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पिहरिद LIVE: राहुल के गांव में मेले जैसा माहौल, आसपास के गांव के भी लोग जमा हैं; सबकी नजर सुरंग की ओर...मन में सवाल- कब निकलेगा राहुल

राहुल साहू के रेस्क्यू में देरी हो रही है और दुकानों की संख्या बढ़ती जा रही है। फालूदा, सोडा और आइसक्रीम की दुकानें खुलीं; हर दिन 4-5 हजार का कारोबार।

पिहरिद LIVE: राहुल के गांव में मेले जैसा माहौल, आसपास के गांव के भी लोग जमा हैं; सबकी नजर सुरंग की ओर...मन में सवाल- कब निकलेगा राहुल
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By NPG News

ग्राउंड जीरो से आनंद मिश्रा, 14 जून 2022। राहुल साहू को बोरवेल में गिरे अब 96 घंटे बीत चुके हैं। बोरवेल का वाटर लेवल बना हुआ है। सभी गांववालों को बोर चालू रखने के लिए मुनादी की जा रही है। NDRF और SDRF के जवान अपने-अपने काम में लगे हुए हैं। हजारों आंखें सुरंग की ओर टिकी हुई हैं। सबके मन में एक ही सवाल है कि राहुल कब बाहर आएगा।

जांजगीर जिले के मालखरौदा ब्लॉक का गांव पिहरिद नेशनल मीडिया में है। यहां एक दिव्यांग बच्चा राहुल साहू जो पिछले 96 घंटे से बोरवेल में फंसा हुआ है। इतने ही घंटे से रेस्क्यू टीम डटी हुई है। टीम के सदस्यों के कपड़े धूल से सने हैं। पसीने के दाग पड़ गए हैं। खाने-पीने के लिए कभी सरपंच की ओर से, कभी प्रशासन और पुलिस की ओर से तो कभी विधायक की ओर से व्यवस्था की जा रही है। मेडिकल टीम बड़ी बेचैनी से एंबुलेंस के आसपास ही इस इंतजार में बैठी है कि राहुल बाहर आए और उसकी प्रारंभिक जांच और इलाज करते हुए सीधे बिलासपुर की ओर भागें, जिससे तत्काल प्रभाव से उसे बेहतर इलाज मिल सके। मेडिकल टीम के सदस्य यह जानते हैं कि 96 घंटे से राहुल जिस तरह पानी और कीचड़ में है, उससे किस तरह की समस्याएं आ सकती हैं।

कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसपी विजय अग्रवाल, एसडीआरएफ के डायरेक्टर मयंक श्रीवास्तव मौके पर ही हैं। मौके पर बने रहने के पीछे पूरे हालात की निगरानी करना और रेस्क्यू टीम को समय पर सारी व्यवस्था करके देना है। एक वजह यह भी है कि सीएम भूपेश बघेल हालात की जानकारी लेने के लिए कभी भी वीडियो कॉल करते हैं। परिजन से बात कर सांत्वना देते हैं कि सारे अफसर जुटे हुए हैं। गांव में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो वहां मौजूद पुलिस-प्रशासन और मीडिया की टीमों को लगातार मदद कर रहे हैं। राहुल को बचाने के लिए पूरे गांव के लोग जुटे हुए हैं। बोर चालू कर पानी बहा रहे हैं, जिससे राहुल जिस बोरवेल में फंसा है, वहां का जल स्तर न बढ़े।

राहुल के घर के आसपास 2010 में आई फिल्म पीपली लाइव जैसा नजारा भी है। आसपास मेले जैसा माहौल बन गया है। नेता-अफसर, पुलिस सब हैं। मीडिया की टीमें हैं। जो थोड़ी देर के लिए सुस्ताने के मूड में आते हैं और फिर अचानक अलर्ट होकर फिर लाइव देते हैं। यह देखकर गांव के लोग भी राहुल को देखने के लिए पास जमा हो जाते हैं, लेकिन फिर उन्हें निराशा होती है, जब यह पता चलता है कि भारी चट्टान को काटने में अभी और समय लगेगा।


कई दुकानें भी खुल गई हैं। पिहरिद से लगे गांव कलमी के भैरव सिंह शेखावत मालखरौदा में फलूदा की दुकान लगाते हैं। वे मूलतः राजस्थान के हैं, लेकिन जब राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट रही भीड़ का पता चला तो वहां पहुंच गए। भैरव हर दिन 5 हजार से अधिक का धंधा कर रहे हैं।


इसी भीड़ का जब छोटे सीपत के कृष्ण कुमार कुर्रे को पता चला तो सोडा बेचने पहुंच गए। दोपहर तक तीन हजार से ज्यादा का सोडा बेच चुके हैं।


कटारी गांव से पवन वैष्णव बर्फ ठेला लगा रहे हैं। 3 दिनों में वे 17 हजार का बर्फ गोला बेच चुके हैं।


गांव के ही भोजराम चंद्रा का मकान राहुल के घर से लगा है। भोजराम की साइकिल की दुकान है। साथ में पान ठेला है। दोनों मिलाकर कभी एक दिन में हजार रुपए का कारोबार नहीं होता था। पिछले तीन दिनों में हर दिन तीन से चार हजार रुपए कमा रहे हैं।


गांव की और दुकानों में भी इसी तरह सामान की बिक्री बढ़ गई है।

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