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World Elephant Day 2024: छत्‍तीसगढ़ का अपना कुमकी हाथी राजू: जो कभी खुद करता था उपद्रव, अब करता है पूरे जंगल की निगरानी

World Elephant Day 2024: छत्‍तीसगढ़ के वनांचलों से आए दिन हाथियों के उत्‍पात की खबरें आती रहती हैं। कभी 2 दिन पहले जशपुर में गांव में घुसे एक हाथी ने 4 लोगों को रौंद दिया था, लेकिन हर हाथी ऐसा नहीं होता। कई हाथी उपद्रवी हाथियों को नियंत्रित भी करते हैं। इनमें एक राजू भी है, पढ़‍िये उपद्रवी से कुमकी हाथी बनने का पूरा सफरनामा।

World Elephant Day 2024: छत्‍तीसगढ़ का अपना कुमकी हाथी राजू: जो कभी खुद करता था उपद्रव, अब करता है पूरे जंगल की निगरानी
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By Sanjeet Kumar

World Elephant Day 2024: एनपीजी न्‍यूज डेस्‍क

आज पूरे देश में विश्‍व हाथी दिवस मनाया जा रहा है। केंद्र और राज्‍य सरकार के स्‍तर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, सरगुजा संभाग के वनांचलों में इन दिनों जंगली हाथियों का उत्‍पात की लगातार खबरें आ रही हैं। ऐसे में हम आपको छत्‍तीसगढ़ के एक ऐसे हाथी और उसके परिवार की कहानी बताने जा रहे हैं जो भी खुद उत्‍पात मचाते हुए पकड़ा गया था, लेकिन अब वह पूरे जंगल का पहरेदार बन गया है। वह न केवल उत्‍पात करने वाले हाथियों को भगाने में मदद करता है बल्कि लकड़ी तस्‍कर भी उससे खौफ खाते हैं। राजू अब विशाल दंतैल हाथी बन चुका है।

यह कहानी है छत्‍तीसगढ़ के अपने कुमकी हाथी राजू की। कुमकी हाथी आपने यह नाम कई बार सुना होगा। यह स्‍पष्‍ट करते हुए चले कि कुमकी हाथी की कोई प्रजाति नहीं बल्कि विशेष रुप से प्रशिक्षित हाथी को कहा जाता है। एक तरह से कहें तो कुमकी हाथी न केवल जंगली जानवरों को घने वानों में वापस भेजने की कला जानते हैं बल्कि अपने महावत के हर इशारे को समझते हैं और जंगल में विषम परिस्थितियों का सामना करने के काबिल होते हैं। छत्‍तीगसढ़ में जंगली हाथियों के बढ़ते आतंक को नियंत्रित करने (खदेड़ने) के लिए दक्षिण भारत से विशेष रुप से कुमकी हाथी लाए गए थे।

बहरहाल अब राजू की कहानी पर लौटते हैं। करीब 11 साल पहले राजू भी सामान्‍य जंगली हाथी था। राजनांदगांव के जंगलों में उत्‍पात मचा रहे युवा राजू को वन विभाग की टीम ने काफी मशक्‍कत के बाद पकड़ा था। इसके बाद से वह वन विभाग की निगरानी में रहा। कुछ साल पहले उसे सरगुजा क्षेत्र अचानकमार टाइगर रिजर्व के सिंहावल शिफ्ट किया गया। वहां पहले उसकी दोस्‍ती लाली नाम की हथ‍िनी से कराई गई। दोनों को एक दूसरे का साथ पसंद आया और आज उनके दो बच्‍चे भी हैं। राजू और लाली के परिवार के लिए जंगल में कैंप की स्‍थापना की गई है। जहां सौर ऊर्जा से चलने वाला मोटर पंप, तीन शेड, मेडिकल किट और महावत के परिवार के लिए आवास की व्यवस्था है।

राजू को प्रशिक्षित करके कुमकी मना दिया गया है। अब वह अपने महावत शिवमोहन राजवाड़े के साथ रोज जंगल की गश्‍त करता है। साथ में लाली और बड़ा बेटा सावन भी जाते हैं। छोटे बेटे का नाम फागू है, अभी वह काफी छोटा है, इस वजह से उसे अभी कैंप में ही रखा जाता है। जंगल की गश्‍त के दौरान राजू केवल वन्‍य जीवों की निगरानी करता है। जंगल में लकड़ी की तस्‍करी करने वालों में राजू का जबरदस्‍त खौफ है। लकड़ी काटने की आवाज राजू काफी दूर से ही सुन लेता है। एक बार उनकी कानों में आरी और टांगी की हल्‍की सी आवाज पहुंच जाए तो फिर वह चिंघाड़ता हुआ तस्‍करों की तरफ दौड़ पड़ता है।

तस्‍करों उसकी आवाज सुनकर ही भाग खड़े होते हैं। इसके बाद राजू तस्‍करों का छूटा हुआ सामान उठा कर अपने महावत को दे देता हैं। इनमें तस्‍करों की साइकिल भी शामिल है। अब तक राजू ऐसी 100 साइकिलें जब्‍त कर चुका है।

राजू का बड़ा बेटा सावन भी कुमकी हाथी बनने की राह पर है। राजू और उसके परिवार को पालतू बनाए रखने के लिए विशेष भोजन के साथ समय- समय पर स्‍वास्‍थ्‍य जांच और जरुरत पड़ने पर ईलाज भी उपलब्‍ध कराया जाता है। राजू कहीं से पकड़कर या घायल अवस्‍था में जंगल में छोड़े गए दूसरे जानवरों की भी निगरानी करता है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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