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शिक्षकों की ड्यूटी चेकपोस्ट में: प्रमुख सचिव शिक्षा की स्थिति पर चिंता जता रहे थे और एसडीएम ने चेक पोस्ट में लगा दी ड्यूटी

नक्सल प्रभावित भैरमगढ़ में डेढ़ दर्जन शिक्षक चार शिफ्ट में चेक पोस्ट में मेडिकल टीम की मदद करेंगे।

शिक्षकों की ड्यूटी चेकपोस्ट में: प्रमुख सचिव शिक्षा की स्थिति पर चिंता जता रहे थे और एसडीएम ने चेक पोस्ट में लगा दी ड्यूटी
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By NPG News

रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला जब 20 हजार से ज्यादा शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने के लिए ज्ञान दे रहे थे, तब भैरमगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने डेढ़ दर्जन शिक्षकों की ड्यूटी चेक पोस्ट में लगा दी। चार शिफ्ट में ये शिक्षक मेडिकल टीमों की मदद के लिए तैनात रहेंगे। इसे लेकर शिक्षकों में नाराजगी है। शिक्षक संघों का कहना है कि एक तरफ शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए ढिंढोरा पीटा जाता है, दूसरी ओर स्कूल खुलने के बाद शिक्षकों की ड्यूटी कभी चेक पोस्ट में तो कभी किसी और गैर शिक्षकीय कार्य में लगा देते हैं। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता कैसे बढ़ेगी?


इस चिट्ठी के बाद है शिक्षकों में नाराजगी

बीजापुर जिले के सीमावर्ती बांगापाल नाका में यात्रियों की जांच हेतु मेडिकल टीम तैनात की गई है। इस टीम की मदद के लिए 16 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। एसडीएम द्वारा जारी आदेश में व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षकों की चार शिफ्ट में ड्यूटी लगाई गई है। जो सुबह 6 बजे से रात दस बजे तक चार-चार घंटे की शिफ्ट में ड्यूटी करेंगे। दरअसल, कोरोना के मामले बढ़ने के बाद भारत सरकार ने एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के साथ-साथ एंट्री पॉइंट पर जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बाद मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। शिक्षकों का कहना है कि कोरोना के भयावह दौर में जब जरूरत थी, तब शिक्षकों ने ड्यूटी की थी, लेकिन अभी इतनी भयावह स्थिति नहीं है। शिक्षकों की जरूरत स्कूलों में है, क्योंकि दो साल बाद स्कूल खुल रहे हैं।

यहां पढ़ें, प्रमुख सचिव ने क्या कहा शिक्षकों से

प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने विद्यालय प्रवेश व शिक्षा में गुणवत्ता के लिए आयोजित वेबिनार में शिक्षा की स्थिति पर चिंतन-मनन की बात करते हुए शिक्षकों को शिक्षकीय कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों को बुनियादी शिक्षा देना जरूरी है, जो आगे जाकर उनको उच्च शिक्षा में सहयोग करेगा। इस वेबिनार में सभी डीईओ, जिला मिशन समन्वयक, बीईओ, संकुल समन्वयक, सभी स्कूलों के प्राचार्य, प्रधान पाठक समेत करीब 20 हजार शिक्षक शामिल हुए।

प्रमुख सचिव डॉ. शुक्ला ने शिक्षकों से आह्वान किया कि बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दें। प्राथमिक शिक्षा में स्कूल की स्थिति पहले की तुलना में अच्छी होने के बाद भी हम शिक्षा के स्तर को उस स्तर पर नहीं ला पा रहे हैं, जिसकी हमें अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत सतत प्रयास किए जाएं। सिर्फ बच्चों के शिक्षण पर ध्यान दिया जाए और उनके उत्तरोत्तर प्रगति के लिए जितना संभव हो सके प्रयास करना चाहिए। प्रमुख सचिव ने विभाग के उच्च अधिकारियों को इस संबंध में सतत मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।

अब स्कूल शिक्षा सचिव ने क्या कहा, यह भी पढ़ें

स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. एस. भारतीदासन ने मूलभूत साक्षारता और गणितीय कौशल (एफएलएन), असर और नेशनल एचीवमेंट सर्वे (एनएएस) में किए गए कार्य एवं गुणवत्ता के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में शिक्षकों से आह्वान किया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्राथमिक शिक्षा पर भी जोर दें। उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा की बुनियाद मजबूत होगी तो उन्हें आगे जाकर भाषा-गणित और अन्य किसी भी प्रकार के शिक्षण में कठिनाई नहीं आएगी।

समग्र शिक्षा के मिशन संचालक नरेन्द्र दुग्गा ने प्रत्येक तीन वर्ष में आयोजित नेशनल एचीवमेंट सर्वे में कक्षा 3,5,8 और 10वीं के छात्रों की राज्य में स्थिति एवं राज्य के विभिन्न जिलों में स्थिति के बारे में चर्चा की। जिसमें उन्होंने बताया कि महासमुंद, सूरजपुर और दुर्ग राज्य में क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे। मिशन संचालक ने एनसीईआरटी द्वारा आयोजित नेशनल एचीवमेंट सर्वे के लिए भविष्य में राज्य में अच्छे कार्य करने के लिए टिप्स भी दिए। उन्होंने बताया कि असर सर्वे दिल्ली की संस्था द्वारा गांवों में घर-घर जाकर 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में किया जाता है, न कि स्कूल में। जिसके आधार छत्तीसगढ़ राज्य में धमतरी जिले का प्रदर्शनी उच्चतम रहा। वेबीनार के प्रारंभ में सहायक मिशन संचालक श्री कैलाशचन्द्र काबरा ने मूलभूत साक्षरता एवं गणितीय कौशल पर छत्तीसगढ़ राज्य में किए गए कार्यों की विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया और भविष्य में राज्य के सभी स्कूलों में क्रियान्वयन के बारे में विस्तृत चर्चा की गई।

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