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Bhuteshwar Mahadev Mandir: विश्व का सबसे बड़ा स्वयंभू शिवलिंग, हर साल बढ़ रही 6 से 8 इंच लंबाई

Bhuteshwar Mahadev Temple: छत्तीसगढ़ की धरती पर अनेको ऐसे पवित्र शिव मंदिर स्थापित है जो अपने आप में एक अनोखे और अद्भुत रहस्यों से युक्त हैं। इन्हीं में से एक है गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर, जिसे भकुर्रा महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

Bhuteshwar Mahadev Mandir: विश्व का सबसे बड़ा स्वयंभू शिवलिंग, हर साल बढ़ रही 6 से 8 इंच लंबाई
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By Chirag Sahu

Bhuteshwar Mahadev Temple: छत्तीसगढ़ की धरती पर अनेको ऐसे पवित्र शिव मंदिर स्थापित है जो अपने आप में एक अनोखे और अद्भुत रहस्यों से युक्त हैं। इन्हीं में से एक है गरियाबंद जिले के मरौदा गांव में स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर, जिसे भकुर्रा महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक स्थल है जो न केवल श्रद्धालुओं बल्कि चमत्कारों में रुचि रखने वालों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। आइए जानते है इस पवित्र स्थल की विशेषताओं को विस्तार से।

शिवलिंग का चमत्कार

भूतेश्वर महादेव मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसका स्वयंभू शिवलिंग है, जिसे विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग माना जाता है। इस शिवलिंग की वर्तमान ऊंचाई लगभग 18 फीट और गोलाई 21 फीट है। इस शिवलिंग में एक दरार होने की वजह से इसको अर्धनारीश्वर के रूप में भी पूजा जाता है। शिवलिंग की सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इसका आकार हर साल 6 से 8 इंच तक बढ़ता है। हर महाशिवरात्रि के अवसर पर इसकी ऊंचाई को मापा जाता है और यह चमत्कार भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। पहले यह शिवलिंग एक छोटे से टीले के रूप में था, जो समय के साथ विशाल रूप ले चुका है। बीते 75 वर्षों में इसकी ऊंचाई लगभग 15 फीट तक बढ़ी है। भूतेश्वर नाथ शिवलिंग के पीछे भगवान शिव और माता पार्वती अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ विराजमान है।

शिवलिंग से जुड़ी पौराणिक कथाएं

भूतेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास और इससे जुड़ी कथाएं इसे और भी रहस्यमयी बनाती हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में यह क्षेत्र भूतों और आत्माओं का निवास स्थान माना जाता था। एक कथा के अनुसार, कुछ चोरों ने इस स्थान पर लूट का माल छिपाया था, लेकिन रात में भूतों के डर से वे भाग खड़े हुए। इसके बाद भक्तों ने इस स्थान पर शिवलिंग की पूजा शुरू की, और इसे भूतों के स्वामी, यानी "भूतेश्वर महादेव" का नाम दिया गया।

एक अन्य कथा में कहा जाता है कि 100 वर्ष पहले इस स्थान पर पहले नंदी के रंभाने की आवाज सुनाई देती थी, पर पास जाने पर लोगों द्वारा देखा गया कि यह आवाज एक टीले से आ रही है, जिसके कारण इसे "भकुर्रा महादेव" भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ी भाषा में भकुर्रा का अर्थ होता है चिल्लाना। मंदिर परिसर में नंदी की मूर्ति भी स्थापित है। ऐसा विश्वास है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। इस शिवलिंग को जागृत शिवलिंग माना जाता है। भक्तों का मानना है कि जिस समय इस शिवलिंग का आकार बढ़ाना बंद हो जाएगा वह समय धरती के अंत होने का है।

सावन में लगती है भक्तों की भीड़

महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से भक्त जल चढ़ाने के लिए यहां आते हैं। और यहां तीन दिवसीय मेले का आयोजन भी होता है। इसे ज्योतिर्लिंग के समान सम्मान दिया जाता है और भक्तों का मानना है कि यहां दर्शन और पूजा से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। मंदिर में शिव-पार्वती की प्रतिमा भी स्थापित है, जो इस स्थान को और भी पवित्र बनाती है। भूतेश्वर महादेव मंदिर गरियाबंद जिला मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर की दूरी पर मरौदा गांव के पास स्थित है।

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