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IAS एकेडमी में रोमांस ना बाबा!.. पूर्व आईएएस ने टॉपर्स को लिखा- सरसराहट भरे देवदार के पेड़ों के बीच प्रेम के अंकुर फूटते हैं, आपकी पहली चुनौती होगी रोमांस और शादी को संभालना...

IAS एकेडमी में रोमांस ना बाबा!.. पूर्व आईएएस ने टॉपर्स को लिखा- सरसराहट भरे देवदार के पेड़ों के बीच प्रेम के अंकुर फूटते हैं, आपकी पहली चुनौती होगी रोमांस और शादी को संभालना...
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By NPG News

नई दिल्ली 7 जून 2022 । दिल्ली की मुख्य सजीव रहीँ शैलजा चन्द्र ने यूपीएससी में सलेक्ट होने वाले महिला अभ्यर्थियों के लिए खुला खत लिखा है। जिसमे उन्होंने प्रेम,शादी,नौकरी ,पारिवारिक जिम्मेदारियों को सम्हालने के गुर सिखाएं हैं। आइये पढ़ते हैं उनका हुबहू पत्र।

प्रिय IAS टॉपर्स

सात साल पहले, 2014 में आईएएस परीक्षाओं की पहली चार रैंक्स पर महिलाएं थीं. इस साल ऊपर की तीन पोजिशंस पर फिर से तीन लड़कियों ने बाजी मारी है.

10 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों, परीक्षा देने वाले पांच लाख लोगों और 2022 के बैच के लिए क्वालिफाई करने वाले 177 लोगों में सबसे ऊपर रहकर आप लोगों ने मानो हिमालय का शिखर छू लिया है. अब से आपके करियर के हर पड़ाव का अनुसरण उत्सुकता के साथ किया जाएगा. आप युवा महिलाओं को अपनी तरह चमकने के लिए प्रेरित करती रहेंगी.

2015 में मैंने आईएएस टॉपर्स के लिए कुछ नुस्खे लिखे थे. लेकिन आज मैं उन व्यक्तिगत चुनौतियों की बात करना चाहती हूं जिनका सामना आप और आपकी दूसरी महिला कलीग्स करेंगी और ये चुनौतियां राजनेताओं या समाज की तरफ से नहीं उपजेंगी. बल्कि पतियों, बॉस और कलीग्स की तरफ से मिलेंगी. मैं आप लोगों को वे गलतियां न करने की सलाह दूंगी जो आपसे पहले बहुत सी महिलाओं ने की होगी- कि आप अमन चैन कायम रखने के लिए अपनी जिंदगी की कमान किसी और के हाथ में थमा दें.

रोमांस और शादी को संभालना

आप लोगों की पहली चुनौती रोमांस और शादी को संभालना है. मसूरी में लाल बहादुर नेशनल एकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, इसके बाद भारत दर्शन और दूसरे कई फील्ड प्रोग्राम्स में आपके इर्द-गिर्द पुरुष ऑफिसर ट्रेनी होंगे.

एकैडमी के खास माहौल का प्राकृतिक परिणाम रोमांस और शादी होता है- जहां सरसराहट भरे देवदार के पेड़ों के बीच प्रेम के अंकुर सहज फूटने लगते हैं. कहा जाता है, जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं, लेकिन एकैडमी के रोमांस अक्सर सोच-विचारकर भी किए जाते हैं.

जब मैं 56 साल पहले प्रोबिशनर थी तो डायरेक्टोरियल स्टाफ (डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर और डेप्यूटी डायरेक्टर) एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक में हम 140 लोगों पर नजर रखा करते थे. वे प्रेमी जोड़ों की कैमिस्ट्री को देखकर आपस में शर्त लगाते थे कि कौन किससे शादी करेगा

कुछ प्रशिक्षुओं ने तो शुरुआती महीनों में ही सगाई भी कर ली थी, और कइयों के रिश्तों में खटास आ गई थी. कई बार शादियां नहीं होती थीं, या टाल दी जाती थीं. क्योंकि माता-पिता और बिरादरी के लिए जातियां बहुत मायने रखती थीं. लड़के वाकिफ होते थे, या नावाकिफ, कई बार परिवार शादी का वादा कर देता था, क्योंकि दहेज से इनकार करने का नुकसान नहीं उठाना चाहते थे और इस तरह भाई बहन की मदद करने का मौका भी हाथ से फिसल जाता था.

