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Chhattisgarh ki Rituyen: छत्तीसगढ़ में होती है तीन ऋतुएं, जानिए सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन का छत्तीसगढ़ पर प्रभाव…

Chhattisgarh ki rituyen: छत्तीसगढ़ राज्य भारत के मध्य में बसा हुआ है और यह एक भूआवेष्ठित राज्य है अर्थात इसकी सीमा न ही किसी देश से लगती है और न ही किसी समुद्र से। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ की ऋतुओं के बारे में...

Chhattisgarh ki Rituyen: छत्तीसगढ़ में  होती है तीन ऋतुएं, जानिए सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन का छत्तीसगढ़ पर प्रभाव…
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By Chirag Sahu

Chhattisgarh ki rituyen: छत्तीसगढ़ राज्य भारत के मध्य में बसा हुआ है और यह एक भूआवेष्ठित राज्य है अर्थात इसकी सीमा न ही किसी देश से लगती है और न ही किसी समुद्र से। छत्तीसगढ़ कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच में स्थित होने के कारण यहां उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है। कर्क रेखा छत्तीसगढ़ के चार जिले मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर से होकर गुजरती है, इसलिए इन स्थानों पर शीतोष्ण जलवायु पाई जाती है।

छत्तीसगढ़ के मौसम में साफ़-साफ़ बदलाव देखने को मिलते हैं। यहां साल भर में तीन प्रमुख ऋतुओं का अनुभव होता है और हर ऋतु अपने साथ अलग-अलग विशेषताएं और प्राकृतिक बदलाव लेकर आती है। आज इस लेख में हम इन्हीं तीन ऋतुओं को समझने वाले हैं।

ग्रीष्म ऋतु

छत्तीसगढ़ में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत फरवरी के मध्य से हो जाती है और यह जून के मध्य तक बनी रहती है। इस दौरान राज्य में तापमान तेजी से बढ़ने लगता है और मौसम काफी गर्म हो जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि 21 मार्च के बाद सूर्य की स्थिति उत्तरायण होने लगती है। जैसे-जैसे दिन बढ़ते जाते हैं सूर्य की किरणें अधिक सीधी पड़ने लगती हैं और इसके परिणामस्वरूप तापमान में लगातार वृद्धि होती रहती है।

मई का महीना पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे गर्म महीना होता है। इस महीने में तापमान आमतौर पर 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। मई में सूर्य की किरणें लगभग सीधी पड़ती हैं जिसके कारण धरती पर वायुदाब काफी कम हो जाता है और गर्मी अपने चरम पर होती है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में तापमान की स्थिति अलग-अलग होती है। छत्तीसगढ़ के पूर्वी बस्तर और बिलासपुर के क्षेत्रों से 40 डिग्री सेंटीग्रेड की समताप रेखा होकर गुजरती है। सरगुजा और जशपुर जैसे उत्तरी इलाके में थोड़ी कम गर्मी पड़ती है।

चांपा और रायगढ़ के इलाकों में छत्तीसगढ़ का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया जाता है। छत्तीसगढ़ का सबसे गर्म स्थान चांपा जिले को ही माना जाता है।

वर्षा ऋतु

वर्षा ऋतु छत्तीसगढ़ के लिए सबसे महत्वपूर्ण ऋतु है। इसकी शुरुआत 15 जून के से होती है और यह 15 अक्टूबर तक चलती रहती है। इस ऋतु का महत्व इसलिए बहुत अधिक है क्योंकि राज्य की पूरी कृषि व्यवस्था मानसूनी बारिश पर ही निर्भर करती है। किसान पूरे साल इसी मौसम का इंतजार करते हैं क्योंकि इसी समय फसलों की बुवाई और खेती का मुख्य काम होता है।

