Social Engineering Of Tickets: CG जातिगत टिकिट में BJP कांग्रेस से आगे निकली: जानिए दोनों पार्टियों ने किस जाति के कितनों को दिया टिकिट...
Social Engineering Of Tickets: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के पहले से देश में ओबीसी को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। जातिगत जनगणना की मांग उठ रही है। ऐसे में यह देखना जरुरी है कि राज्य में दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने कितने ओबीसी को टिकट दिया है।
Social Engineering Of Tickets: रायपुर। छत्तीसगढ़ की 90 में से 29 सीट अनुसूचित जनजाति (एसी) और 10 सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। बाकी 51 सीट सामान्य हैं। यानी प्रदेश में 51 सीटों पर ओबीसी या सामान्य वर्ग के प्रत्याशी चुनाव लड़ सकते हैं।
प्रदेश में सत्तरुढ़ कांग्रेस पार्टी अब तक 83 और भाजपा 86 सीटों पर प्रत्याशी की घाोषणा कर चुकी है। कांग्रेस ने जिन 7 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है उसमें एक एससी और एक एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। बाकी 5 सीट सामान्य हैं। वहीं, भाजपा जिन 4 सीटें प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है, वो सभी सीट सामान्य हैं।
भाजपा ने कांग्रेस से 3 ज्यादा प्रत्याशियों की घोषणा की है। साथ ही ओबीसी वर्ग को टिकट देने के मामले में भी भाजपा कांग्रेस से आगे हैं। कांग्रेस ने 26 ओबीसी को टिकट दिया है। इसमें 6 साहू, यादव 3 और कुर्मी प्रत्याशियों की संख्या 6 है । भाजपा के 86 में से 31 उम्मीदवार ओबीसी हैं। इनमें भी साहू प्रत्याशियों की संख्या 10 है। प्रदेश में ओबीसी आबादी में साहू के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव कुर्मी वोटरों का रहता है। भाजपा ने 8 कुर्मी को टिकट दिया है। भाजपा ने यादव समाज से दो, कलार समाज से दो, अघरिया, लोधी, मरार, पटेल, देवांगन और नाई समाज से भी एक-एक उम्मीदवार को टिकट दिया है।
भाजपा के 86 में से 17 प्रत्याशी अपर कास्ट के हैं। इनमें 5 ब्राह्मण हैं। 2 राजपूत, 3 ठाकुर और 1 क्षत्रिय भी हैं। पार्टी ने 3 बनिया- मारवाड़ी और 2 जैन समाज से भी प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने एक मुस्लिम, एक कोष्टा, एक कायस्त, आठ ब्राह्मण और एक मरवाड़ी को टिकट दिया है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने 30- 30 एसटी प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। दोनों भाजपा ने एक और कांग्रेस ने 2 सामान्य सीट पर भी आदिवासी को टिकट दिया। भाजपा ने आदिवासी प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा 17 गोंड आदिवासी हैं।
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रायपुर। महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की जब बात आई, तो सारे सियासी दल श्रेय लेने की होड़ में शामिल हो गए। संसद में सबने अपनी पीठ ठोंकी। कांग्रेस ने कहा कि वो पहली बार लेकर आए, उन्होंने राज्यसभा में बिल पास करा लिया था और भाजपा ने तो इसका श्रेय अपने माथे पर लेने अभियान ही छेड़ दिया। लेकिन संसद में पास होने के बाद भी अभी चुनाव में इस विधेयक के मुताबिक टिकट देने में पेंच है। हालांकि सियासी दलों के पास ये रास्ता खुला है कि अगर वे महिलाओं के सच्चे रहनुमा हैं, तो टिकट क्यों नहीं देते। छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा पहले ही 86 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। जबकि आज कांग्रेस ने भी दूसरी सूची के साथ कुल 83 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया। लेकिन सूची में महिलाओं की संख्या को देखकर निराशा हुई है। आगे पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें