डेस्क। श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच नए राष्ट्रपति को चुन लिया गया है। बुधवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में रानिल विक्रमसिंघे ने जीत हासिल कर ली । देश की राष्ट्रपति की गद्दी के लिए तीन और उम्मीदवार मैदान में थे। रानिल विक्रमसिंघे को 134 सांसदों का समर्थन मिला है। उनके प्रतिद्वंदी दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट ही मिले। राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ तीन वोट ही मिले।
श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव में किसी की जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 225 सदस्यीय संसद में 113 से अधिक मत हासिल करना जरूरी है। एसएलपीपी के अध्यक्ष जीएल पीरिस ने कहा था कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के अधिकतर सदस्य इससे अलग हुए गुट के नेता अल्हाप्पेरुमा को राष्ट्रपति पद के लिए और प्रमुख विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा को प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के पक्ष में हैं। विक्रमसिंघे (73) का मुकाबला 63 वर्षीय अल्हाप्पेरुमा और जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (53) से है। अल्हाप्पेरुमा सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी हैं और एसएलपीपी से अलग हुए धड़े के प्रमुख सदस्य हैं।
रानिल विक्रमसिंघे?
रानिल विक्रमसिंघे का जन्म 24 मार्च, 1949 को श्रीलंका के कोलंबो में एक संपन्न परिवार में हुआ। पिता एस्मंड विक्रमसिंघे पेशे से वकील थे। इसके अलावा उनके चाचा जूनियस जयवर्धने श्रीलंका के राष्ट्रपति भी रह चुके थे। विक्रमसिंघे के परिवार की पकड़ राजनीति, व्यापार के साथ मीडिया जगत में भी रही।
हालांकि, रानिल ने अपने पिता की ही राह पकड़ी और सिलोन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1970 के दशक में विक्रमसिंघे ने राजनीति में एंट्री ली। उनका राजनीतिक करियर यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के साथ शुरू हुआ।
1977 में उन्होंने संसदीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस जीत के बाद उन्हें विदेश मंत्रालय में उपमंत्री का पद सौंपा गया। विक्रमसिंघे ने युवा और रोजगार मंत्रालय समेत कई अन्य मंत्रालय भी संभाले।
विक्रमसिंघे के करियर में अगला बड़ा मौका आया 1990 के दशक में। 1993 में राष्ट्रपति रानासिंघे प्रेमदास की हत्या के बाद रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने। सात मई 1993 को रानिल ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, उनका पहला कार्यकाल महज एक साल ही चला। विक्रमसिंघे दूसरी बार 2001 से 2004 तक पीएम रहे। इसके बाद वे 2015 से 2019 के बीच अलग-अलग मौकों पर तीन बार पीएम पद पर रहे। अपने राजनीतिक करियर में विक्रमसिंघे छह बार पीएम रहे।
बता दें कि गोटाबाया राजपक्षे के श्रीलंका से भागने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी दी गई। फिर उन्हें अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया। रानिल विक्रमसिंघे का कार्यकाल नवंबर 2024 में खत्म होगा। वे गोटाबाया राजपक्षे के बचे हुए कार्यकाल को पूरा करेंगे।
फिर हो सकता है विरोध
विक्रमसिंघे का पहले ही देश की जनता विरोध कर रही थी। कई प्रदर्शनकारी उन्हें और गोटबाया दोनों को बाहर करने की मांग कर रहे थे। अब कहा जा रहा है कि देश में यह जीत और ज्यादा विरोध प्रदर्शन शुरू कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अल्हाप्पेरुमा को प्रदर्शनकारी पसंद कर रहे थे, लेकिन उनके पास शासन के शीर्ष स्तर का खास अनुभव नहीं था।