रेप पीड़िता की कुंडली की जांच पर रोक: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता मांगलिक है या नहीं, यह जानने के लिए ज्योतिष विभाग से मांगी थी रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट की रोक...
नई दिल्ली ब्यूरो. सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें रेप पीड़िता मांगलिक है या नहीं, इसकी जांच के निर्देश दिए गए थे. इस फैसले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई, बल्कि हाईकोर्ट को केस की मेरिट के आधार पर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं.
यह मामला उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिनहट थाने से जुड़ा है. पीड़िता ने गोविंद राय उर्फ मोनू नाम के युवक के खिलाफ 15 जून 2022 को रेप की रिपोर्ट लिखाई थी. पीड़िता का आरोप था कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उससे संबंध बनाया. इसके बाद जब पीड़िता ने शादी की बात की तो उसने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह मांगलिक है. पुलिस ने मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
इसी मामले में आरोपी ने जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी. इस पर सुनवाई के दौरान आरोपी ने दलील दी कि पीड़िता मांगलिक है, इसलिए वह उससे शादी नहीं कर सकता है. इस दलील को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को रेप पीड़िता की कुंडली की जांच करने का आदेश दे दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस बृजराज सिंह ने अपने आदेश में कहा, याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि लड़की मांगलिक है, लिहाजा उसकी शादी गैर-मांगलिक आदमी के साथ नहीं हो सकती. ऐसे में यह जानने के लिए कि क्या वाकई लड़की मांगलिक है या नहीं, दोनों पक्षकार लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर के सामने अपनी-अपनी कुंडली पेश करें.’
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष को निर्देश दिया कि वो कुंडलियों का अध्ययन और मिलान कर तीन हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपे.
इस फैसले को लोगों में काफी चर्चा रही. इसमें कई तरह की प्रतिक्रियाएं आईं. मीडिया में भी यह खबर चर्चा में रही. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और शनिवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले में केस की मेरिट पर सुनवाई करेगा.