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Political news: रमेश बैस का अगला पड़ाव मार्गदर्शक मंडल या विधानसभा: जानिये.. सक्रिय राजनीति में वापसी के सवाल पर पूर्व गर्वनर ने क्‍या कहा...

Political news महाराष्‍ट्र, झारखंड और त्रिपुरा के राज्‍यपाल रहे रमेश बैस की छत्‍तीसगढ़ वापसी हो गई है। बैस करीब 75 साल के हो गए हैं।राजधानी रायपुर में उनके पहुंचते ही उनके राजनीतिक भविष्‍य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।

Political news: रमेश बैस का अगला पड़ाव मार्गदर्शक मंडल या विधानसभा: जानिये.. सक्रिय राजनीति में वापसी के सवाल पर पूर्व गर्वनर ने क्‍या कहा...
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By Sanjeet Kumar

Political news रायपुर। राष्ट्रपति द्वौपती मुर्मू ने देश के नौ राज्यों के नए राज्यपाल की नियुक्ति की है, इन नियुक्तियों में जहां कुछ प्रदेश के राज्यपालों को स्थानातरण हुआ है तो कुछ को प्रथम बार राज्यपाल बनाया गया है। इन सब में सीपी राधाकृष्णन को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किये जाने के बाद छतीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में नए कयासों का दौर शुरू हो गया है। इन कयासों के केंद्र बिंदु हैं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस।

प्रदेश में इन दिनों विधानसभा के उपचुनाव होना है और रमेश बैस के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल को आगे न बढाने से ये कयास लगाये जाने शुरू हो गए है कि कहीं बैस को बीजेपी फिर एक बार मुख्य धारा की राजनीति में वापस तो नहीं लाना चाहती, क्योकि वर्त्तमान में बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई उत्तर विधान सभा की सीट बीजेपी के अभेद गढ़ में से एक मानी जाती है। पूर्व में बृजमोहन अग्रवाल के रहते इस सीट पर बीजेपी ने किसी अन्य के बारे में ना ही सोचा और ना ही मौका दिया।

इस बार बीजेपी के सामने उनके स्थान पर किसे मौका दिया जाना चाहिए ये चुनना सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि ये बात जगजाहिर है बृजमोहन अग्रवाल का पार्टी से अलग अपना एक बहुत बड़ा वोट बैंक है जिनके दम पर वो हर चुनाव जीतते आये पर पर इस बार उनके न होने से और नए चेहरे होने के कारण इस वोट बैंक पर कांग्रेस सेंधमारी कर सकती है। ऐसे में बीजेपी अपने रायपुर दक्षिण के अभेद किले को बचाने अपने पुराने और भरोसेमंद नेता पर फिर से विश्वास कर सकती है |

रमेश बैस ही क्यों ?

सांसद के रूप में लम्बा कार्यकाल

रमेश बैस छतीसगढ़ के उन नेताओं में शामिल है जो लगातार लोकसभा में सांसद के रूप में चुनकर दिल्ली पहुंचे है। वो लगातार 1996 से 2019 तक रायपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। केंद्र और राज्य में सरकार किसी की भी हो रमेश बैस का विजय रथ नहीं रुका ऐसे में उनका उप चुनाव जीतने की प्रायिकता सबसे ज्यादा है।

दक्षिण विधानसभा का होना

रमेश बैस रायपुर दक्षिण विधानसभा से ही हैं और बृजमोहन अग्रवाल की तरह उनका भी अपना एक समर्थक वर्ग है। इसके साथ ही उनका बीजेपी कार्यकर्तो के साथ ही उनकी जमीनी पकड़ भी मजबूत है ऐसे में उनके लिए इस सीट पर बीजेपी को जीत दिलाना अन्य प्रत्याशी की तुलना में सरल नजर आता है।

जातिगत समीकरण एवं राजधानी का मंत्री कोटा

रमेश बैस कुर्मी समाज से आते है हालांकि दक्षिण विधानसभा में जातिगत समीकरण का प्रभाव नहीं रहा पर साय कैबिनेट में राजधानी कोटे से मंत्री पद को भरने एवं कुर्मी समाज को साधने बीजेपी बैस को चुनाव लडवा सकती है। वही कुछ लोग बैस की उम्र को लेकर भी ये बात कह रहे है। वो वर्तमान में 76 वर्ष के है। बीजेपी के अघोषित नियमानुसार 75 पार के नेताओ को मार्गदर्शन मंडल में सम्मानित स्थान दिया जाता है। ऐसा में देखना होगा की बीजेपी अपने इस अनुभावी नेता को चुनाव में मौका देती है या फिर मार्गदर्शन मंडल में।

सक्रिय राजनीति में वापसी के सवाल पर रमेश बैस का जवाब

मुम्‍बई से रायपुर पहुंचे रमेश बैस से एयरपोर्ट पर पत्रकारों ने चर्चा के दौरान सक्रिय राजनीति में वापसी को लेकर सवाल किया। इस पर बैस ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़ आने के बाद भारतीय जनता पार्टी का एक कार्यकर्ता रहूंगा, पार्टी जो भी आदेश करेगी मैं उसका पालन करूंगा। उन्‍होंने कहा कि आज जो भी हूं बीजेपी की वजह से हूं, पार्टी का जो आदेश होगा, वे उस पर अमल करेंगे।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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