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Chhattisgarh Ke tyohar: छत्तीसगढ़ में मनाए जाते हैं ये त्यौहार, जानिए पूरी डिटेल...सिर्फ एक क्लिक में

Chhattisgarh Ke tyohar: छत्तीसगढ़ में त्यौहारों के सीजन का एक अलग ही अनुभव होता है। छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले विविध त्यौहार अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है। प्रत्येक पर्व की अपनी विशिष्टता और रीति-रिवाज हैं, जो छत्तीसगढ़ की पहचान को और गहरा करते हैं।

Chhattisgarh Ke tyohar:  छत्तीसगढ़ में मनाए जाते हैं ये त्यौहार, जानिए पूरी डिटेल...सिर्फ एक क्लिक में
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By Chirag Sahu

Chhattisgarh Ke tyohar: छत्तीसगढ़ में त्यौहारों के सीजन का एक अलग ही अनुभव होता है। छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले विविध त्यौहार अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है। प्रत्येक पर्व की अपनी विशिष्टता और रीति-रिवाज हैं, जो छत्तीसगढ़ की पहचान को और गहरा करते हैं। इस लेख में छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहारों का विस्तृत विवरण नीचे प्रस्तुत किया गया है।

हरेली पर्व

हरेली, सावन अमावस्या को मनाया जाने वाला एक कृषि-केंद्रित त्यौहार है। यह किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन वे अपने हल, बैल और कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। गेड़ी नृत्य (बांस पर चलने वाला नृत्य), लोकगीत और ग्रामीण खेल इस पर्व का मुख्य आकर्षण हैं।

छेरछेरा पर्व

छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह फसल कटाई के बाद की खुशी का उत्सव है। इस दिन बच्चे और युवा घर-घर जाकर "छेरछेरा" गीत गाते हैं और अनाज, मिठाई या पैसे मांगते हैं। लोग खुशी-खुशी दान देते हैं, जो सामुदायिक सहयोग और उदारता की भावना को दर्शाता है। गाँवों में लोकनृत्य और संगीत के आयोजन इस पर्व को और उत्साहपूर्ण बनाते हैं।

नवाखाई पर्व

नवाखाई भाद्रपद मास में मनाया जाता है, जब नई फसल खेतों से घर आती है। इस दिन नए अनाज की पूजा की जाती है और इसे भगवान को अर्पित किया जाता है। इसके बाद सामूहिक भोज का आयोजन होता है, जिसमें परिवार और समुदाय एक साथ भोजन करते हैं। विशेषकर आदिवासी समुदायों में यह उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

अक्ति/अक्षय तृतीया

वैशाख मास में अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में अक्ति पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन शुभ माना जाता है, जिसमें किसान खेती से जुड़े नए कार्य शुरू करते हैं और अन्न दान करते हैं।

बस्तर दशहरा

बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ का सबसे भव्य और अनूठा त्यौहार है, जो आश्विन मास में लगभग 75 दिनों तक मनाया जाता है। यह रावण वध पर केंद्रित नहीं, बल्कि माँ दंतेश्वरी और स्थानीय आदिवासी परंपराओं को समर्पित है। इसकी शुरुआत "पाटजात्रा" से होती है, जिसमें जंगल से लकड़ी लाकर रथ बनाया जाता है। "डेरी गड़ाई" और "मावली परघाव" जैसे अनुष्ठान इस उत्सव के मुख्य आकर्षण हैं। यह विश्व का सबसे लंबा दशहरा है, जो जगदलपुर में विशेष रूप से आयोजित होता है।

मड़ई महोत्सव

मड़ई महोत्सव छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन है, जो विभिन्न जिलों में अलग-अलग समय पर, विशेषकर सर्दियों में, मनाया जाता है। इस अवसर पर लोग अपने स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और मेले आयोजित करते हैं। मेले में लोकनृत्य जैसे "सैला" और "करमा", पारंपरिक गीत, हस्तशिल्प और स्थानीय भोजन का प्रदर्शन होता है। बस्तर, दंतेवाड़ा और अन्य आदिवासी क्षेत्रों में यह विशेष रूप से लोकप्रिय है।

