Chhattisgarh ke Tamatar Ki Rajdhani: यहां मिलता हैं 1 रुपये किलो टमाटर! जानिए छत्तीसगढ़ में टमाटर की राजधानी के बारे में...
Chhattisgarh ke Tamatar Ki Rajdhani: आपने किसी देश या राज्य की राजधानी के बारे में तो सुना होगा पर आज हम छत्तीसगढ़ के टमाटर की राजधानी के बारे में बताने वाले है। छत्तीसगढ़ का यह गांव जिसे "टमाटर की राजधानी" के रूप में जाना जाता है.

Chhattisgarh ke Tamatar Ki Rajdhani: आपने किसी देश या राज्य की राजधानी के बारे में तो सुना होगा पर आज हम छत्तीसगढ़ के टमाटर की राजधानी के बारे में बताने वाले है। छत्तीसगढ़ का यह गांव जिसे "टमाटर की राजधानी" के रूप में जाना जाता है, न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुका है। यह पत्थलगांव तहसील में बसा यह छोटा सा गांव लुड़ेग है। यह गांव टमाटर की खेती का एक ऐसा केंद्र बन गया है, जहां की उपज दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों तक पहुंचती है। इस लेख में हम टमाटर उत्पादन की अनोखी कहानी बताने वाले है।
टमाटर के लिए अनुकूल जलवायु
लुड़ेग गांव जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील में स्थित है, जो समुद्र तल से करीब 550 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। सर्दियों के समय यहां का तापमान लगभग 15 डिग्री के आसपास होता है। यहां का क्षेत्र और ऊंचाई टमाटर उत्पादन के लिए उचित जलवायु प्रदान करती है। साथ ही यहां की लाल मिट्टी, टमाटर उत्पादन और उसे सुरक्षित रखने के लिए के लिए उपयुक्त है।टमाटर की फसल के मौसम में यहां "टमाटर महोत्सव" का आयोजन होता है, जहां किसान अपनी उपज को प्रदर्शित करते हैं और स्थानीय संस्कृति का उत्सव मनाते हैं।
टमाटर खेती की शुरुआत
लुड़ेग गांव में टमाटर की खेती का लगभग 1980 के दशक में प्रारम्भ हुआ था। उस समय इस क्षेत्र में टमाटर के साथ-साथ अनेक साक सब्जियां और फसलों का उत्पादन किया जाता था। इस क्षेत्र में टमाटर की खेती जब करनी शुरू हुई तब उन्नत तकनीकी न होने की वजह से यह काफी जोखिम भरा कदम था। फिर हरित क्रांति द्वारा उन्नत बीज के प्रसंस्करण से यहां टमाटर उत्पादन को काफी बढ़ावा मिला और यह जोखिम एक फायदेमंद अवसर में बदल गई। किसानों ने जल्द ही महसूस किया कि लुड़ेग की मिट्टी और जलवायु टमाटर के लिए वरदान है। आज के समय में लुड़ेग और इसके आसपास के गांव छत्तीसगढ़ के कुल टमाटर उत्पादन का 20-25% हिस्सा का योगदान करते हैं, जो छत्तीसगढ़ के लिए काफी गर्व की बात है।
लुड़ेग में उत्पादित टमाटर की किस्में
टमाटर की खेती का मुख्य रूप से अक्टूबर से मार्च तक के मौसम होता है। इस दौरान, गांव और इसके आसपास के क्षेत्रों से हर साल 50 हजार से 1 लाख टन टमाटर का उत्पादन होता है। एक एकड़ खेत से औसतन 20-30 टन टमाटर प्राप्त होता है, जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हुआ है।
यहां उगाए जाने वाले टमाटर की प्रमुख किस्मों में अर्का रक्षक, पुसा रूबी, चेरी टमाटर और कुछ स्थानीय हाइब्रिड किस्में शामिल हैं। ये टमाटर अपने बड़े आकार और लंबी शेल्फ लाइफ के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी गुणवत्ता इतनी प्रसिद्ध है कि इन्हें "लुड़ेग टमाटर" के नाम से बाजार में एक अलग पहचान मिली हुई है। यह टमाटर स्थानीय मंडियों जैसे रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग के साथ देश के बड़े शहरों तक भी पहुंचता है। लुड़ेग की टमाटर खेती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया आयाम दिया है।
CG की अर्थव्यवस्था में है खास योगदान
लुड़ेग की टमाटर खेती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को नया आयाम दिया है। यहां के टमाटर की कीमत बाजार में ₹20 से ₹50 प्रति किलो तक रहती है और कभी-कभी मांग बढ़ने पर यह ₹100 प्रति किलो तक भी पहुंच जाती है। इस खेती ने न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर पैदा किए
