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Baima Nagoi Ka Mahamaya Mandir: देवी की इच्छा से बना है ये 800 साल पुराना मंदिर, जानिए बैमा नगोई माता महामाया मंदिर का रहस्य

Baima Nagoi Ka Mahamaya Mandir: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्राचीन महामाया मंदिर जो स्वयं माता की इच्छा से बना हुआ है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जो अपनी स्थापत्य कला और प्रभाव से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

Baima Nagoi Ka Mahamaya Mandir: देवी की इच्छा से बना है ये 800 साल पुराना मंदिर, जानिए बैमा नगोई माता महामाया मंदिर का रहस्य
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By Chirag Sahu

Baima Nagoi Ka Mahamaya Mandir: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्राचीन महामाया मंदिर जो स्वयं माता की इच्छा से बना हुआ है। यह एक ऐसा आध्यात्मिक केंद्र है जो अपनी स्थापत्य कला और प्रभाव से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह मंदिर, जो बिलासपुर शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बैमा नगोई गांव में स्थित है। माता महामाया के इस पवित्र धाम की स्थापना और इसकी रहस्यमयी कहानी इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है।

मंदिर का इतिहास

माता महामाया मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में कलचुरी राजवंश के शासनकाल के दौरान हुई थी। यह मंदिर पहले रतनपुर राज्य के अंतर्गत आता था। इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा भक्तों के बीच प्रचलित है, जो इसे और भी विशेष बनाती है। किवदंती के अनुसार, रतनपुर के राजा, माता महामाया की मूर्ति को एक रथ पर रखकर रतनपुर ले जा रहे थे। जब रथ बैमा नगोई गांव के पास पहुंचा, तो मूर्ति अचानक इतनी भारी हो गई कि रथ आगे बढ़ ही नहीं सका। उस रात राजा को स्वप्न में माता महामाया ने दर्शन दिए और अपनी इच्छा जाहिर की कि वे यहीं बैमा नगोई में विराजना चाहती हैं। राजा ने माता की इस इच्छा का सम्मान किया और उसी स्थान पर इस भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। इसलिए इस मंदिर को माता की इच्छा से बना हुआ मंदिर माना जाता है। यह कथा आज भी भक्तों के बीच श्रद्धा और आश्चर्य का विषय बनी हुई है।

मंदिर का धार्मिक महत्व

माता महामाया मंदिर शक्ति उपासना का एक प्रमुख केंद्र है, जहां माता के तीन स्वरूपों महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा की जाती है। ये तीनों स्वरूप शक्ति, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि रतनपुर में निवास करने से पहले माता महामाया बैमा नगोई में निवास करती थी और आज भी यहां विराजमान है। नवरात्रि के पर्व इस मंदिर में विशेष उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। इन नौ दिनों में भक्त माता को चुनरी, फल, फूल और अन्य प्रसाद अर्पित करते हैं। मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, और विशेष अनुष्ठानों का आयोजन होता है। मंदिर परिसर में यज्ञ कुंड,भगवान शिव का मंदिर, गणेश मंदिर और हनुमान मंदिर जैसे अन्य कई छोटे बड़े मंदिर है उपस्थित है। पहले यहां बलि प्रथा भी प्रचलित थी परंतु अभी यह वर्जित है।

संत गिरनारी बाबा का आगमन

जूना अखाड़ा के प्रसिद्ध संत गिरनारी बाबा रतनपुर होते हुए नगोई गांव आए। उन्होंने इस मंदिर का पूरा कायाकल्प कर लोगों को इसके लिए जागरूक किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन मंदिर के लिए ही समर्पित कर दिया। संत गिरनारी बाबा 2010 में ब्रह्मलीन हो गए। उनके जाने के बाद उनके शिष्य भक्तों द्वारा मंदिर में ट्रस्ट बनाया गया और यह ट्रस्ट ही मंदिर का संचालन कर रही है।

माता वैष्णो देवी मंदिर

जम्मू कश्मीर, कटरा की वैष्णो देवी मंदिर के तर्ज पर बैमानगोई में भी वैष्णो देवी मंदिर बनाया गया है, जो काफी भव्य और वास्तविक है। इस मंदिर में प्रवेश करने पर आपको गुफाएं और सुरंग जैसे अनुभव होंगे जो की बिल्कुल सजीव लगते हैं। इस मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी एक साथ किया जा सकते हैं। साथ ही माता के नौ रूपों की मूर्ति भी बनाई गई है। नवरात्रि के समय यहां भी भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है। माता वैष्णो देवी मंदिर बैमा नगोई के महामाया देवी मंदिर से दो किलोमीटर पहले पड़ता है।

बैमा नगोई कैसे पहुंचें

माता महामाया मंदिर बैमा नगोई, बिलासपुर शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर बिलासपुर-रतनपुर मार्ग पर स्थित है। यहां आप निजी टैक्सी या व्यक्तिगत वाहन से आसानी से पहुंच सकते है। रेल यात्रियों के लिए बिलासपुर जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो देश के कई प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राजधानी रायपुर से यहां की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है, जहां से सड़क मार्ग से बैमा नगोई पहुंचा जा सकता है।

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