलय को स्वीकार किया।
सभी रियासतों ने 1 जनवरी 1948 को आधिकारिक रूप से भारतीय संघ में प्रवेश किया। छत्तीसगढ़ के रियासतों को भारत संघ में विलय कराने के लिए 1947 में " कौंसिल ऑफ एक्शन इन छत्तीसगढ़" का गठन किया गया था। छत्तीसगढ़ में इस कौंसिल के अध्यक्ष ठाकुर प्यारेलाल थे।
अन्य रियासतों जैसे Kanker, Kawardha, Raigarh, Jashpur, Surguja और Korea ने भी उसी वर्ष भारत सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन सभी रियासतों को पहले “Central Provinces and Berar” में सम्मिलित किया गया और बाद में वे संयुक्त मध्य प्रदेश का हिस्सा बनीं। अंततः जब 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तो ये सभी ऐतिहासिक रियासतें आधुनिक जिलों का रूप लेकर इस नए राज्य का अंग बनीं।
विलय का महत्व
इन रियासतों के विलय ने न केवल राजनीतिक एकीकरण को सुदृढ़ किया, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की भावना को भी मजबूत किया। स्वतंत्र भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में इन रियासतों की पहचान जिलों और विकासखंडों के रूप में परिवर्तित हो गई। इससे न केवल प्रशासनिक एकरूपता आई बल्कि आम जनता को लोकतंत्र की मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
