Online Land Registry: IAS निरंजन दास ने झारखंड की IT कंपनी को उपकृत कर सरकारी खजाने को लगाया 60 करोड़ का चूना, NGDRS के हेड IAS सोनमणि बोले...
Online Land Registry: रजिस्ट्री का साफ्टवेयर का बिजनेस करने वाली झारखंड की आईटी सौल्यूशन कंपनी को खुद झारखंड सरकार ने रेट अधिक होने का हवाला देकर टेंडर निरस्त कर दिया मगर छत्तीसगढ़ में मंत्री और अफसर कंपनी पर मेहरबानी लूटाते रहे। जबकि, छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस सोनमणि बोरा केंद्र में एनजीडीआरएस की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंन आज एनपीजी को बताया...हम लोग फ्री में साफ्टवेयर देने के लिए तैयार हैं...कई बार मैं खुद छत्तीसगढ़ के अफसरों से आग्रह किया कि भारत सरकार का फ्री का साफ्टवेयर लेकर जनता को राहत दें।
Online Land Registry: रायपुर। बीजेपी सरकार ने 2016 में झारखंड की आईटी कंपनी आईटी सौल्यूशन को छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्री कार्य संचालित करने का ठेका बीओटी के तहत दिया था। शर्त थी कि कंपनी पांच साल 60 रुपए प्रति पेज की दर से शुल्क लेगी और पांच साल पूरा होने के बाद बीओटी के नियमानुसार सिस्टम पंजीयन विभाग को हैंड ओवर कर वापस लौट जाएगी। मगर 2021 में पीरियड पूरा होने के बाद कंपनी ने सरकार में बैठे अफसरों से मिलकर चुपके से बीओटी को एक्सटेंशन करा लिया।
पंजीयन विभाग के सिकरेट्री निरंजन दास ने तो हद कर डाला...एक साथ डेढ़ साल का एक्सटेंशन दे दिया। वो भी उसी 60 रुपए के रेट में। याने आम लोगों को लूटने की खुली छूट। छत्तीसगढ़ में साल में लगभग 4 लाख रजिस्ट्री होती है। एक रजिस्ट्री पर लगभग हजार से पंद्रह सौ औसतन खर्च आता है। इस तरह दो साल में सरकारी खजाने को करीब 60 करोड़ का चूना लगाया गया। उपर से कंपनी ने आम लोगों से उगाही करते हुए स्टांप पेपर समेत पीछे के पन्ने की भी 60 रुपए के हिसाब से गिनती कर सौ करोड़ से ज्यादा की अवैध वसूली कर डाली। और सिस्टम में बैठे अफसर आंख-कान मूंदे बैठे रहे। जबकि, केंद्र की मोदी सरकार बार-बार राज्यों से भारत सरकार का एनजीडीआरएस साफ्टवेयर से रजिस्ट्री करने आग्रह कर रही है। सोनमणि बोरा ने बताया कि देश के कई राज्य इस साफ्टवेयर का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ को वे हर मीटिंग में बोलते हैं, भारत सरकार के साफ्टवेयर का इस्तेमाल करें।
बता दें, 2021 में कंपनी का बीओटी आधार पर ठेका का कार्यकाल पूरा हो चुका था। अगर कंपनी का सॉफ्टवेयर विभाग को सौंपने लायक नहीं था तो कंपनी पर पेनल्टी लगाया जाना चाहिए था। साथ ही उसे समय एनजीडीआरएस भी आ चुका था। विभाग चाहती तो भारत सरकार का जेनेरिक सॉफ्टवेयर NGDRS लागू कर सकती थी। पूर्व सचिव संगीता पी ने तीन रजिस्ट्री ऑफिस में NGDRS चालू करवा दिया था, तथा बाकी जगहों पर एनजीडीआरएस चालू करने का आदेश भी जारी करवा दिया था। लेकिन निरंजन दास ने आते ही बाकी जगह में एनजीडीआरएस लागू करने आदेश ठंडा बस्ती में डलवा दिया। कंपनी का सॉफ्टवेयर 5 साल में भी विभाग को सौंपने लायक नहीं बना था इसके बावजूद कंपनी के संसाधन को हैंड ओवर लेने के बजाय तीन बार निरंजन दास ने कार्यकाल बढ़ा दिया। आखरी बार निरंजन दास ने एक ही बार में डेढ़ साल का कार्यकाल बढ़ा दिया। जबकि बीओटी सिस्टम में कार्यकाल पूरा होते ही सेवा प्रदाता का संपूर्ण संसाधन सरकार के हक में आ जाता है।इससे कंपनी को लगभग 60 करोड़ का अवैध भुगतान इन 2 सालों में हुआ है।
