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Chhattisgarh Assembly Election 2023 : CG स्टूडेंट्स लीडर से चुनावी सियासत: जूदेव समर्थक सुशांत शुक्ला सीटिंग MLA राजनीश सिंह पर कैसे पड़े भारी, पढ़िए पूरा किस्सा

सुशांत शुक्ला राज्य युवा आयोग के सदस्य रहे हैं। इस दौरान उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्य समिति के 2011 से 2016 तक सदस्य रहें हैं।

Chhattisgarh Assembly Election 2023 : CG स्टूडेंट्स लीडर से चुनावी सियासत: जूदेव समर्थक सुशांत शुक्ला सीटिंग MLA राजनीश सिंह पर कैसे पड़े भारी, पढ़िए पूरा किस्सा
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By yogeshwari varma

Chhattisgarh Assembly Election 2023रायपुर. छत्तीसगढ़ की ब्राह्मण बहुल बेलतरा सीट से भाजपा ने सुशांत शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है. बेलतरा सीट से सुशांत का नाम पहले ही दौड़ में शामिल था, लेकिन एक मौका ऐसा भी आया, जब विजय धर दीवान का नाम आगे हो गया था. यहां तक कि बुधवार को सुबह नामांकन फार्म खरीदने के लिए दीवान कलेक्टोरेट भी पहुंच गए थे. दीवान को देखकर यह मान लिया गया था कि ऊपर से उन्हें इशारा मिल गया है. यह बात अभी धीरे-धीरे फैलनी शुरू हुई थी कि भाजपा की बची हुई चार सीटों के साथ बेलतरा से सुशांत के नाम का ऐलान हो गया. नाम घोषित होने के बाद नामांकन फार्म खरीदने के लिए सुशांत भी कलेक्टोरेट पहुंच गए. आखिरकार ऊहापोह खत्म हो गई. अब लोगों में इस बात की चर्चा है कि आखिर बाजी कैसे पलटी? दरअसल, सुशांत को जब प्रवक्ता बनाया गया, तभी यह माना गया था कि दावेदारी खत्म हो चुकी है. इसके बाद लोगों ने भले ही सुशांत को दौड़ से बाहर मान लिया, लेकिन सुशांत की दौड़-भाग जारी रही. और नतीजा सबके सामने है.

जूदेव के निधन के बाद पकड़ी दिल्ली की राह

सुशांत को कट्‌टर िहंदू नेता दिलीप सिंह जूदेव का समर्थक माना जाता था. जूदेव की तरह ही सुशांत ने भी लुक बना लिया था. जूदेव जब बिलासपुर के सांसद थे, तब सुशांत को लोगों ने राजनीति में उभरते देखा. इससे पहले छात्र नेता के रूप में पहचान थी. जूदेव का प्रशासनिक आतंकवाद का जुमला सुशांत के संदर्भ में था। बीजेपी की सरकार होने के बाद भी बिलासपुर पुलिस ने सुशांत के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। जूदेव इसके बाद बिलासपुर पहुंचे और बोले बिलासपुर में प्रशासनिक आतंकवाद चल रहा है। उनके बयान पर सरकार हिल गई थी। अगस्त, 2013 में जूदेव के निधन के बाद सुशांत ने दिल्ली की राह पकड़ी. परिवार का आरएसएस बैकग्राउंड और खुद की भी स्वयंसेवकों के रूप में पहचान होने के कारण भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली. तत्कालीन भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सिंह ठाकुर के संपर्क में आने के बाद दूसरे राज्यों में प्रभारी के रूप में काम करने का भी मौका मिला. आखिरकार उस दौर में काम का फायदा मिला और जब प्रवक्ता के रूप में सुशांत को सबने दौड़ से बाहर मान लिया, तब दिल्ली के एप्रोच से राह आसान हो गई.

सामान्य के मुकाबले ब्राह्मण प्रत्याशी पर जोर

एक और महत्वपूर्ण समीकरण यह भी बना कि कांग्रेस ने इस बार ओबीसी के बजाय सामान्य वर्ग से प्रत्याशी उतारा. बिलासपुर जिले के अध्यक्ष विजय केशरवानी को कांग्रेस ने बेलतरा से टिकिट दिया, तब भाजपा पर सामान्य वर्ग के साथ-साथ ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने का दबाव था. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सीएम के सलाहकार प्रदीप शर्मा और कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं ने बिलासपुर में एक भव्य ब्राह्मण सम्मेलन कराया था. ऐसे में भाजपा पर भी बेलतरा ही नहीं, बल्कि बिलासपुर, तखतपुर सीटों पर ब्राह्मण वोटरों को साधने का दबाव था. ऐसे में रजनीश सिंह की सक्रियता के बावजूद ब्राह्मण चेहरे की तलाश शुरू की गई. इनमें नए-पुराने मिलाकर कई चेहरे दावेदारों में शामिल थे. अंत में सुशांत पर संगठन ने मुहर लगा दी.