कैडर और करियर की प्लानिंग

स्टेटहुड और छोटे कैडरों ने करियर प्लानिंग पर असर डाला है.पहले सभी राज्य कैडर, स्थिरता और गवर्नेंस की लिहाज से लगभग एक बराबर थे. नए राज्य और छोटे राज्य कैडर के साथ, अब एकैडमी के प्रेम संबंध व्यापार जैसे हो गए हैं.

ऐसा नहीं है कि हैप्पी आईएएस "लव मैरिज" नहीं होतीं, लेकिन कई बार किसी छोटे या सुदूर इलाके में कैडर चेंज से बचने के लिए लोग अपने ही बैचमेट से शादी करने का विकल्प चुनते हैं. ये शादियां चल सकती हैं, और नहीं भी चल सकती हैं.

सबक नंबर 1

आपका पूरा करियर और भविष्य अपने कलीग से शादी करने के एक फैसले पर निर्भर करेगा. समझदार बनिए और अपनी आंखों से भावनाओं की पट्टी खोलकर फैसला कीजिए.

पेशेवर कामयाबी के लिए घरेलू जिम्मेदारियों को बांटिए

एक बार शादी हो जाए तो औरतों का करियर पटरी से उतर जाता है. इसके कई कारण होते हैं जिनका पैटर्न चिरपरिचित होता है. परीक्षाओं में कामयाबी दिलाने वाली दृढ़ता, असल जिंदगी की चुनौतियों के आगे कमजोर पड़ जाती है.

आईएएस एसाइनमेंट्स में सफल होने के कई मानदंड हैं लेकिन मैं कुछ का जिक्र कर रही हूं. जैसे बहुत शॉर्ट नोटिस पर देश में कहीं भी यात्रा करने के लिए तैयार रहना; हर दिन तरह तरह के स्थानीय लोगों से बात करना, लेकिन फिर भी टाइम को मैनेज करना; आने वाली मुसीबतों को भांप लेना और उनसे निपटने की क्षमता रखना; कागजी कार्रवाई (जोकि बहुत ज्यादा होती है) को निपटाने के लिए देर तक काम करना; कुछ हालात की राजनीतिक गंभीरता को समझने की कुशलता होना- यह सब एकैडमी और लेक्चर हॉल्स में नहीं सिखाया जाता.

यह सब इस बात से तय होता है कि किसी में सरकारी काम को करने का कितना जोश है और आग भड़कने से पहले कैसे उसे बुझाया जा सकता है. इसके लिए सवालों के जवाब मांगना और हर प्रतिक्रिया पर ध्यान देना पड़ता है, कई बार ऐसे लोगों से भी जिनसे उनकी अपेक्षा नहीं की जाती. इसके लिए घड़ी की सुइयों से नजर हटानी पड़ती है.

अक्सर पतियों को यह गवारा नहीं होता कि दफ्तर की जिम्मेदारियां, उनकी और उनके परिवार की जरूरतों पर हावी हो जाएं, और बदकिस्मती से, ज्यादातर औरतें घर पर अमन चैन कायम रखने के लिए इसे चुपचाप मान लेती हैं.

हालांकि, अनाधिकारिक सूत्र, जो किसी काम को करने की आपकी काबिलियत पर फैसला करते हैं, आपकी विश्वसनीयता को मापते हैं. और अगर अनाधिकारिक सूत्र कहते हैं कि आप उच्च स्तर को प्राप्त नहीं कर सकतीं, तो आपको हाशिए पर धकेल दिया जाएगा, भले ही आप कभी टॉपर रही हों.

सबक नंबर 2

आईएएस 9-5 की डेस्क जॉब नहीं, यह 24x7 की जिम्मेदारी है. शादी से पहले यह जरूर तय करें कि घरेलू जिम्मेदारियों को बांटा जाएगा. इस पर चर्चा करें कि क्या हो सकता है. आपके पास आधिकारिक जिम्मेदारियों को वरीयता देने का हक है, जब वे महत्वपूर्ण या समय से बंधी हुई हों. इस बात की जांच करें कि आपका भावी साथी आपको सहयोग देगा या नहीं.

