पुलिस कमिश्नर सिस्टम: इन तीन शहरों में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम, सरकार का फैसला...
पुलिस कमिश्नर प्रणाली
NPG डेस्क: आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि आगरा गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को लागू होगा।
कानून-व्यवस्था के लिहाज इसे बेहद अहम माना जा रहा है। इस व्यवस्था से न केवल पुलिसिंग बदल जाएगी, बल्कि संगठित अपराध और अपराधियों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई हो सकेगी।
प्रदेश के चार शहरों लखनऊ, वाराणसी, गौतमबुद्धनगर और कानपुर में पहले से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है। तीन और जिलों के जुड़ने के साथ अब राज्य के कुल 7 जिलों में पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू हो गई है। कानून-व्यवस्था के लिए योगी सरकार ने यह फैसला लिया है।
इस प्रणाली में एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां पुलिस को मिल जाएंगी। पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने, गुंडा एक्ट लगाने, गैंगस्टर एक्ट तक में कार्रवाई कर सकेगी। इनके लिए जिलाधिकारी से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
बताया जाता है कि कमिश्नर प्रणाली का खाका तैयार कर रिपोर्ट पहले ही शासन को भेजी जा चुकी थी। तब तय किया गया था कि शहर के पुलिस थानों के अलावा गंगापार के झूंसी, फाफामऊ और यमुनापार के नैनी थाने को शामिल किया जाएगा। हालांकि शुरुआत में गंगापार व यमुनापार के क्षेत्रफल व भौगोलिक स्थित के आधार पर कुछ अड़चन आई थी, जिसे व्यवस्थित कर लिया गया है। शहरी क्षेत्र में भी करीब आठ आइपीएस की तैनाती होगी। इससे कार्यशैली में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।
13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में लागू हुई थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था।26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में लागू हुई थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली। कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश बने थे। तीन और शहरों को मिलाकर 7 महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली होगा।
जानिए...
ज्यादा आबादी वाले जिलों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस व्यवस्था को लागू किया जाता है। इन जिलों में पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति की जाती है। पुलिस कमिश्नर को अतिरिक्त जिम्मेदारियों के साथ कुछ मजिस्ट्रियल पावर भी दिए जाते हैं। देश के कई राज्यों के अलावा दुनिया के कई देशों में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को कानून-व्यवस्था बनाए रखने का सबसे प्रभावी माध्यम माना गया है। वर्ष 1983 में जारी छठी नेशनल पुलिस कमीशन की रिपोर्ट में भी 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले महानगरों के लिए इस व्यवस्था को जरूरी बताया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत पुलिस और कानून व्यवस्था की सारी शक्तियां पुलिस कमिश्नर में निहित होती हैं। पुलिस कमिश्नर ही एकीकृत पुलिस कमान का प्रमुख होता है। पुलिस कमिश्नर अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अपने फैसलों के लिए राज्य सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है।