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Brahma Kamal Phool: साल में एक बार खिलने वाला हिमालयी दुर्लभ फूल, अब छत्तीसगढ़ में भी खिला…जानिए ब्रह्म कमल की खास बातें

Brahma Kamal Phool: हिमालय क्षेत्र प्राकृतिक संपदाओं का खजाना है। यहां मिलने वाले दुर्लभ जीव और पेड़–पौधे कहीं और नहीं पाए जाते। इन हम बर्फीली चोटियों पर खिलने वाले फूल ब्रह्म कमल के बारे में बताने वाले हैं।

Brahma Kamal Phool: साल में एक बार खिलने वाला हिमालयी दुर्लभ फूल, अब छत्तीसगढ़ में भी खिला…जानिए ब्रह्म कमल की खास बातें
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By Chirag Sahu

Brahma Kamal Phool: हिमालय क्षेत्र प्राकृतिक संपदाओं का खजाना है। यहां मिलने वाले दुर्लभ जीव और पेड़–पौधे कहीं और नहीं पाए जाते। इन हम बर्फीली चोटियों पर खिलने वाले फूल ब्रह्म कमल के बारे में बताने वाले हैं। ब्रह्म कमल का नाम सुनते ही हमारे मन में दिव्य पुष्प की छवि बनती है, परंतु इसके गुण भी कुछ इस प्रकार से ही हैं, जिन्हें आज हम इस लेख में बताने वाले हैं।

ब्रह्म कमल की प्राकृतिक पहचान

ब्रह्म कमल का वैज्ञानिक नाम सॉसुरिया ओबवल्लाटा है और यह एस्टेरेसी परिवार से संबंधित है। बहुत से लोग इसे कमल समझ लेते हैं, लेकिन वास्तविकता में यह कमल की प्रजाति से बिल्कुल अलग है। असली कमल जहां पानी में खिलता है वहीं ब्रह्म कमल जमीन पर उगने वाला पौधा है। कमल की तरह दिखने की वजह से लोगों ने इसे कमल का नाम दे दिया।

इसके पौधे की ऊंचाई 75 सेंटीमीटर तक होती है। फूल सफेद रंग का होता है और इसकी बनावट इतनी खूबसूरत होती है कि इसे देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। पूरी दुनिया में इस पुष्प की 210 प्रजातियां पाई जाती हैं, जो इसकी विविधता को दर्शाती हैं। भारत में विशेषकर उत्तराखंड में इसकी 24 विभिन्न प्रजातियां मिलती हैं।

फुल के खिलने की अद्भुत प्रक्रिया

ब्रह्म कमल की सबसे विशेष बात यह है कि यह रात में खिलता है। आमतौर पर यह आधी रात के बाद खिलना शुरू होता है और सुबह होते-होते मुरझा जाता है और यह फूल साल भर में केवल एक बार ही खिलता है। इसकी यह विशेषता इसे और भी रहस्यमय बना देती है। कुछ लोग पूरी रात जागकर इसके खिलने का इंतजार करते हैं, क्योंकि यह दृश्य देखना लोगो के लिए काफी भाग्यशाली की बात है। फूल केवल 4 से 5 घंटे के लिए खिला रहता है। जब यह खिलता है तो इससे एक मनमोहक सुगंध निकलती है जो पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है।

फुल का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में ब्रह्म कमल को अत्यंत पवित्र माना गया है। इसका नाम ही ब्रह्मा के नाम पर रखा गया है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि यह पुष्प भगवान ब्रह्मा के आंसुओं से उत्पन्न हुआ था। भगवान शिव को यह पुष्प अत्यंत प्रिय है। बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर भगवान को ब्रह्म कमल चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है।

छत्तीसगढ़ में ब्रह्म कमल का खिलना

छत्तीसगढ़ में भी ब्रह्म कमल के खिलने की घटनाएं सामने आई हैं, जो एक आश्चर्यजनक और दुर्लभ घटना है। यह फूल जो मुख्य रूप से हिमालय की ऊंची चोटियों पर खिलता है, अब मैदानी इलाकों में भी खिलने लगा है। जशपुर जिले में स्थित सोगड़ा ब्रह्मनिष्ठालय आश्रम एक प्रसिद्ध धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र है। 4 नवंबर की रात आश्रम में ब्रह्म कमल का खिलना, सच में एक आश्चर्य की बात है।

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