Raipur Land Scam: CG बड़ा एक्शनः NPG की खबर पर सरकार ने बिल्डरों, भूमाफियाओं और रजिस्ट्री विभाग का खेला किया खत्म, देखिए आदेश...
Raipur Land Scam: रायपुर के पंजीयन अधिकारी एसके देहारी द्वारा एक प्लॉट की तीन रजिस्ट्री और तीनों में अलग-अलग गाइडलाइन रेट। NPG.NEWS की खबर को पंजीयन विभाग के मंत्री ओपी चौधरी ने संज्ञान लिया। और भूमाफियाओं और रजिस्ट्री अधिकारियों का खेला खतम कर दिया।
Raipur Land Scam: रायपुर। रायपुर में एक प्लॉट की तीन रजिस्ट्री करने की एनपीजी न्यूज की खबर पर पंजीयन विभाग हरकत में आया और एक कड़ा आदेश जारी कर दिया है। दरअसल, रायपुर के पंजीयन अधिकारी एसके देहारी ने नियम-कायदों को ताक पर रखते हुए रायपुर के एक प्लॉट को तीन बार तीन लोगों के नामे रजिस्ट्री कर दी। रजिस्ट्री पेपर में उन्होंने तीनों बार अलग-अलग गाइडलाइन रेट शो किया। मजेदार तो ये कि एक बार पार्किंग में रजिस्ट्री कर दी। NPG.NEWS के पास सायकिल पार्किंग में रजिस्ट्री के दस्तावेजी प्रमाण है। NPG.NEWS की खबर पर पंजीयन अधिकारी को सस्पेंड किया गया मगर बाद में जादुई चमत्कार से उन्हें न केवल बहाल कर दिया गया बल्कि प्रमोशन भी दे दिया गया। NPG.NEWS ने 1 मई 2024 को दागी अफसर को उपकृत करने की खबर प्रकाशित की। पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने से गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा, तुरंत सस्पेंड किया जाएगा।
पंजीयन अधिकारी एसके देहारी के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई है, ये पता नहीं चला है मगर गाइडलाइन दर से कम रेट पर जमीनों या संपत्ति की रजिस्ट्री करने पर पंजीयन विभाग ने रोक लगा दी है। विभाग के आदेश में कहा गया है कि रजिस्ट्री में गाइडलाइन रेट कम करने को कदाचार माना जाएगा। और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने कहा है कि किसी केस विशेष में जब लगे कि संपत्ति का गाइडलाइन रेट कम करना प्रासंगिक है तो उसकी फाइल बनाकर विभागाध्यक्ष को भेजें। वहां से अनुमति मिलने के बाद ही उसका रेट कम किया जाए। इसके अलावा अब इस तरह के केस को 15 दिन में एक बार विभागाध्यक्ष को भेजना होगा।
करोड़ों का खेला
छत्तीसगढ़ में भूमाफिया और रजिस्ट्री अधिकारी सरकारी खजाने और इंकम टैक्स विभाग को करोड़ों का चूना लगाते रहे और सिस्टम मौन साधे बैठा रहा। असल में, सरकार ने जमीनों की रजिस्ट्री के समय गाइडलाइन रेट को चेंज करने का नियम इस संदर्भ में बनाया है कि कहीं त्रुटिवश रेट कम हो और उससे सरकार को नुकसान हो रहा हो, तो रजिस्ट्री अधिकारी उसे चेंज करके वास्तविक रेट निर्धारण कर सकते हैं। याने रेट को बढ़ा सकते हैं। मगर छत्तीसगढ़ के पंजीयन विभाग ने बढ़ाने की बजाए भूमाफियाओं और बिल्डरों से मोटी रकम लेकर लगे गाइडलाइन रेट कम करने। इससे रजिस्ट्री अधिकारियों ने हर साल सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया वहीं, भूमाफियाओं और बिल्डरों को इंकम टैक्स से बड़ी राहत मिल गई। गाइडलाइन रेट कम होने से कम पैसे में रजिस्ट्री हुई। याने पक्के की राशि कम दर्ज किया गया। इससे बिल्डरों और भूमाफियाओं का इंकम टैक्स कम देना पड़ा।
बड़ा झटका