छत्तीसगढ़ में मानसून का प्रवेश आमतौर पर 10 जून से 15 जून के बीच हो जाता है। केरल में दक्षिण पश्चिम मानसून जून के पहले सप्ताह में दस्तक देता है और करीब एक हफ्ते के भीतर यह छत्तीसगढ़ तक पहुंच जाता है। मानसून के आगमन के साथ ही राज्य का पूरा वातावरण बदल जाता है। तपती गर्मी से राहत मिलती है और चारों तरफ हरियाली छा जाती है। छत्तीसगढ़ में 90% वर्षा इसी मौसम में दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है। छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में औसत वर्षा 140 सेमी तक दर्ज किया गया है। नारायणपुर जिले का अबूझमाड़ क्षेत्र सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है यहां लगभग 187.5 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है।

जब दक्षिण पश्चिम मानसून भारत के केरल राज्य से टकराती है तो यह दो भागों में विभक्त हो जाती है एक भाग पश्चिम की ओर और एक भाग पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में चला जाता है। चूंकि पश्चिमी घाट में ज्यादा पर्वत व पठार न होने की वजह से छत्तीसगढ़ में जितनी भी वर्षा होती है वह पूरी तरह से बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं की वजह से होता है और इसी में वे हवाएं जो पूर्वी तट की ओर गई है वे यहां स्थित पहाड़ों से टकराती हुई विंध्याचल पर्वत श्रृंखला और सतपुड़ा के बीच से गुजरती है और छत्तीसगढ़ के मैकल पर्वत रेंज तक पहुंचती है। जब मानसून मैकल पर्वत श्रृंखला के ऊंचे पहाड़ों से टकराती है तो यहां पूर्वी इलाको में अर्थात राजनांदगांव और कवर्धा जिले में वृष्टिछाया क्षेत्र बन जाता है इसके वजह से यहां सबसे कम वर्षा होती है। इन क्षेत्रों में किसानों को सिंचाई के लिए वैकल्पिक साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। वर्षा ऋतु के दौरान छत्तीसगढ़ का मौसम गर्म और आर्द्र बना रहता है।

शीत ऋतु

छत्तीसगढ़ में शीत ऋतु की शुरुआत 15 अक्टूबर से होती है और यह फरवरी के मध्य तक बनी रहती है। यह मौसम पूरे साल में सबसे सुहाना और आरामदायक होता है। इस समय न तो गर्मी होती है और न ही बारिश। यह मौसम छत्तीसगढ़ में घूमने-फिरने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।

इस ऋतु में सूर्य दक्षिणायन स्थिति में होता है। 21 सितंबर के बाद से ही सूर्य की स्थिति दक्षिण की ओर खिसकने लगती है और धरती पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने लगती हैं। इसके कारण तापमान में धीरे-धीरे कमी आने लगती है। दिसंबर और जनवरी के महीने पूरी शीत ऋतु में सबसे ठंडे महीने होते हैं। इन महीनों में तापमान 16 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर जाता है। आमतौर पर शीत ऋतु में तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है जो बेहद सुखद होता है।

छत्तीसगढ़ के इस भौगोलिक क्षेत्र में शीतकाल के दौरान महाद्वीपीय पवनों का प्रभाव रहता है जो ठंड को और बढ़ा देती हैं। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सर्दी की तीव्रता भी अलग-अलग होती है। छत्तीसगढ़ के पहाड़ी इलाकों में अधिक ठंड पड़ती है। मैनपाट और जशपुर जैसे क्षेत्र सबसे ठंडे स्थानों में गिने जाते हैं। इन जगहों पर समुद्रतल से ऊंचाई अधिक है और घने जंगल भी हैं जिसके कारण यहाँ तापमान काफी नीचे चला जाता है। कभी-कभी मैनपाट में तापमान 0°C सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

शीतकाल में एक रोचक बात यह है कि इस मौसम में भी हल्की-फुल्की बारिश हो जाती है। यह बारिश मानसूनी नहीं होती बल्कि पश्चिमी गर्तों के कारण होती है। इन्हें पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर की तरफ से आने वाली जेट हवाओं के कारण ये पश्चिमी विक्षोभ बनते हैं और छत्तीसगढ़ तक पहुंच जाते हैं। हालांकि यह बारिश बहुत कम मात्रा में होती है लेकिन रबी की फसलों के लिए यह काफी फायदेमंद होती है।

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