Begin typing your search above and press return to search.

Train Ambulance Fraud: ट्रेन एंबुलेंस रैकेट: टॉप टू बॉटम मिलीभगत, पढ़‍िये- कौन-कौन शामिल, कहां-कहां जा रहा हिस्सा

Train Ambulance Fraud:

Train Ambulance Fraud: ट्रेन एंबुलेंस रैकेट: टॉप टू बॉटम मिलीभगत, पढ़‍िये- कौन-कौन शामिल, कहां-कहां जा रहा हिस्सा
X
By Sanjeet Kumar

Train Ambulance Fraud: बिलासपुर। भारतीय रेल में इन दिनों एक बड़ा रैकेट कहें या फिर गैंग सुनियोजित तरीके से लोगों की जेब पर डाका डालने का काम कर रहा है। गैंग ने इसका नाम दिया है ट्रेन एंबुलेंस। रेलवे के अफसरों की मानें तो भारतीय रेल में इस तरह की सुविधा ना तो आम आदमी के लिए और ना ही खास आदमी के लिए है। यही नहीं रेलवे ने अपने कर्मचारियों को भी यह सुविधा नहीं दी है। फिर एक बड़ा सवाल है कि आखिर किसकी सरपरस्ती पर गिरोह लोगों को ठगने के नाम पर ट्रेन एंबुलेंस की सुविधा मुहैया करा रही है।

भारतीय रेल में सुरक्षा के नाम पर रेलवे का अपना पूरा सेटअप है। रेलवे में एसपी से लेकर सुरक्षा अधिकारियों की लंबी फौज है।जीआरपी के अलावा आरपीएफ मतलब रेलवे का अपना पुलिस फोर्स। संरक्षा अधिकारी से लेकर तमाम बड़े अफसर। हर महीने यात्री सुविधा और सुरक्षा की समीक्षा भी होती है। तगड़ी सुरक्ष,समीक्षा और भारी भरकम सेटअप के बाद आखिर ये चूक क्यों हो रही है। इसके पीछे किसकी मिलीभगत है और ट्रेन एंबुलेंस के नाम पर गोरखधंधा चलाने वालों का किसका संरक्षण मिला हुआ है।यह जांच का गंभीर विषय हो सकेता है।

ट्रेन एंबुलेंस के नाम पर कोई किसी भी ट्रेन के सुरक्षित कूपे में घुस जाए और किसी भी तरह के आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे दे तो जिम्मेदारी किसकी होगी। कौन होगा इसका जिम्मेदार।रेलवे ने तो एक नोटिस चस्पा कर अपनी जिम्मेदारी से बाहर हो गया है। सवाल यह भी है कि भारी भरकम सेटअप पर रेलवे के सुरक्षा अधिकारियों और जवानों की नजरें क्यों नहीं जाती है। यह गिरोह लंबे समय से भारतीय रेल के अलग-अलग डिवीजन और जोन में लोगों को एंबुलेंस सुविधा के नाम पर लाखों रुपये का चुना लगा रहा है।

NPG के खुलासे के बाद रैकेट का भांडा फूटने की संभावना

रविवार को ट्रेन एंबुलेंस के नाम से फर्जीवाड़ा के मामले को उजागर करते हुए एनपीजी ने प्रमुखता से रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में एनपीजी ने बताया था कि खड़गपुर से रायपुर तक यात्रा कर रही 30 वर्षीय महिला मरीज को ट्रेन एंबुलेंस के नाम से फर्जी कंपनी के संचालकों ने 65 हजार वसूल लिए। सृष्टि एक्का नाम की महिला एक्सीडेंट में घायल हुई थी। उनके हाथ, पैर और शरीर में कई चोटें और फ्रैक्चर थी। सृष्टि एक्का को ट्रेन के दरवाजे के पास फर्श पर सुलाकर यात्रा करवाई जा रही थी। हर्ष एक्का नामक अटेंडर महिला मरीज के साथ था। ट्रेन में यात्रा के दौरान यात्रियों को आवागमन में असुविधा हो रही थी।

पंचमुखी एयर और ट्रेन एम्बुलेंस सर्विस,ये है कौन,किसकी अनुमति से लगाते हैं उपकरण

महिला के पास पंचमुखी एयर और ट्रेन एम्बुलेंस सर्विस की रसीद थी। पंचमुखी एयर एंड ट्रेन एम्बुलेंस सर्विस की रसीद में जो नंबर दिया है उसमें फोन लगा कर बात करने पर बताया गया कि ट्रेन एंबुलेंस के नाम से स्पेशल कोई ट्रेन नहीं चलाई जाती और ना ही कोई स्पेशल बोगी होती है। रूटीन की जो यात्री ट्रेन होती है उसी में वेंटिलेटर ऑक्सीजन और अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरण लगाकर उसे आईसीयू का रूप दे दिया जाता है। यह पूछने पर कि क्या इसके लिए रेलवे से कोई अनुमति ली जाती है तब जवाब दिया गया किसके लिए कोई विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

