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एक्सीडेंट के वक्त क्यों नहीं खुले साइरस मिस्त्री के एयरबैग: जानिए कैसे काम करते हैं एयर बैग, वक्त पर खुलते क्यों नहीं, खुलने की रफ्तार कितनी...

एक्सीडेंट के वक्त क्यों नहीं खुले साइरस मिस्त्री के एयरबैग: जानिए कैसे काम करते हैं एयर बैग, वक्त पर खुलते क्यों नहीं, खुलने की रफ्तार कितनी...
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By NPG News

दिव्या सिंह

टाटा के पूर्व चैयरमेन साइरस मिस्त्री की दुर्घटना में मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम की शुरूआती रिपोर्ट बता रही है कि साइरस की मौत की वजह पॉलीट्रामा से हुई। यह पॉलीट्रामा क्या है? जवाब है कि एक्सीडेंट में साइरस मिस्त्री के शरीर के अंदरूनी अंगों में जबर्दस्त चोट पहुंची थी। मेडिकल टर्म में इसे ही पॉलीट्रॉमा कहते हैं। पॉलीट्रामा की वजह से साइरस मिस्त्री की मौके पर ही मौत हो गई थी। जैसे जैसे जांच आगे बढ़ रही है नये खुलासे हो रहे हैं. पहले कहा जा रहा था. मिस्त्री के सामने वाले एयर बेग खुलने के बाद भी उनकी जान चली गई. अब पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि एयर बेग नहीं खुले थे और

साइरस पॉलीट्रामा के शिकार हो गए क्योंकि समय पर एयरबैग नहीं खुले। मतलब अगर एयरबैग सही समय पर खुलते तो साइरस की जान बच सकती थी। इसकी पड़ताल करते हैं कि एयरबैग कैसे काम करते हैं। फिर इस पर बात करेंगे कि आखिर एयरबैग क्यों नहीं खुलते और किन हालात में नहीं खुलते।

एयरबैग को हम तीन हिस्सों में समझते हैं।

पहला... सेंसर

दूसरा... इंफ्लेटर

और तीसरा...एयरबैग

हम सबको पता है कि जब हम गाड़ी में सफर करते हैं और अचानक ब्रेक लग जाएं तो हम सामने की ओर तेजी से झुक जाते हैं। लेकिन इतने में एयरबैग नहीं खुलते। एयरबैग खुलने के लिए जरूरी है तीव्रता के साथ अचानक गाड़ी की गति रुक जाना। तब गाड़ी के अंदर चुंबक से चिपका एक स्टील बॉल चुंबक से छूट कर आगे खिसक जाता है और सामने के तारों को आपस में मिला देता है, जिससे एक क्लोज्ड सर्किट बनता है और करंट सिग्नल इन्फ्लेटर को पास होता है। यही चुंबक एक तरह से सेंसर का काम करता है जो आगे इन्फ्लेटर तक पहुंचा देता है।

इन्फ्लेटर जो एयरबैग का दूसरा हिस्सा है , एकदम स्टीरिंग के बीच फिक्स होता है। इसमें एक स्पार्क प्लग और सोडियम एजयड केमिकल होता है। तो सेंसर से आए इलेक्ट्रिक सिग्नल से स्पार्क प्लग से चिनगारी निकालता है ओर और केमिकल उस चिनगारी से रिएक्ट कर के ढेर सारा नाइट्रोजन गैस प्रोड्यूस करता है जो एयरबैग को फुला देता है। अब गाड़ी क तीसरा हिस्सा खुलता है एयर बैग।

320 किलोमीटर की रफ्तार से खुलता है एयरबैग

एयरबैग एयरबैग नायलॉन के बनता है और इसपर बाहर से टलकम पाउडर डालते हैं ताकिआसनी से खुल सके। एयरबैग 50 मिली सेकंड में खुलता है यानी 1/25 सेकंड में । अगर एयरबैग सही समय खुला तो आप को ऐक्सिडेंट से बचा लेगा लेकिन अगर टाइमिंग गलत हुई तो गंभीरता से घायल कर सकता है।

एयरबैग खुलने में टाइमिंग ही महत्वपूर्ण है।

जब कार किसी चीज से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त होता है तब टकराने की स्पीड के अनुसार ही कार का एयरबैग खुलता है। किसी चीज से टकराने पर कार का एक्सिलेरोमीटर सर्किट सक्रीय हो जाता है और सर्किट एक इलेक्ट्रिकल करेंट भेजता है जिससे आगे लगा सेंसर एयरबैग को सिग्नल देता है और एक सेकंड से भी कम समय (लगभग 1/20 सेकंड) में लगभग 320 किमी/घंटा की रफ़्तार से बंद एयरबैग फूलता है।

चार से नौ तक हो सकते हैं एयरबैग

केबिन में कई जगहों पर एयरबैग का उपयोग किया जता है, और वे हमारे शरीर के विभिन्न हिस्सों की बेहतर सुरक्षा के लिए अलग-अलग तरीकों से फुलाते हैं। आज कई कारें चार एयरबैग से लैस हैं, और ब्रांड के अलग-अलग मॉडल में नौ या अधिक हो सकते हैं।

साइरस मिस्त्री की कार में थे सात एयरबैग

साइरस मिस्त्री जिस कार में सफर कर रहे थे उसमें सात एयरबैग थे। उनकी मर्सडीज गाड़ी आधुनिक मॉडल थी और वह सफर करने वालों की जांघों और छाती की रक्षा करते हुए आगे और पीछे साइड एयरबैग से सुरक्षा देने में सक्षम थी।

एयर बैग नहीं खुलने की असली वजह

पुलिस ने पाया है कि साइरस मिस्त्री ने सीट बेल्ट नहीं पहनी थी। जबकि सीट बेल्ट और एयरबैग का सीधा संबंध होता है। एयरबैग खुलने के लिए जरूरी है कि घटना के वक्त आप सीट बेल्ट पहनें हों। इस मर्सिडीज कार में कुल चार लोग सवार थे। ड्राइव कर रही डॉक्टर अनायता और उनके पति दरीयस आगे की सीटों पर थे, जबकि साइरस मिस्त्री और जहांगीर पंडोले पीछे वाली सीटों पर बैठे थे। मिस्त्री और जहांगीर दोनों ने सीट बेल्ट नहीं लगाया था। वहीं, डिवाइडर से टकराने के बाद कार के अगले एयरबैग तो खुल गए, लेकिन पीछे वाले एयरबैग सही समय पर नहीं खुले।

शोक के वक्त सबक का भी

आप समझ ही गए होंगे कि एयरबैग नहीं खुलने का एक बड़ा कारण सीट बेल्ट नहीं पहनना भी होता है। मर्सिडीज कार में जो लोग सामने बैठे थे उन्होंने सीट बेल्ट लगा रखी थी और उनके एयरबैग खुल गए। उनकी जान बच गई। लेकिन पीछे वाले एयर बैग नहीं खुले उनकी जान चली गई। साइरस मिस्त्री की मौत से पूरा देश गमगीन है। इस शोक के बीच सबक लेने का भी वक्त है। सबक है कि जब भी गाड़ी चलाएं सीट बेल्ट जरूर पहनें क्योंकि साइरस मिस्त्री की तरह ही हर किसी की जिंदगी अनमोल है।

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