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RBI ने इस बैंक का लाइसेंस किया रद्द, आज से ही कामकाज बंद, जानिए कैसे मिलेगा फंसा पैसा?

RBI ने इस बैंक का लाइसेंस किया रद्द, आज से ही कामकाज बंद,  जानिए कैसे मिलेगा फंसा पैसा?
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By NPG News

NPG डेस्क: विवादों और वित्तीय संकट से जूझ रहे पिंपरी-चिंचवड के अग्रणी सेवा विकास को ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी किए आदेश के तहत सेवा विकास सहकारी बैंक लिमिटेड, पुणे महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द कर दिया है।

आरबीआई के 10 अक्टूबर, 2022 को जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। ऐसे में आज सोमवार 10 अक्टूबर, 2022 को कारोबार बंद होने से बैंक बैंकिंग कारोबार करना बंद कर देगा।

बता दें कि 14 सितंबर तक डीआईसीजीसी ने कुल बीमित जमा राशि का 152.36 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। आरबीआई की ओर से कहा गया है कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से यह भी बताया गया है कि बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के साथ अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने में असमर्थ होगा।

आरबीआई ने कहा कि सेवा विकास सहकारी बैंक को बैंकिंग व्यवसाय का संचालन करने से प्रतिबंधित किया गया है। इनमें तत्काल प्रभाव से जमा स्वीकार करना और जमा की चुकौती (भुगतान) करना शामिल है।

आरबीआई के अनुसार महाराष्ट्र के सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को भी बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक परिसमापक (लिक्विडेटर) नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए कहा गया है।

आरबीआई की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, "प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट से 5,00,000/- (रुपये पांच लाख मात्र) की सीमा तक जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। यह नियम गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अधीन है।

रद्द करने के पीछे ये वजह है-

-- बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है।

-- बैंक धारा 22(3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है।

-- बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है। यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को और आगे ले जाने की अनुमति दी जाती है तो जनहित पर गलत प्रभाव पड़ेगा।


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