Begin typing your search above and press return to search.

Cement Industry in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में सीमेंट उद्योग का इतिहास; जानिए कैसे चुना पत्थर ने छत्तीसगढ़ को दी आर्थिक मदद

Cement Industry in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ को खनिज संपदा से समृद्ध राज्य माना जाता है। यहां प्रचुर मात्रा में चूना पत्थर (Limestone) उपलब्ध है, जो सीमेंट निर्माण की सबसे आवश्यक कच्ची सामग्री है। इसी कारण, राज्य में सीमेंट उद्योग की मजबूत नींव रखी गई और आज यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक पहचान का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

Cement Industry in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में सीमेंट उद्योग का इतिहास; जानिए कैसे चुना पत्थर ने छत्तीसगढ़ को दी आर्थिक मदद
X
By Chirag Sahu

Cement Industry in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ को खनिज संपदा से समृद्ध राज्य माना जाता है। यहां प्रचुर मात्रा में चूना पत्थर (Limestone) उपलब्ध है, जो सीमेंट निर्माण की सबसे आवश्यक कच्ची सामग्री है। इसी कारण, राज्य में सीमेंट उद्योग की मजबूत नींव रखी गई और आज यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक पहचान का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

सीमेंट उद्योग का शुरुआती दौर

छत्तीसगढ़ में सीमेंट उद्योग का विकास 1960 के दशक से शुरू हुआ। वर्ष 1965 में दुर्ग जिले के जामुल में ACC कंपनी ने पहला बड़ा सीमेंट संयंत्र स्थापित किया। यह उस समय क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों की दिशा तय करने वाला कदम था। इसके बाद 1975 में रायपुर के पास Century Cement की स्थापना हुई। इस प्लांट के साथ ही आसपास के क्षेत्र का भी विकास हुआ, जिसमें कर्मचारियों के लिए कॉलोनी, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाएं शामिल की गईं।

सीमेंट उद्योग के विस्तार का दौर

1980 और 1990 का दशक छत्तीसगढ़ के सीमेंट उद्योग के लिए विस्तार का समय रहा। 1982 में जांजगीर-चांपा जिले के गोपालनगर में Lafarge का प्लांट शुरू हुआ। 1987 में Ambuja Cement ने रायपुर के रावन क्षेत्र में अपनी इकाई स्थापित की। इसके बाद 1993 में Lafarge ने सोनाडीह में और 1994 में UltraTech ने हिरमी (रायपुर) में अपनी इकाई शुरू की। 1995 में Grasim Cement ने रावन में प्लांट स्थापित कर उद्योग को और गति दी। इन सबने मिलकर छत्तीसगढ़ को देश के प्रमुख सीमेंट उत्पादक राज्यों में शामिल कर दिया।

आधुनिकीकरण और विकास

2000 के बाद छत्तीसगढ़ में सीमेंट कंपनियों ने आधुनिक तकनीक का उपयोग करना शुरू किया। Shree Cement ने 2007 में यहां बड़ा निवेश कर clinker और cement प्लांट लगाने की योजना बनाई। इसके बाद 2013 में ACC, Grasim, Century, Ambuja और अन्य कंपनियों ने राज्य सरकार के साथ मिलकर उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए समझौते किए।

2016 में ACC ने जमुल में 2.79 मिलियन टन प्रतिवर्ष की clinker यूनिट शुरू की, जो अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित थी। इसी समय Shree Cement ने रायपुर में clinker यूनिट लगाने की घोषणा की और इसके लिए कोयला आपूर्ति भी सुनिश्चित की।

सीमेंट उद्योग का हालिया घटनाक्रम

पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में सीमेंट उद्योग को और मजबूती मिली है। Shree Cement ने 2020 में रायपुर में 12,000 टन प्रति दिन की क्षमता वाला नया क्लिंकर यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके अलावा, 2025 में बलौदाबाजार जिले में उच्च गुणवत्ता वाले चूना पत्थर के चार बड़े ब्लॉक नीलामी के लिए आए, जिनसे अनुमानित 200 मिलियन टन से अधिक का भंडार उपलब्ध है। इन खनिज ब्लॉकों से आने वाले समय में कई नई सीमेंट इकाइयां स्थापित होंगी और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।

सीमेंट उद्योग का आर्थिक महत्व

सीमेंट उद्योग छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यहां देश के कुल चूना पत्थर भंडार का लगभग 10.66% हिस्सा मौजूद है। यही कारण है कि राज्य में सीमेंट उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और यह खनन क्षेत्र के साथ मिलकर सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) में बड़ा योगदान करता है।

Next Story