Chhattisgarh ki jeevandayini Mahanadi: ये नदी बनाती है छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा, जानिए महानदी का विस्तार
Chhattisgarh ki jeevandayini Mahanadi: महानदी इस राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। जिसे छत्तीसगढ़ की गंगा के रूप में जाना जाता है। यह न केवल छत्तीसगढ़ की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य की कृषि, उद्योग और जीवनशैली का आधार भी है।

Chhattisgarh ki jeevandayini Mahanadi: महानदी इस राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। जिसे छत्तीसगढ़ की गंगा के रूप में जाना जाता है। यह न केवल छत्तीसगढ़ की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य की कृषि, उद्योग और जीवनशैली का आधार भी है। महानदी की कुल लंबाई 858 किलोमीटर है और यह छत्तीसगढ़ में करीब 286 किलोमीटर तक बहती है और फिर ओडिशा में प्रवेश करती है, जहां यह बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
महानदी का उद्गम
महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सिहावा पर्वत श्रेणी के घने जंगलों में होता है। यह स्थान धमतरी शहर से लगभग 11 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है, जहां समुद्र तल से 442 मीटर की ऊंचाई पर एक छोटी सी जलधारा के रूप में नदी का उद्गम होता है। सिहावा का यह क्षेत्र साल, सागौन और बांस के जंगलों से घिरा हुआ है, जो इस नदी को प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता प्रदान करता है। प्राचीन काल में इस नदी को चित्रोत्पला या नीलोत्पला के नाम से जाना जाता था।
महानदी का प्रवाह क्षेत्र
छत्तीसगढ़ में महानदी का मार्ग एक कटोरेनुमा भू-आकृति, "छत्तीसगढ़ के मैदान" से गुजराती है। यह मैदान उत्तर, पश्चिम और दक्षिण में पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो नदी को एक प्राकृतिक गलियारा प्रदान करता है। धमतरी से शुरू होकर यह नदी रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार-भाटापारा, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जैसे जिलों से होकर बहती है। धमतरी में नदी का प्रारंभिक मार्ग संकीर्ण और पहाड़ी है। लेकिन जैसे-जैसे यह रायपुर की ओर बढ़ती है, यह मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है और इसकी चौड़ाई 500-600 मीटर तक हो जाती है। यह चंद्रपुर के पास ओडिशा की सीमा में प्रवेश करती है।
महानदी की सहायक नदियां
महानदी की सहायक नदियों को दो भागों में बांटा जा सकता है: बाएं तट और दाएं तट की नदियां। बाएं तट की प्रमुख सहायक नदियों में शिवनाथ, हसदेव, मांड, इब और जोंक शामिल हैं। दाएं तट की सहायक नदियों में खारून और पैरी प्रमुख हैं, जो रायपुर और गरियाबंद के क्षेत्रों को सिंचित करती हैं। ये सभी सहायक नदियां मिलकर महानदी के अपवाह क्षेत्र को 1,32,100 वर्ग किलोमीटर तक विस्तार देती हैं।
नदी पर बने बांध और जल परियोजना
महानदी मुख्य नहर और तांडुला जलाशय जैसी सिंचाई परियोजनाएं लाखों किसानों को लाभ पहुंचाती हैं। यह नदी कोरबा और रायगढ़ के कोयला क्षेत्रों को जल प्रदान करती है, जहां सुपर थर्मल पावर प्लांट और अन्य उद्योग स्थापित हैं। जलविद्युत उत्पादन में भी इसका योगदान है, हालांकि इसका प्रमुख बांध हीराकुंड, ओडिशा में स्थित है, जो छत्तीसगढ़ से प्राप्त जल पर निर्भर करता है।
महानदी के तटों पर बसे सिरपुर जैसे प्राचीन स्थल और राजिम , इसे धार्मिक और पर्यटन का केंद्र बनाते हैं। राजिम, जहां महानदी, पैरी और सोंढुर नदियों का संगम होता है, जिसे "छत्तीसगढ़ का प्रयाग" कहा जाता है। चंद्रपुर में भी महानदी, मांड और लात नदी का संगम है। शिवरीनारायण में महानदी,शिवनाथ,और जोक नदी का संगम है।