सबक नंबर 3

पहल कीजिए, बताइए कि आपको लोगों की परवाह है. अब लोगों से मिलने-जुलने के बारे में... अगर आप लोगों को आसानी से सुलभ होंगी और मधुर व्यवहार करेंगी, तो नेता, बिजनेसमेन, मीडिया, कलीग्स, उपद्रवी और आलोचक, सभी आपको पसंद करेंगे.

मेरे करियर की शुरुआत में, एक कमीश्नर ने मेरे पास एक विरोध पत्र भेजा और उस पर उनकी यह टिप्पणी थी कि मुझे उन हस्ताक्षरकर्ताओं से मिलना चाहिए जिन्हें शिकायत है. लेकिन मेरे पास कोई नहीं आया तो मुझे लगा कि मामला सुलझ गया है.

करीब पंद्रह दिन बाद एक समारोह में मैं कमीश्नर से मिली. उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं लोगों से मिली. मैंने जवाब दिया- "नहीं" क्योंकि वे लोग आए ही नहीं. उन्होंने मुझे डांटा तो नहीं, लेकिन सलाह दी:

"लोगों से हमेशा मिलो और उनसे बातचीत करो, जब तुम्हें पता हो कि उन्हें कोई शिकायत है. तुम्हारे पास उनका नाम और पता, दोनों है."

सबक नंबर तीन- सोने के सिंहासन पर कैद मत हो जाइए. लोगों से मिलिए-जुलिए. उनसे बातचीत कीजिए.

आपके नाम की चर्चा होती रहे

हर पेशे में, और आईएएस भी अपवाद नहीं- महिलाओं को मल्टीटास्किंग की आदत होती है. ज्यादातर महिलाओं में रचनात्मक और तटस्थ तरीके से समस्या का हल निकालने की क्षमता होती है, वे सहानुभूति का प्रदर्शन करती हैं और स्वभाव से विचारशील होती हैं.

लेकिन इन गुणों को स्त्रीत्व की प्राकृतिक विशेषता माना जाता है, और शायद ही उनकी प्रशंसा होती हो, क्योंकि वे खुद को अच्छी तरह से पेश नहीं करतीं.

एक केंद्रीय मंत्री, जो मेरा काम पसंद करते थे, ने मुझे यह सलाह दी थी कि जिन लोगों के अनुरोध को मैं मंजूर करती हूं, उन्हें फोन जरूर करूं.

"उसे यह खबर सबसे पहले तुमसे मिलनी चाहिए," उन्होंने कहा था. इसी तरह एक मशहूर होम्योपैथ ने स्वास्थ्य मंत्रालय, जहां मैंने बहुत साल किया था, में मुझसे एक बार कहा था, "तुम्हारी बहुत शोहरत है लेकिन कोई समुदाय नहीं है. तुम्हें एक समुदाय बनाना चाहिए. चाहे वह तुम्हारा कॉलेज हो, तुम्हारे होम स्टेट के लोग या तुम्हारे पति का परिवार, जिन लोगों की तुमने मदद की है, दुनिया को यह बताने के लिए उनका इस्तेमाल करो कि तुमने क्या-क्या किया है."

अपने काम और अपनी क्षमताओं को पेश करिए और दोस्त और सहयोगी बनाइए जो आपके बारे मे अच्छी बातें करें और आप चर्चा में बनी रहिए.

सबक नंबर 4

आपका करियर गैरजरूरी नहीं है. न सिर्फ परिवार, बल्कि पुरानी सोच वाले दकियानूसी बॉस को भी यह बात नागवार लग सकती है कि एक औरत मीटिंग्स में बोल रही है या अपनी बात पर टिकी हुई है.

कॉन्फ्रेंस टेबल पर ज्यादातर लोग बॉस की हां में हां मिलाएंगे, आपकी बात पर नहीं. इसलिए आपको ज्यादा मेहनत करनी होगी और समय आने पर इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपकी बात सुनी जाए.

