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टारगेट के चक्कर में रेलवे ने 10 पैसेंजर ट्रेनों को चढ़ा दी बलि, दो दर्जन और ट्रेनों को बंद करने की तैयारी, छत्तीसगढ़ से 23 हजार करोड़ कमाने वाली रेलवे की अजब मनमानी, नेताओं का मुंह बंद

Railways sacrificed 10 passenger trains in the pursuit of target, preparing to stop two dozen more trains, strange arbitrariness of railways earning 23 thousand crores from Chhattisgarh, politicians shut their mouths

टारगेट के चक्कर में रेलवे ने 10 पैसेंजर ट्रेनों को चढ़ा दी बलि, दो दर्जन और ट्रेनों को बंद करने की तैयारी, छत्तीसगढ़ से 23 हजार करोड़ कमाने वाली रेलवे की अजब मनमानी, नेताओं का मुंह बंद
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By NPG News

रायपुर, 4 मार्च 2022। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे ने 30 मार्च को एक आदेश निकालकर एक साथ 10 पैसेंजर ट्रेनों को पूरे एक महीने के लिए निरस्त कर दिया। एक अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक ये ट्रेनें बंद रहेंगी। पता चला है, रेलवे की आमदनी बढ़ाने रेल प्रबंधन बिना किसी वजह पैसेंजर ट्रेनों को बलि देकर ज्यादा-से-ज्यादा गुड्स ट्रेनों को निकालने के लिए ये रास्ता निकाला है। हालांकि, रेलवे का ये खेल पुराना है...यात्री ट्रेनों को स्टेशनों पर खड़ी कर धड़ाधड़ मालगाड़ी निकालना। मगर इस बार तो पराकाष्ठा हो गया...10 पैसेंजर ट्रेनें एक साथ एक महीने के लिए केंसिल। और खबर है 28 और ट्रेनों को बंद करने की तैयारी की जा रही है। बताते हैं, कई वीकली स्पेशल समेत 28 ट्रेनों को बंद करने का प्रस्ताव भेजा गया है।


आपको बता दें, दपूमरे का पिछले वित्तीय साल का 214 मीलियन टन का टारगेट मिला था। इसमें दो मीलियन टन कम हो गया। याने 212 मीलियन टन माल ढुलाई हो पाया। हालांकि, पिछले फाइनेंसियल ईयर 2020-21 की तुलना में 2021-2022 में 25 मीलियन टन ज्यादा लदान हुआ। कमाई भी 23 हजार करोड़ हुई। बावजूद इसके रेलवे अधिकारियों को ये अखर गया कि टारगेट से दो मीलियन टन पीछे कैसे रह गए। यही वजह है कि नया फायनेंसियल ईयर प्रारंभ होते ही रेलवे अधिकारी इस गुनतारे में भिड़ गए कि किस तरह आमदनी और बढ़ाकर रेलवे बोर्ड से अपनी पीठ थपथपवाई जाए।

रेलवे ने नोटिफिकेशन जारी कर जिन ट्रेनों को बंद किया है, उनमें बिलासपुर-रायगढ़ पैसेंजर, रायगढ़-बिलासपुर पैसेंजर, बिलासपुर-शहडोल पैसेंजर, शहडोल-बिलासपुर पैसेंजर, रायपुर-डोंगरगढ़ मेमू, डोंगरगढ़-बिलासपुर मेमू, डोंगरगढ़-रायपुर मेमू, नागपुर-रामटेक और रामटेक-नागपुर शामिल हैं। और करीब दो दर्जन वीकली स्पेशल और पैसेंजर ट्रेनों को बंद एक से दो महीने तक बंद करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

रेलवे प्रबंधन के इस तुगलकी फारमान ने आम आदमी की मुसीबतें बढ़ा दी है। गरमी में स्कूलों की छुट्टियों और शादी-ब्याह के सीजन के चलते रेलवे हर साल स्पेशल ट्रेनें चलाता है, मगर इस बार रेलवे ने यात्रियों को जोर का झटका देते हुए जो ट्रेनें चल रही हैं, उन्हें भी बंद कर दिया।

दपूम रेलवे में तीन रेल मंडल आते हैं। बिलासपुर, रायपुर और नागपुर। रेलवे की 90 परसेंट आमदनी रायपुर और बिलासपुर मंडल में होते है यानी छत्तीसगढ़ से। नागपुर मंडल से मुश्किल से 10 प्रतिषत माल ढुलाई होती है। मगर 10 में से सिर्फ दो ट्रेनें नागपुर की केंसिल की गई है। और छत्तीसगढ़ से आठ।

नेताओं का मुंह बंद

जिस रेलवे जोन के लिए बिलासपुर में लंबा और ऐतिहासिक आंदोलन चला। 15 जनवरी 1996 की आगजनी और िंहंसा की वजह से बिलासपुर 15 दिन तक कर्फ्यू के साये में रहा। वहां के नेता 10-10 ट्रेनों को बंद करने के बाद भी खामोश हैं। इन ट्रेनों को बंद किए चार दिन हो गए हैं, मगर किसी नेता का विरोध में एक मामली विज्ञप्ति तक नहीं आई है। यही अगर बंगाल या साउथ के किसी राज्य में रेलवे अधिकारियों ने मनमानी की होती तो बवाल मच गया होता।

कुरला और इतवारी अभी भी बंद

कोरोना के बाद पूरे देश में रेल परिचालन सामान्य हो गया है। मगर यहां कुरला-हावड़ा और इतवारी-बिलासपुर एक्सप्रेश अभी भी चालू नहीं हो पाई है।

सीपीआरओ बोले, काम चल रहा

ट्रेनों को निरस्त करने के बारे में रेल प्रबंधन का पक्ष जानने एनपीजी न्यूज ने दपूम रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन से बात की। उन्होंने बताया कि कुछ जगहों पर काम चल रहा है, इसलिए ट्रेनों को बंद किया गया है। उनसे पूछा गया कि रायपुर-डोंगरगढ़ के बीच क्या काम चल रहा, पर्टिकुलर एक जगह का बता दीजिए। उनका जवाब आया रायपुर के सीनियर डीएसएम से बात कर लीजिए। सीनियर डीसीएम को फोन किया गया तो उनका फोन लगा नहीं।

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