एंबुलेंस सर्विस प्रदाता की सफाई देखिए

फर्श पर लेटा कर यात्रा करवाने के सवाल पर कहां गया कि महिला के पैर में रॉड लगा था जिसके चलते बोगी में एंट्री करवाने के लिए उन्हें मोडते नही बन रहा था। उन्हें वापस उतार कर रोड एंबुलेंस से ले जाया जाता पर तब तक ट्रेन निकल गई और समय नहीं बचा, इसलिए मजबूरीवश उन्हें दरवाजे पर लेटकर यात्रा करनी पड़ी।

एक बड़ा सवाल यह भी,एक साथ एसी की चार सीटें कैसे मिल जाती है

ट्रेन के एसी कंपार्टमेंट में एसी–2 या एसी फर्स्ट में चार सीटों को बुकिंग की जाती है। उसके बाद उस कूपे को अवैध रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर, लाइफ सपोर्टर और अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरण के साथ इसे मिनी आईसीयू का रूप दिया जाता है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि एक साथ एसी कूपे में चार सीटें कैसे मिल जाती है। एसी जैसे सुरक्षित कूपे में जब गैस सिलेंडर सहित अन्य सामान चढ़ाते हैं तब सुरक्षा बल के तैनात जवान पूछताछ क्यों नहीं करते। कार्रवाई क्यों नहीं की जाती।

सुरक्षा यंत्रों से ऐसा खिलवाड़,समझ से परे

ट्रेनों में लगाए गए चार्जिंग साकेट के नीचे रेलवे द्वारा यह सूचना लिखी जाती है कि इसका उपयोग सिर्फ और सिर्फ चार्जिंग के लिए हो सकता है, पानी गर्म करने या चाय बनाने के लिए यह उपयोगी नहीं है। जबकि ट्रेन एंबुलेंस में इसी साकेट से पूरी बिजली की सप्लाई की जाती है। आम यात्रियों को लाइटर तक ट्रेन में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती जबकि यह रैकेट पूरा का पूरा ऑक्सीजन सिलेंडर ट्रेन में इस्तेमाल करते हुए मरीजों को यात्रा करवाता है। इसकी तस्वीर भी सामने आई है।

पंचमुखी ट्रेन एम्बुलेंस सर्विस बकायदा विज्ञापन जारी कर इसके लिए ग्राहकों को सुविधा उपलब्ध करवाने का दावा करता है। एनपीजी के पास उपलब्ध वीडियो, फोटो में स्पष्ट है कि ट्रेन के कूपे को मिनी एंबुलेंस बना यात्रा करवाई जा रही है। इस पर ट्रेन में टिकट चेकिंग कर रहे टीटीई की नजर नहीं पड़ती और ना ही सुरक्षा के लिए ट्रेनों में उपलब्ध स्टाफ की नजर इसमें पड़ती है। या यू कहे कि जानबूझकर इसे नजरअंदाज किया जाता है।

टर्म्स एंड कंडिशंस भी लागू, कैंसिल होने पर 50% चार्ज:–

रेल एंबुलेंस के द्वारा इसके लिए बाकायदा टर्म्स एंड कंडीशन भी दी जाती है जो एनपीजी के पास उपलब्ध है। उनके ब्रोशर में एक मरीज के सर्ग एक डॉक्टर, पैरामेडिक टेक्नीशियन, एक अटेंडर रहता है। इसमें वेंटिलेटर, इन्फ्यूजन पंप,सक्शन मशीन, नेबुलाइजर रहता है। यात्रा कैंसिल करने पर 50% तक रकम कैंसिलेशन चार्ज के रूप में काट ली जाती है।

पढ़किए SECR ने क्या कहा

यात्रियों से अपील ! ट्रेन एंबुलेंस जैसी सुविधा के लिए टिकट बेचने वाले ठगों से रहें सावधान। रेलवे प्रशासन को विभिन्न समाचार-पत्रों के माध्यम से यह जानकारी मिली कि पंचमुखी एयर एंड ट्रेन एंबुलेंस सर्विस प्रा.लि. नई दिल्ली द्वारा गाड़ी संख्या 12906 शालीमार-पोरबंदर एक्सप्रेस में ट्रेन एंबुलेंस सुविधा के नाम से टिकट जारी कर यात्री से ठगी की गई है। साथ ही लोगों को ठगने के लिए कुछ निजी कंपनी द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।

रेलवे प्रशासन स्पष्ट करता है कि रेलवे ऐसी यात्रा की अनुमति नहीं देता है। ट्रेन एंबुलेंस की सुविधा रेलवे कर्मचारियों को भी नहीं दी जाती है। अतः रेलवे प्रशासन आम यात्रियों से अपील करता है कि सावधान रहें और ऐसे सुविधा देने के नाम पर ठगी करने वालों के बहकावे न आयें। ट्रेनों में उपलब्ध सुविधाओं की विस्तृत जानकारी रेलवे एकीकृत हेल्प लाइन नं 139 में भी ली जा सकती है।



Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story