अगर कलीग्स या बॉस आपको हतोत्साहित करें (यह आम तौर पर होगा ही), तो कहिए कि दो मिनट बिना रुकावट डाले, आपकी बात सुनी जाए. इससे इनकार नहीं किया जा सकता, कम से कम आज के दौर में तो नहीं. लेकिन संतुलन बनाए रखिए और विनम्रता से अपनी बात कहिए.

मंच मिलने पर, भावुक हुए बिना अपनी बात पर टिकी रहिए. हो सकता है, बहस में आप हार जाएं लेकिन यह अपनी पहचान को गंवाने से बेहतर होगा- जोकि किसी भी सूरत माफी योग्य नहीं है.

सबक नंबर 5

प्रोफेशनल बनिए, संतुलन बनाइए लेकिन अपनी सोच पर टिकी रहिए. चुनना सीखिए.

अपने मेंटर को ध्यान से चुनिए

एक बार मुझे वर्ल्ड एनर्जी कॉन्फ्रेंस के एक भारतीय डेलिगेशन के लिए चुना गया. इससे पहले मेरे कई पूर्व अधिकारी इसमें हिस्सा ले चुके थे. मंत्री जी ने उस डेलिगेशन को मंजूरी दी, लेकिन इसके बाद एक रंगीनमिजाज़ सेक्रेटरी ने मुझे उस डेलिगेशन से हटा दिया, और जैसा कि मेरे एक चतुर-चालाक कलीग ने बताया, उस सेक्रेटरी ने चुटकी लेते हुए कहा था कि "कान के तट पर, यॉट में हम साड़ी पहनने और बिंदी लगाने वाली महिला को क्यों लेकर जाएंगे?"

मैं मंत्री जी से मिली और उनसे कहा कि मुझे डेलिगेशन से हटा दिया गया है. उन्होंने तुरंत उस आदेश को वापस लेने का आदेश दिया और उस स्टाइलिश सेक्रेटरी को डांट पिलाई. लेकिन मैंने एक बड़ा रिस्क लिया था. खुशकिस्मती से वह मेरे काम आया, वरना उसका उलटा असर भी हो सकता था.

सबक नंबर 6

अपने मेंटर को ध्यान से चुनिए. जब आप सुनिश्चित हों कि आपके साथ अन्याय हुआ है, तो मदद मांगने से न हिचकिचाएं. अगर आप पुरुषों की मंडली में शामिल न हो सकें तो आपको कभी कभी उन्हें हराने के तरीके खोजने होंगे.

आप अपने पार्टनर के बराबर हैं

आपने दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा में तो कामयाबी हासिल कर ली है. अब आपको सबसे ज्यादा तसल्ली इसमें होगी कि आप लोगों के जीवन में बदलाव लाएं, न कि जिंदगी भर एक आदमी को खुश करें.

मेरा इरादा यह नहीं कि आपको घर में या दफ्तर में बगावत करने के लिए उकसाऊं, मैं सिर्फ आपको यह कहने की कोशिश कर रही हूं कि सर्विस कलीग से शादी करते वक्त यह याद रखें कि आप हर तरह से उसके बराबर हैं (कभी-कभी उससे बेहतर भी), आपका दर्जा उसके बाद नहीं आता.

लोग आपको पसंद करें, यह बहुत आसान है. लोग आपका सम्मान करें, इसके लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन आपको सभी याद करें, इसके लिए आपको अपने लिए खड़ा होना पड़ेगा. सिर्फ एक दिन नहीं, हर दिन! गुड लक! दुनिया की नजरें आप लोगों पर टिकी हुई हैं.

शैलजा चंद्रा

पूर्व सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय और पूर्व मुख्य सचिव, दिल्ली...

रिटायर्ड IAS शैलजा चंद्रा, स्वास्थ्य प्रबंधन, जनसंख्या स्थिरीकरण और महिला सशक्तीकरण से संबंधित विषयों की विशेषज्ञ हैं. वह स्वास्थ्य मंत्रालय में सचिव और बाद में मुख्य सचिव, दिल्ली थीं.

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