राजिम कुंभ मेला

राजिम कुंभ मेला छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो माघ मास में राजिम में आयोजित होता है। राजिम को "छत्तीसगढ़ का प्रयाग" कहा जाता है, क्योंकि यहाँ महानदी, पैरी और सोंदूर नदियों का संगम है। इस मेले में हजारों श्रद्धालु पवित्र स्नान करते हैं और भगवान राजीव लोचन (विष्णु) की पूजा करते हैं।

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव

1 नवंबर को छत्तीसगढ़ का स्थापना दिवस मनाया जाता है, जो राज्य की स्थापना की स्मृति में आयोजित होता है। इस दिन पूरे राज्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम, परेड, प्रदर्शनियाँ और मेले आयोजित होते हैं। यह उत्सव छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को उजागर करता है।

पोला पर्व

पोला भाद्रपद अमावस्या को मनाया जाता है और यह बैलों की पूजा को समर्पित है। किसान अपने बैलों को सजाते हैं, उनकी पूजा करते हैं और विभिन्न खेलों का आयोजन करते हैं। बच्चे मिट्टी या लकड़ी से बने बैल बनाकर खेलते हैं।

तीजा पर्व

तीजा पर्व विशेष रूप से महिलाओं का त्यौहार है, जो भाद्रपद मास में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

भोजली पर्व

भोजली पर्व रक्षाबंधन के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ और युवतियाँ जंवारा (गेहूँ के अंकुर) को नदी या तालाब में विसर्जित करती हैं और पूजा-अर्चना करती हैं। इसके बाद भोजली का प्रसाद आपस में बाँटा जाता है।

गौरा-गौरी पूजा

यह त्योहार छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से लोकप्रिय है और शिव-पार्वती की पूजा को समर्पित है। यह नवंबर-दिसंबर में मनाया जाता है। इस दौरान मिट्टी की मूर्तियाँ बनाकर पूजा की जाती है और लोकगीत गाए जाते हैं।

कजरी तीज

कजरी तीज भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है और यह विशेष रूप से महिलाओं का त्योहार है। इस दिन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और परिवार की समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं और माता कजरी (पार्वती का एक रूप) की पूजा करती हैं।

सातनामी जयंती

सातनामी समुदाय छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक समूह है, और यह समुदाय अपने गुरु घासीदास की जयंती को बड़े उत्साह के साथ मनाता है। यह पर्व दिसंबर मास में मनाया जाता है और इसमें धार्मिक सभाएँ, भजन-कीर्तन, और सामुदायिक भोज आयोजित होते हैं।

गोंचा पर्व

गोंचा पर्व बस्तर क्षेत्र में रथयात्रा के साथ मनाया जाता है और यह भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। गोंचा पर्व, आषाढ़ मास में आयोजित होता है। इस दौरान लकड़ी के रथ पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को सजाकर गाँव में घुमाया जाता है।

करमा पर्व

करमा पर्व छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों, विशेषकर सरगुजा और जशपुर क्षेत्रों में, भाद्रपद मास की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग करम वृक्ष की पूजा करते हैं और करमा नृत्य करते हैं, जिसमें युवा पुरुष और महिलाएँ रंग-बिरंगे परिधानों में सामूहिक नृत्य करते हैं।

देवारी त्यौहार

देवारी त्यौहार मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ राज्य में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय पर्व है, जो दीवाली के दिन (कार्तिक मास की अमावस्या) को धूमधाम से उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार अंधेरी रात को उजाले से जोड़ता है, जहां 'देवारी' शब्द का अर्थ ही 'अंधियारी को उजियारी' से लिया जाता है।

कमरछठ त्यौहार

कमरछठ/हलषष्ठी, वास्तव में यह त्यौहार माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना के लिए रखा जाता है। यह भाद्रपद मास (भादो) के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रक्षाबंधन के लगभग छह दिन बाद मनाया जाता है।

अरवा तीज

अरवा तीज, जिसे कुछ क्षेत्रों में "हरतालिका तीज़" भी कहा जाता है, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला त्यौहार है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और कुंवारी कन्याएं योग्य वर के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो बुद्धि, समृद्धि और विघ्नहर्ता के देवता माने जाते हैं। यह त्यौहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है।

नाग पंचमी

नाग पंचमी सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। यह त्यौहार नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें प्रकृति और सृष्टि के रक्षक के रूप में पूजा जाता है और ऐसी भी मान्यता है कि यह पूरी सृष्टि शेषनाग के फन पर ही टिकी हुई है। इस दिन नाग देवता को दूध अर्पित किया जाता है।

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