कोरिया में फर्जी रजिस्ट्री का मामला
कोरिया में उप पंजीयक के प्रभार में रहे एक डिप्टी कलेक्टर ने लिखित शिकायत किया था कि उसके जानकारी के बिना कंपनी के कर्मचारियों ने बहुत सारे रजिस्ट्री कर दिया है। इस मामले को NPG ने बहुत जोर शोर से उठाया था। तब अधिकारियों ने तत्काल मामले की जांच करने की बात कही थी।इस मामले में कई बार विधानसभा प्रश्न भी हुए। लेकिन आज 3 साल बीत जाने के बाद भी इस मामले की कोई जांच नहीं की गई। कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
हर दस्तावेज में 7 से 10 पृष्ठों का अतिरिक्त चार्ज
ई रजिस्ट्री का ठेका प्रति पृष्ठ दर के आधार पर दिया गया था। ठेका देते समय कंपनी ने हर दस्तावेज में एक न्यूनतम पृष्ठ की गारंटी मांगी थी तब विभाग ने हर दस्तावेज में न्यूनतम साथ पृष्ठ का चार्ज देने की बात कही थी। लेकिन कंपनी प्रस्तुत दस्तावेज के पृष्ठों के अलावा स्टांप पेपर के दोनों साइड के पृष्ठ और सात पृष्ठ अतिरिक्त का जोड़कर चार्ज करती है, जिस पर कई सवाल उठे ,लेकिन विभाग की ओर से कंपनी को उचित निर्देश जारी करने की कोई कार्यवाही नहीं की गई ।अनुमान है, कि इन्हीं अतिरिक्त पृष्ठों से कंपनी अभी तक 80 से 100 करोड रुपए की अवैध वसूली कर चुकी है।
अपॉइंटमेंट सिस्टम में भारी अनियमितता
रायपुर ,दुर्ग ,बिलासपुर जैसे जगह में आम चर्चा है कि रजिस्ट्री बहुत कम होती हैं, लेकिन सॉफ्टवेयर में अपॉइंटमेंट पूरा दिखाया जाता है। बाद में कंपनी द्वारा एक स्पेशल पोर्टल रजिस्ट्री के नाम से 5000 से 20000 तक में अपॉइंटमेंट बेचा जाता है। पोर्टल की एंट्री कंपनी के कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता है।
क्या होता है बीओटी?
बिल्ट, ऑपरेट, ट्रांसफर सिस्टम का आधार यह होता है कि निजी क्षेत्र अपने संसाधन से सिस्टम बनाएं। कुछ साल तक चला कर प्रॉफिट शेयरिंग प्राप्त करें, और विभाग को सौंप दे। मध्य प्रदेश में भी विप्रो ने सिस्टम बनाया और 2 साल चला कर विभाग को हैंड ओवर कर दिया और मध्य प्रदेश में कैशलैस, पेपरलेस रजिस्ट्री सिस्टम सफलतापूर्वक चल रहा है। सवाल यह पैदा होता है कि कंपनी को इस आधार पर काम दिया गया था, लेकिन अभी तक कंपनी ऐसा सिस्टम क्यों डेवलप नहीं कर पाई है, कि वह विभाग को सौंप सके ,और विभाग उसका स्वतंत्रता पूर्वक संचालन कर सके। प्रश्न यह भी है कि जब कंपनी ऐसा सिस्टम नियत समय में डेवलप नहीं कर पाई ,तो कंपनी पर क्या कार्यवाही हुई ,और आगे का रेवेन्यू शेयरिंग भी कंपनी को क्यों दिया जा रहा है। कंपनी ऐसा सिस्टम डेवलप नहीं कर पाई तो विभाग के पास एनजीडीआरएस एक विकल्प था जो भारत सरकार का सॉफ्टवेयर है। तीन जगहों में ये सॉफ्टवेयर सफलतापूर्वक चल रहा है,लेकिन कंपनी को फायदा पहुंचाने के चक्कर में बाकि जगह में इस सिस्टम को चलाने में कोई रुचि नहीं ली गई।
अपॉइंटमेंट सिस्टम हैक होने की घटनाएं
कंपनी का अपॉइंटमेंट सिस्टम हैक होने की भी घटनाएं निरंजन दास के कार्यकाल में कवर्धा से हो चुके हैं जिसकी कोई जांच नहीं कराई गई। सारे नियम कानून प्रक्रिया ऐसे बनाए गए, कि कंपनी हर जिम्मेदारी से बच सके। विभागीय अधिकारियों को डराया धमकाया गया कि कंपनी के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखना है कुछ भी लिखने का मतलब विभागीय अधिकारी कर्मचारी पर कार्रवाई।
