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शिक्षक निकम्मे नहीं!.. शिक्षकों की ड्यूटी कोविड टीकाकरण में, पूछा - दूसरे विभागों के काम में ड्यूटी लगाएंगे तो पढ़ाएंगे कब

दुर्ग जिले में 176 शिक्षकों की ड्यूटी टीकाकरण में। इससे पहले कवर्धा में भी लगा चुके। बीजापुर में चेक पोस्ट में ड्यूटी।

शिक्षक निकम्मे नहीं!.. शिक्षकों की ड्यूटी कोविड टीकाकरण में, पूछा - दूसरे विभागों के काम में ड्यूटी लगाएंगे तो पढ़ाएंगे कब
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By NPG News

रायपुर। शिक्षा के स्तर के लिए क्या सिर्फ शिक्षक जिम्मेदार हैं? यह सवाल हम नहीं, बल्कि शिक्षक अपने विभाग से पूछ रहे हैं। शिक्षकों ने ऐसे कई काम की लिस्ट भेजी है और बताया है कि वे निकम्मे नहीं हैं, बल्कि गैर शिक्षकीय कार्य भी कर रहे हैं। ताजा मामला दुर्ग जिले में 176 शिक्षकों की ड्यूटी कोरोना वैक्सीनेशन में लगाने का है। 12 दिन के लिए इनकी ड्यूटी लगाई गई है। इससे पहले कवर्धा में भी लगाई जा चुकी है, जबकि चेक पोस्ट में ड्यूटी लगाने के विवाद के बाद बीजापुर में वापस ले लिया गया। शिक्षकों ने सवाल किया है कि जब गैर शिक्षकीय कार्यों में ही इंगेज करते रहेंगे तो शिक्षक कब स्कूल जाएंगे और कब पढ़ाएंगे।

दरअसल पूरा विवाद स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला के वेबिनार के बाद शुरू हुआ। इसमें प्रमुख सचिव ने शिक्षकों के लिए निकम्मा शब्द का प्रयोग किया था। इसके बाद से शिक्षक और शिक्षक संघ आक्रोशित हैं और ऐसे कार्यों की लिस्ट जारी कर रहे हैं, जो गैर शिक्षकीय हैं और स्कूल शिक्षा के अधिकारियों के बजाय एसडीएम के द्वारा लगाए जाते हैं। शिक्षकों का कहना है कि गंभीर परिस्थितियों में जब जब जरूरत पड़ती है, तब वे गैर शिक्षकीय कार्यों में भी हाथ बंटाते हैं। ऐसे समय जब स्कूल खुले हैं, तब 12 दिन के लिए कोरोना टीके लगाने या जांच दल में रखना उचित नहीं है।

सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने कहा कि प्रदेश के शिक्षक केवल स्कूलों में पढ़ाते नहीं हैं बल्कि अन्य विभागों की भी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। राष्ट्रहित में बहुत सी जिम्मेदारियों का बिना विरोध किए शिक्षकों ने निर्वहन भी किया है जिसके लिए कभी उनकी पीठ नहीं थपथपाई गई। ऐसे समय में आगे बढ़ कर एसी रूम में बैठे अधिकारी सामने आ जाते हैं और बाद में यही अधिकारी शिक्षकों के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं। वास्तव में यदि शिक्षा विभाग का सर्वांगीण विकास करना है तो फिर अन्य विभागों द्वारा लगाई जाने वाली इन ड्यूटी पर तत्काल उच्च कार्यालय से रोक लगाई जानी चाहिए।

आखिर प्रदेश के प्रमुख सचिव ऐसा आदेश क्यों जारी नहीं करते कि किसी भी हाल में अन्य विभागों द्वारा लगाई जाने वाली ड्यूटी के लिए शिक्षकों को उनके संस्था प्रभारी द्वारा कार्य मुक्त नहीं किया जाना है । यदि एक आदेश जारी हो जाए तो सारे गैर शैक्षणिक कार्य पर रोक लग जाएगी। स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक दें, संसाधन उपलब्ध कराएं और उन्हें गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्ति दिलाएं उसके बाद यदि परिणाम नहीं आता है तब शिक्षक दोषी होंगे। शिक्षकों की अनुपलब्धता, संसाधन विहीन स्कूल और शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में झोंक कर शत-प्रतिशत परिणाम की उम्मीद करना ही बेमानी है।

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