BJP Candidate Shushant Shukla Biography in Hindi: भाजपा ने बिलासपुर जिले की बेलतरा विधानसभा से सुशांत शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है। युवा सुशांत शुक्ला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। हालांकि पिछली बार भी उनका नाम टिकट की दौड़ में शामिल था। पर वे रजनीश सिंह से पिछड़ गए थे। वर्तमान में बेलतरा से भाजपा के रजनीश सिंह ही विधायक है। अपने सिटिंग एमएलए की टिकट काटकर भाजपा ने युवा सुशांत शुक्ला को इस बार चुनाव मैदान में उतारा है। उनके खिलाफ कांग्रेस ग्रामीण के जिला अध्यक्ष विजय केसरवानी मैदान में होंगे, जिनसे उनकी सीधी टक्कर है।

40 वर्षीय सुशांत शुक्ला के पिता का नाम हीरामणी शुक्ला है। उनके पिता छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से सेवानिवृत हुए हैं। बिलासपुर के सरकंडा के शिव घाट में रहने वाले सुशांत शुक्ला चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के हैं। उनसे बड़े एक भाई व एक बहन है, व उनसे छोटी एक बहन है। सुशांत शुक्ला के पिता हीरामणि शुक्ला भी आरएसएस पृष्ठभूमि के रहे हैं। वे आरएसएस के प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। छतीसगढ़ी राजभाषा को पहचान दिलवाने वाले उनके बड़े पिता नंदकिशोर शुक्ला आरएसएस के कैडर बेस कार्यकर्ता रहे हैं। वे अटल बिहारी वाजपेयी के आरएसएस में सक्रिय होने के समय से आरएसएस में रहें हैं और प्रचारक की भूमिका निभाई है। नंदकिशोर शुक्ला ने छत्तीसगढ़ी को पहचान दिलाने के लिए साइकिल में मिलों लंबी यात्रा की है। वह पत्रकारिता से भी 30 वर्षों से जुड़े रहे हैं। उनके अथक प्रयासों से छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिला है। वे छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच व मोर चिन्हारी छत्तीसगढ़ी संस्था के सरंक्षक है।

सुशांत शुक्ला ने 12वीं के बाद बीकॉम सेकंड ईयर तक की शिक्षा हासिल की है। वह पेशे से व्यवसायी हैं। प्रदेश के दिग्गज बीजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री के अलावा बिलासपुर सांसद रहे दिलीप सिंह जूदेव की उंगली पड़कर सुशांत शुक्ला ने राजनीति का ककाहरा सिखने वाले सुशांत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के बाल स्वयं सेवक रहें है। सुशांत शुक्ला जूदेव के कट्टर समर्थको में गिने जाते थे। वे जूदेव सेना प्रमुख भी थे। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल बनाकर सुशांत शुक्ला काफी लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। उनके पैनल ने विश्वविद्यालय छात्रसंघ में कई बार जीत हासिल की है। बेलतरा विधानसभा में स्थित गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने के लिए चलाए गए आंदोलन में सुशांत शुक्ला और उनके विश्वविद्यालय छात्र महासंघ पैनल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 2009 में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद सुशांत शुक्ला का छात्र महासंघ पैनल ब्रदरहुड़ पैनल में परिवर्तित हो गया।

सुशांत शुक्ला राज्य युवा आयोग के सदस्य रहे हैं। इस दौरान उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्य समिति के 2011 से 2016 तक सदस्य रहें हैं। सुशांत शुक्ला 2016 से 2020 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक भी रहे हैं।

वर्तमान में सुशांत शुक्ला प्रदेश सह प्रभारी भारतीय जनता युवा मोर्चा छत्तीसगढ़ है। इसके अलावा संगठन प्रभारी चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र हैं। प्रदेश भाजपा मीडिया पैनलिस्ट में भी उनका नाम है। सुशांत शुक्ला का पूरा परिवार भी भाजपा व आरएसएस से लंबे समय से जुड़ा रहा है। उनके चाचा चंद्रभूषण शुक्ला भाजपा पार्षद रहने के साथ ही 1994 में नगर निगम नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। सुशांत शुक्ला के परिवार में चार मीसा बंदी और चार कार सेवक भी हैं।

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