Bhuta Shuddhi Vivaha Full detail: क्या होता है भूत शुद्धि विवाह? इसमें सात की जगह होते है पांच फेरे; जानिए इस नए विवाह पद्धति के बारे में
Bhuta Shuddhi Vivaha Full detail: विवाह की यह नई पद्धति लोगो में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। हाल ही में दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु और फिल्म निर्माता राज निदिमोरु ने एक अनोखे तरीके से विवाह किया। यह शादी 01 दिसंबर 2025 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित ईशा योग केंद्र के लिंग भैरवी मंदिर में संपन्न हुई।टेलीविजन एक्ट्रेस जिया माणेक उर्फ गोपी बहू ने भी अपने पति वरुण जैन से भूत शुद्धि विवाह किया था।

Bhuta Shuddhi Vivaha Full detail: विवाह की यह नई पद्धति लोगो में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। हाल ही में दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेत्री सामंथा रूथ प्रभु और फिल्म निर्माता राज निदिमोरु ने एक अनोखे तरीके से विवाह किया। यह शादी 01 दिसंबर 2025 को तमिलनाडु के कोयंबटूर में स्थित ईशा योग केंद्र के लिंग भैरवी मंदिर में संपन्न हुई।टेलीविजन एक्ट्रेस जिया माणेक उर्फ गोपी बहू ने भी अपने पति वरुण जैन से भूत शुद्धि विवाह किया था। इस विवाह की सबसे खास बात यह है कि यह पारंपरिक हिंदू विवाह से बिल्कुल अलग है। आइए जानते है इस खास विवाह पद्धति के बारे में।
क्या होता है भूत शुद्धि विवाह
भूत शुद्धि विवाह एक ऐसी विवाह पद्धति है जो आध्यात्मिकता और योग विज्ञान पर आधारित है, इसे आम शादियों की भीड़-भाड़ और दिखावे से बिल्कुल अलग माना जाता है। यह पद्धति विवाह के दोनों जोड़ों के मध्य एक गहरा संबंध स्थापित करता है।
भूत शुद्धि विवाह में भूत का अर्थ होता है पांच मूलभूत तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन्हें पंचतत्व भी कहा जाता है और शुद्धि का अर्थ है शुद्धिकरण। इस प्रकार भूत शुद्धि विवाह का अर्थ हुआ एक ऐसा विवाह जिसमें वर और वधू के शरीर में मौजूद पांच तत्वों को शुद्ध किया जाता है।
कहां से आई यह विवाह पद्धति
यह विवाह पद्धति योगिक विज्ञान पर आधारित है और इसे ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने डिजाइन किया है। सद्गुरु के अनुसार जब दो लोग विवाह के पवित्र बंधन में बंधते हैं, तो यह केवल दो शरीरों के साथ साथ दो ऊर्जाओं का भी मिलन होता है। यह एक ऐसा बंधन है जो समय के साथ मजबूत होता जाता है और दंपतियों को एक दूसरे का सहारा बनने में मदद करता है।
विवाह की प्रक्रिया
भूत शुद्धि विवाह की प्रक्रिया अत्यंत पवित्र और व्यवस्थित होती है। यह विवाह मुख्य रूप से लिंग भैरवी देवी की उपस्थिति में संपन्न होता है। लिंग भैरवी देवी दिव्य स्त्री शक्ति का रूप मानी जाती हैं। ईशा योग केंद्र में स्थित यह 8 फुट की मूर्ति ऊर्जा का स्वरूप है।
विवाह की शुरुआत में वर और वधू पवित्र अग्नि के चारों ओर पांच फेरे लेते हैं, जो पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता हैं। हर फेरे के साथ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है जो दंपति के भीतर के तत्वों को शुद्ध करने में मदद करते हैं।
पांच फेरों की समाप्ति के बाद वर, वधू को लिंग भैरवी देवी का पेंडेंट और हल्दी का मंगलसूत्र पहनाता है। यह मंगलसूत्र आम विवाहों में इस्तेमाल होने वाले सोने के मंगलसूत्र से अलग होता है।
पारंपरिक हिंदू विवाह से काफी अलग
इस विवाह की रस्में काफी अलग है। इसमें सात फेरे नहीं होते जैसा कि पारंपरिक हिंदू विवाह में होता है। यहां केवल पांच फेरे होते हैं क्योंकि यह विवाह पांच तत्वों पर केंद्रित है। साथ ही इस विवाह में कन्यादान, विदाई या बारात जैसी रस्में भी नहीं होतीं। इसमें केवल करीबी परिवार और मित्रों को ही आमंत्रित किया जाता है। लगभग 30 से 40 लोगों की उपस्थिति में यह विवाह संपन्न होता है।
कौन–कौन करा सकता है यह विवाह
भूत शुद्धि विवाह नए जोड़ों के साथ साथ इन तीन तरह के लोगों के लिए भी है
• वे जोड़े जो अभी सगाई कर चुके हैं और जल्द ही विवाह करने वाले हैं। ऐसे जोड़े अपनी शादी की शुरुआत इस पवित्र अनुष्ठान से कर सकते हैं।
• जो पहले से विवाहित हैं, ऐसे दंपति अपनी शादी की सालगिरह पर या किसी विशेष अवसर पर यह विवाह करा सकते हैं।
• वे दंपति जो अपने साथी के 60वें या 80वें जन्मदिन पर इस विवाह को करवाना चाहते हैं, वे भी यहां विवाह कर सकते है। इस प्रकार के विवाह को षष्ठीपूर्ति के नाम से जाना जाता है।
विवाह की आवश्यक शर्तें
1. यदि वधू गर्भवती है तो यह अनुष्ठान नहीं किया जा सकता। इस अनुष्ठान में जिस तरह के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, वह गर्भावस्था के दौरान उचित नहीं माना जाता।
2. एक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह विवाह या तो सुमंगला महिलाएं करा सकती हैं या सुमंगला दंपति करा सकते हैं, लेकिन दो सुमंगला पुरुष मिलकर यह विवाह नहीं करा सकते। सुमंगला उन लोगों को कहते है जो भूत शुद्धि विवाह को संपन्न कराते है।
3. यह विवाह किसी भी धर्म या जाति के लोग करा सकते हैं। ध्यान रखें कि यह एक गंभीर और पवित्र अनुष्ठान है जिसे पूरी श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए।
