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जब लता जी को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, फिर 30 हजार से ज्यादा गाने गाकर रचा इतिहास...जानें वो क्या था किस्सा....

जब लता जी को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, फिर 30 हजार से ज्यादा गाने गाकर रचा इतिहास...जानें वो क्या था किस्सा....
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By NPG News

मुंबई 6 फरवरी 2022. फिल्म इंडस्ट्री की दिग्गज गायिका और स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर पूरा देश गम में डूबा है। लता जी हमारे बीच अब नहीं है, लेकिन उनके गाने उन्हें हमेशा के लिए अमर कर गए। क्या आप जानते हैं कि आपके दिलों पर राज करने वाली लता मंगेशकर को भी रिजेक्ट कर दिया गया था था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि यही आवाज कई भावी पीढ़ियों तक संगीत जगत पर राज करेगी।

कई लोगों ने उनकी आवाज को पतली और कमजोर बताते हुए गाना गवाने से इनकार कर दिया था। लता जी को उनकी पतली आवाज के लिए रिजेक्ट करने वाले पहले इंसान कोई और नहीं बल्कि मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी थे।

बात तब की है जब लता जी के गुरु गुलाम हैदर साहब ने फिल्म मेकर एस मुखर्जी को अभिनेता दिलीप कुमार और कामिनी कौशल की फिल्म 'शहीद' के लिए लता जी की आवाज सुनाई। इस दौरान उनके गाने को बड़े ध्यान से सुनने के बाद मुखर्जी ने कहा कि वह उन्हें अपनी फिल्म में काम नहीं दे सकते क्योंकि उनकी आवाज ज्यादा ही पतली है। एस मुखर्जी से मिले रिजेक्शन के बाद फिर गुरु गुलाम हैदर साहब लताजी को काम दिलवाने की कोशिश की। एक बार हैदर साहब खुद लता मंगेशकर और दिलीप कुमार के साथ मुंबई की लोकल ट्रेन से सफर कर रहे थे। इस दौरान हैदर ने सोचा कि क्यों ना दिलीप साहब को ही लता जी की आवाज सुनाई जाए तो शायद उन्हें काम मिल जाए।

इस दौरान जैसे ही लता जी ने गाना शुरू किया दिलीप कुमार ने उन्हें टोकते हुए कहा कि मराठियों की आवाज से दाल भात का गंध आती है। दरअसल अपनी टिप्पणी के जरिए दिलीप कुमार लता जी के उच्चारण की तरफ इशारा कर रहे थे। दिलीप कुमार की इस टिप्पणी के बाद लता जी ने हिंदी और उर्दू सीखने के लिए एक टीचर रखा और अपनी उच्चारण को सही किया। सुरों के साथ-साथ धुन की पक्की लता मंगेशकर ने सबकी बताई गलतियों से सबक लेते हुए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज लता मंगेशकर स्वर कोकिला के नाम से पहचानी जाती हैं। इतना ही नहीं फिल्म इंडस्ट्री में कमाई अपनी शोहरत की बदौलत ही आज वह उस मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना सबके बस की बात नहीं।

मंगेशकर ने 'मुगल-ए-आजम' के लिए 'जब प्यार किया तो डरना क्या' गीत गाकर संगीत जगत में तहलका मचा दिया. इसी दशक में उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए 35 साल में 700 से अधिक गीत गाए, जिनमें से अधिकतर बहुत लोकप्रिय हुए. मंगेशकर ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ युगल गीत गाए. सत्तर के दशक में मंगेशकर ने अभिनेत्री मीना कुमारी की आखिरी फिल्म 'पाकीजा' और 'अभिमान' के लिए बेहतरीन गीत गाए. उन्होंने 80 के दशक में ''सिलसिला'', ''चांदनी'', ''मैंने प्यार किया'', ''एक दूजे के लिए'', ''प्रेम रोग'', ''राम तेरी गंगा मैली'' और ''मासूम'' फिल्मों के लिए गीत गाए. लता जी ने इंडस्ट्री में 30,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दे चुकी है...


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