पंजीयन विभाग के इस आदेश से रजिस्ट्री अधिकारियों और बिल्डरों, भूमाुफयाओं को ही नहीं, बल्कि रजिस्ट्री अधिकारियों, वकीलों को बड़ा झटका लगा है। रजिस्ट्री आफिस के दलाल इसी तरह के मामलों में बड़ा वारा-न्यारा करते हैं। दलाल ही पंजीयन अधिकारियों से सेटिंग करते है कि किस मामले में किसे कितना हिस्सा होगा। बड़े बिल्डरों और भूमाफियाओं को इससे दोहरा फायदा होता है। जमीन खरीदने में भी और बेचने में भी। खरीदने में गाइडलाइन रेट कम होने से कम रुपये का स्टांप लगता है। फिर दो नंबर का पैसा इस्तेमाल हो जाता है। दूसरा, प्रॉपर्टी या मकान बेचना हो तो गाइडलाइन रेट कम होने से इंकम टैक्स में बचत हो जाता है।
जाने क्या है पूरा मामला: नियमों की धज्जियां उड़ाकर 1 प्लॉट की 3 रजिस्ट्री करने वाले निलंबित अफसर को क्लीन चिट देकर प्रमोशन कर डाला, मंत्री ओपी चौधरी बोले...कार्रवाई होगी
रायपुर। इस खबर की हेडिंग पढ़कर कोई भी बोलेगा कि ऐसा ब्लंडर करने वाले अफसर को बर्खास्त किया जाना चाहिए, जो नियमों को ताक पर रख पार्किंग में जाकर भूमाफियाओं को रजिस्ट्री कर देता है। मगर ये छत्तीसगढ़ का रजिस्ट्री विभाग है। यहां के अफसर जो न करें, वो कम है। उन्हें मोटी रकम मिल जाए तो ये नहीं देखेंगे कि दूध में मक्खी पड़ी है। तभी तो नियम कायदों को धज्जियां उड़ाने वाले पंजीयन अधिकारी को दूसरी बार क्लीन चिट देकर न केवल सस्पेंशन समाप्त कर दिया गया बल्कि उसे प्रमोट भी कर दिया गया। रायपुर जहां पंजीयन विभाग के आईजी से लेकर सिकरेट्री तक बैठते हैं, वहां के डिप्टी रजिस्ट्रार एसके देहारी ने छह महीने के भीतर तीन रजिस्ट्री कर दी। वो भी अलग-अलग गाइडलान रेट से। सरकार को भी चूना लगाया और इंकम टैक्स विभाग को भी। npg.news में खबर छपी तो सरकार ने जांच कराई। जांच अधिकारी बीएस नायक ने उसे दूध का धुला करार दिया। npg.news में फिर यह खबर छपी तो पंजीयन विभाग ने डिप्टी रजिस्ट्रार एसके देहारी को सस्पेंड कर दिया और जांच अधिकारी बीएस नायक को ठीक से जांच न करने के लिए नोटिस थमा दी। लेकिन, उसके बाद ऐसी चकी चली कि देहारी को न केवल बहाल कर दिया गया बल्कि प्रमोशन देकर सीनियर डिप्टी रजिस्ट्रार बना दिया गया।
गाइडलाइन में खेला
दरअसल, राजधानी के भाटागांव के पास रिंग रोड पर नीलम अग्रवाल ने 16 फरवरी 2018 को 7000 हजार वर्गफुट का प्लाट लखनउ के साइन सिटी ड्रीम रियेल्टर को बेचा था। उसके लिए 4.26 करोड़ जमीन का गाइडलाइन रेट तय कर रजिस्ट्री फीस ली गई। यही जमीन 20 मार्च 2021 को साइन सिटी कंपनी ने मुंबई के मनमोहन सिंह गाबा को बेच दिया। तब रजिस्ट्री रेट घटाकर 3.64 करोड़ कर दी गई। रजिस्ट्री अधिकारी थे एसके देहारी। साइन सिटी ने मनमोहन सिंह गाबा को बेची गई जमीन फर्जीवाड़ा करते हुए फिर 18 मई 2021 को रुपेश चौबे को बेच दिया। तब रजिस्ट्री अधिकारी देहारी ने उसका गाइडलाइन रेट घटाकर 2.74 करोड़ कर दिया। याने 4.26 करोड़ से 2.74 करोड़ पर आ गया। यानी सरकारी खजाने को लगभग 15 लाख का चूना। रुपेश चौबे ने यह प्लॉट 26 जुलाई 2021 को अशोका बिरयानी को बेच दिया। इसकी रजिस्ट्री भी एसके देहारी ने की। याने एक ही जमीन चार सौ बीसी कर बार-बार बेची जाती रही और रजिस्ट्री अधिकारी आंख मूंदकर रजिस्ट्री करते रहे। अब क्लास देखिए मनमोहन गाबा ने नामांतरण कराने के लिए रायपुर के नायब तहसीलदार के यहां आवेदन लगाया तो कहा गया साइन सिटी के बाकी डायरेक्टरों के दस्तखत रजिस्ट्री में नहीं है, इसलिए नामंतरण नहीं किया जा सकता। और रुपेश चौबे के नाम पर करने में उसे कोई दिक्कत नहीं हुई। आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें