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हम शर्मिंदा हैं पूर्णानंद: शौर्य चक्र लेकर शहीद के माता-पिता पहुंचे पर एयरपोर्ट पर सीआरपीएफ या छत्तीसगढ़ पुलिस से कोई मिलने भी नहीं पहुंचा, पूर्व सैनिकों ने किया सम्मान...

10 फरवरी 2020 को सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन में पदस्थ जवान पूर्णानंद साहू पामेड़ इलाके में नक्सलियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।

हम शर्मिंदा हैं पूर्णानंद: शौर्य चक्र लेकर शहीद के माता-पिता पहुंचे पर एयरपोर्ट पर सीआरपीएफ या छत्तीसगढ़ पुलिस से कोई मिलने भी नहीं पहुंचा, पूर्व सैनिकों ने किया सम्मान...
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By NPG News

रायपुर, 02 जून 2022। नक्सलियों से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान देने वाले एक शहीद जवान के माता-पिता गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से शौर्य चक्र लेकर एयरपोर्ट पहुंचे, लेकिन सीआरपीएफ या छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से कोई उन्हें मिलने के लिए भी नहीं पहुंचा। पूर्व सैनिकों ने उनका सम्मान किया। उनके साथ मौजूद भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की।

10 फरवरी 2020 को पामेड़ इलाके में एक नक्सल मुठभेड़ में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन का जवान पूर्णानंद साहू शहीद हो गया था। नक्सल गतिविधि की सूचना मिलने पर कोबरा बटालियन की टीम गई थी, उसमें पूर्णानंद भी था। जब नक्सलियों ने फोर्स को घेरना शुरू किया, तब पूर्णानंद ने एक छोर पर मोर्चा संभाला और पीछे से आ रही नक्सलियों की गोलियों की परवाह नहीं करते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस तरह पूर्णानंद ने अपने साथियों को तो बचा लिया, लेकिन खुद शहीद हो गया। इस बलिदान के लिए राष्ट्रपति कोविंद ने 31 मई को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया।


02 जून को पूर्णानंद के पिता लक्ष्मण साहू, मां उर्मिला बाई और बहन दिल्ली से लौटे तो एयरपोर्ट तक कोई नहीं पहुंचा। शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद के माता-पिता के आने की खबर पूर्व सैनिकों को थी। वे फूल माला के साथ सम्मानित करने के लिए पहुंचे थे, लेकिन उन्हें यह जानकर निराशा हुई कि सीआरपीएफ या छत्तीसगढ़ पुलिस की ओर से कोई भी नहीं आया है।

बीजेपी नेता श्रीवास ने सीआरपीएफ के डीआईजी को भी खबर दी, लेकिन कोई वहां नहीं पहुंचा। इस बीच एयरपोर्ट अथारिटी ने भी उन्हें इंतजार करने के लिए लाउंज खोलने से इंकार कर दिया था। अधिकारियों को जब इस बात की खबर दी गई कि शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद के माता-पिता हैं, तब जाकर उन्हें जगह मिली। वहीं पर चाय-नाश्ते का बंदोबस्त किया गया। जब कोई मदद नहीं मिली, तब श्रीवास ने घर जाने के लिए वाहन की व्यवस्था की।

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