झारखंड में कंपनी को आउट किया जा चुका है
कंपनी को सबसे पहले झारखंड में रजिस्ट्री का ठेका मिला था। 20 प्रति पृष्ठ का दर था। कुछ दिन बाद शिकायत होने पर झारखंड से कंपनी को आउट कर दिया गया था। छत्तीसगढ़ में कंपनी का धंधा खूब फला फूला।
देर रात तक रजिस्ट्रियां
कोई भी सरकारी ऑफिस के खुलने और काम संचालन का एक नियत समय होता है 10ः00 बजे से 5ः00 बजे तक। रजिस्ट्री ऑफिस में भी 10:00 से 5:00 बजे तक ही रजिस्ट्री का नियम है। कंप्यूटर कारण में तो इस नियम का और अधिक कड़ाई से पालन होता है लेकिन छत्तीसगढ़ में उल्टा हुआ। ई पंजीयन सॉफ्टवेयर में रजिस्टार मॉड्यूल में घुसकर कंपनी स्तर से हर छेड़छाड़ करवाना मुमकिन है। निरंजन दास के कार्यकाल में रात 10:00 बजे 12:00 बजे इस सॉफ्टवेयर को खोलकर रजिस्ट्री करवाने की अनेक घटनाएं हुई,जो म्क् के संज्ञान में भी है। यह भी पता चला है कि कंपनी के सर्वर में बैक ऑफिस से रजिस्ट्री हो चुके दस्तावेज में भी भारी छेड़छाड़ किया गया है। कंपनी के सॉफ्टवेयर में सरकार हित जनहित और सुरक्षा हित में सुरक्षा तंत्र का भारी अभाव है। इसका अगर बड़ी जांच एजेंसी से जांच कराई जाए तो पता चल सकता है की रजिस्ट्री हो चुके दस्तावेजों में रजिस्टार मॉड्यूल में घुसकर कितने दस्तावेजों में क्या-क्या छेड़छाड़ किया गया है।
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रायपुर/मनेंद्रगढ़, 13 अगस्त 2021। छत्तीसगढ़ की ई-रजिस्ट्री में ऐसा सेंध लगा है, जो देश में कहीं नहीं हुआ….मनेद्रगढ़ में जमीनों की रजिस्ट्री करने वाली प्रायवेट कंपनी के कंप्यूटर ऑपरेटर ने रजिस्ट्रार के पासवर्ड और आईडी से कई फर्जी रजिस्ट्री कर डाला। मामले का भंडाफोड़ तब हुआ, जब प्रभारी रजिस्ट्री अधिकारी और डिप्टी कलेक्टर उत्तम रजक को किसी ने इसकी शिकायत की। उन्होंने जांच कराई तो आवाक रह गए….पता चला सिर्फ जून में सात रजिस्ट्री बिना उनके हस्ताक्षर के हो गए। उन्होंने मनेंद्रगढ़़ के डिप्टी रजिस्ट्रार को पत्र लिख इस मामले में कार्रवाई करने कहा है। इस मामले में कोरिया कलेक्टर श्याम धावड़े ने जांच के लिए टीम गठित कर दी है। वहीं, आईजी पंजीयन इफ्फत आरा ने एनपीजी न्यूज से बात करते हुए हैरानी जताई कि ऐसा हो कैसे गया…अगर ऐसा हुआ होगा तो कार्रवाई होगी…मैं तुरंत डिप्टी रजिस्ट्रार से बात करती हूं। वहीं, पंजीयन विभाग के सिकरेट्री निरंजन दास से बात करने की कोशिश की गई मगर उनका मोबाइल कनेक्ट नहीं हो पाया।डिप्टी कलेक्टर उत्तम रजक ने सातों फर्जी रजिस्ट्री का टोकन नम्बर, तारीख और टाईम के साथ पूरा डिटेल भेजकर कहा है कि परीक्षण से स्पष्ट है कि मेरे पासवर्ड, आईडी और हस्ताक्षर का अनाधिकृत उपयोग कर जमीनों की रजिस्ट्री की गई है। लिहाजा आवश्यक कार्यवाही की जाए। उत्तम जून में कोरिया में पोस्टेड थे। रजिस्ट्रार का उनके पास अतिरिक्त प्रभार था। उसी समय इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया। उत्तम का अभी सूरजपुर ट्रांसफर हो गया है। अफसरों का कहना है, कि ये तो सिर्फ जून महीने का परीक्षण किया गया है, अगर छत्तीसगढ़ के रजिस्ट्री आफिसों की जांच की जाए तो बड़ी धोखाधड़ी का खुलासा होगा। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें