Chandi Mandir Ghunchapali: यहां माता के दर्शन करने आते हैं जंगली भालू, तंत्र-मंत्र साधना का गुप्त केंद्र, जानिए चंडी मंदिर का इतिहास
Chandi Mandir Ghunchapali: छत्तीसगढ़ में कई देवियों के मंदिर हैं जो अपने आप में काफी खास हैं इन्हीं में से एक है चंडी मंदिर, यह मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के एक छोटे से गांव घूंचापाली में स्थित है। जिसे चंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है।

Chandi Mandir Ghunchapali: छत्तीसगढ़ में कई देवियों के मंदिर हैं जो अपने आप में काफी खास हैं इन्हीं में से एक है चंडी मंदिर, यह मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के एक छोटे से गांव घूंचापाली में स्थित है। जिसे चंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच का एक जीवंत उदाहरण भी है। जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसी यह पवित्र जगह माता चंडी की स्वयंभू प्रतिमा और भालुओं के दर्शन जैसे चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। इस लेख में हम जानेंगे मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां।
मंदिर का इतिहास
चंडी मंदिर का इतिहास लगभग 150 साल पुराना है। माना जाता है कि यह स्थान पहले तंत्र-मंत्र साधना का गुप्त केंद्र था, जहां तांत्रिक और अघोरी अपनी साधना के लिए आते थे। 1950 के दशक में इसे आम जनता के लिए खोला गया, और तब से यह भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। मंदिर का यह इतिहास इसे और भी रहस्यमयी और महत्वपूर्ण बनाती है।
मंदिर की संरचना और प्रतिमा
चंडी मंदिर का मुख्य आकर्षण माता चंडी की स्वयंभू प्रतिमा है, जो दक्षिणमुखी है और लगभग 23 फीट ऊंची बताई जाती है। इस प्रतिमा की एक खास बात यह है कि इसकी ऊंचाई धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो इसे एक चमत्कारिक मूर्ति बनाता है। यह मूर्ति भूगर्भ से उत्पन्न हुई है और देखने में इतनी जीवंत है कि भक्तों को माता के साक्षात दर्शन का अनुभव होता है। मंदिर परिसर में अन्य छोटे मंदिर भी हैं, जिनमें हनुमान जी, भैरव बाबा, शिव जी और काली माता की गुफा जैसी संरचना शामिल है।
मंदिर में भालुओं का चमत्कार
चंडी मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता है कि यहां भालू रोज माता के दर्शन के लिए पहुंचते है। हर शाम, लगभग 4 बजे से रात 10 बजे तक, एक भालू परिवार, जिसमें मां और उसके बच्चे शामिल हैं, मंदिर में दर्शन के लिए आता है। ये भालू मंदिर में होने वाली आरती में शामिल होते है, प्रसाद लेते है और फिर शांतिपूर्वक जंगल में लौट जाते हैं। पिछले एक दशक से यह घटना निरंतर हो रही है और इसे माता का चमत्कार माना जाता है। यह दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
मंदिर में होने वाले उत्सव और मेले
चंडी मंदिर में चैत्र और क्वांर नवरात्रि के दौरान भव्य मेले का आयोजन होता है। इन नौ दिनों में हजारों भक्त माता के दर्शन और ज्योति प्रज्वलन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों और कलशों से सजाया जाता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। नवरात्रि के अलावा, सामान्य दिनों में भी भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, खासकर शाम के समय जब भालू दर्शन के लिए आते हैं।
कैसे पहुंचे मंदिर
घूंचापाली का चंडी मंदिर महासमुंद जिले के बागबाहरा तहसील में एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। यह स्थान महासमुंद शहर से लगभग 40 किलोमीटर और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक पहुंचना काफी सुगम है, क्योंकि यह राष्ट्रीय राजमार्ग 53 से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन बागबाहरा रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से मात्र 7 किलोमीटर दूर है।
