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संविदा कर्मचारियों की हड़ताल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने लगाया एस्मा, देखिए आदेश

संविदा कर्मचारियों की हड़ताल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने लगाया एस्मा, देखिए आदेश
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By Sandeep Kumar

रायपुर। संविदा कर्मचारियों की हड़ताल पर छत्तीसगढ़ सरकार ने एस्मा लगा दिया है। राज्य सरकार द्वारा संविदा पर कार्यरत अधिकारी/ कर्मचारियों की मांगों के संबंध में सहानुभूति पूर्वक विचार कर वेतन वृद्धि की घोषणा की गई है। इसके बाद भी शासन के ध्यान में यह लायी गई है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम, 2012 के तहत् विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा अधिकारी/कर्मचारियों अपनी मांगों के संबंध में अनाधिकृत रूप से निरंतर हड़ताल पर हैं एवं इस कारण से लोक हित / नागरिक सेवाएं तथा शासकीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं और लोगों को असुविधा हो रही है।

इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि वेतन वृद्धि के बाद भी संविदा अधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा अपने कार्यों पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं। उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम 2012 की कंडिका 15 (1) के अनुसार आवरण नियम 1965 का उल्लंघन है।

सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार हड़ताल पर गये संविदा अधिकारियों/ कर्मचारियों को तत्काल अपने कार्य पर उपस्थित होने के लिए संबंधित नियोक्ता द्वारा तीन दिवस की समयावधि के भीतर सूचना जारी करने की बात कही गयी है। आदेश में कहा गया है कि जिन सेवाओं के विषय में एस्मा (छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979) की धारा-4 की उपधारा (1) एवं (2) द्वारा प्रदस्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए लागू हो एवं जारी सूचना उपरांत भी संबंधित अधिकारी/कर्मचारी के कार्य पर उपस्थित नहीं होने पर एस्मा अन्तर्गत कार्यवाई किया जाए। साथ ही नियमानुसार छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम, 2012 के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही की जाये एवं उनके स्थान पर अन्य अधिकारियों/कर्मचारियों की वैकल्पिक व्यवस्था की जाये।

राज्‍य के 53 विभागों के संविदा कर्मचारी नियमितीकरण की मांग को लेकर 3 जुलाई से अनश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारी नवा रायपुर के तूता स्थित धरना स्थल पर प्रदेश के संविदा कर्मचारियों प्रदर्शन कर रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी का कहना है कि हम कोई नई मांग नहीं कर रहे हैं। वही नियमितीकरण की मांग रहे हैं जो कांग्रेस ने खुद देने का वादा किया था।

जानिए क्‍या है एस्‍मा (ESMA)

एस्‍मा (ESMA) यानी एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट। इसे हिंदी में अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून के नाम से भी जाना जाता है। यह केंद्रीय कानून है जो 1968 में लागू किया गया था। हालांकि इस कानून को लागू करने के लिए राज्य सरकारों को भी छूट दी गई थी। इस एक्ट में 9 धाराएं हैं। जब कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं और हड़ताल लंबी चलने की वजह से आवश्यक सेवाओं एवं वस्तुओं की आपूर्ति यदि बाधित हो जाती है। तब सरकारे एस्मा का सहारा लेती है।

एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्र या दूसरे माध्यमों से सूचित किया जाता है। इसके अलावा एस्मा लागू होने के बाद भी यदि कर्मचारी हड़ताल पर होते हैं तो उसे अवैध मानकर सरकार एस्मा एक्ट के तहत कार्यवाही कर सकती है। इसके लगने के बाद भी हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को 6 माह कारावास या 200 रुपये अर्थदंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है। हड़ताली कर्मियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को किसी भी तरह की वारंट की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा हड़ताल के लिए उकसाने वाले कर्मचारी नेताओं को इससे दोगुनी सजा अर्थात 1 साल की सजा व 1 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया जा सकता है। और हड़ताल को वित्त पोषित करने वालों को 1 साल के कारावास के अलावा 10 हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इस एक्ट के लागू होने के बाद औद्योगिक विवाद अधिनियम, कंपनी कानून, कर्मचारी हितैषी कानून स्वमेव निरस्त हो जाते हैं। ऐसा कानून सारे कानूनों से ऊपर है। सरकार यह एक्ट जब चाहे तब वापस ले सकती है। किस अवधि तक के लिए एस्मा लगाया जाए यह सरकार तय करती हैं। फिलहाल पटवारियों के हड़ताल के चलते 3 माह के लिए एस्मा लगाया गया है।

नीचे देखें जारी आदेश...



Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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