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Mission Save Rahul: सेना ने संभाली कमान, एक बड़े चट्टान ने रोकी रेस्क्यू की रफ्तार; राहुल के बेहद करीब दल

NDRF और SDRF के पास नहीं थे पर्याप्त उपकरण इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन में ठिठकना पड़ा।

Mission Save Rahul: सेना ने संभाली कमान, एक बड़े चट्टान ने रोकी रेस्क्यू की रफ्तार; राहुल के बेहद करीब दल
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By NPG News

जांजगीर, 14 जून 2022। राहुल साहू के रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान अब भारतीय सेना ने संभाल ली है। एक नए चट्टान की वजह से रेस्क्यू की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन लगातार जारी है। दरअसल, कम्प्रेशर की आवाज से राहुल सहम जाता है। वह रोने लगता है, इसलिए थोड़ी देर में कम्प्रेशर बंद किया जाता है, फिर रुककर चालू कराया जाता है। सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लोगों से अपील की है कि वे राहुल की सलामती के लिए प्रार्थना करें। उन्होंने कहा है कि किसी भी समय रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो सकता है और राहुल बाहर आएगा।

राहुल को 80 फीट गहरे बोरवेल में फंसे अब 100 घंटे से ज्यादा वक्त हो गया है। यह अब तक का देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन है। इसे लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि NDRF को इतनी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में काम करने का पहले अनुभव नहीं रहा है। जब टीम पहुंची, तब उनके पास जरूरी मशीनें भी नहीं थीं। जरूरत के मुताबिक एक-एक कर जांजगीर, कोरबा, रायगढ़ और बिलासपुर से मशीनें जुटाई गईं। एसईसीएल और कुछ माइनिंग खदानों से मशीनें मंगाई गईं। इस दौरान ऑपरेशन में देरी हुई।

अब जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक टनल के लिए कई फीट चट्टानों को काटा जा चुका है। राहुल तक पहुंचने से पहले एक पत्थर और आ गया है। पत्थर को काटने के लिए सेना के जवान लगे हुए हैं। राहुल के सहम जाने के कारण धीमी गति से और रुक-रुककर ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

अभियान से जुड़े जवान अब अंतिम पड़ाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। जैसे-जैसे जवान राहुल की तरफ बढ़ रहे हैं। एहतियातन ऑपरेशन की गति धीमी कर दी गई है, ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल को कोई भी नुकसान न पहुंचे। कम्प्रेशर मशीन जैसे-जैसे पत्थरों को काटते हुए राहुल की तरफ बढ़ रहा है। वैसे-वैसे कम्पन बढ़ते जा रहा है, जिससे राहुल डर जा रहा है।

कुछ देर पहले राहुल की मां व अन्य परिजनों को खुदाई स्थल पर पहुंचने के लिए कहा गया था। इससे यह माना गया था कि जल्द ही राहुल बाहर आएगा। परिजनों को एक गाड़ी में बैठाया गया था।

एसपी विजय अग्रवाल की तबीयत बिगड़ी

बता दें कि रेस्क्यू टीम पिछले पांच दिनों से अब तक 80 से अधिक चट्टानों को निकाल चुकी है। जल स्तर कम करने के लिए गांव में दिनभर बोर चलाने की मुनादी प्रशासन करवा रहा है। बोर चलने के कारण गांव की कच्ची सड़कों में कीचड़ फैल गया है। ऑपरेशन के दौरान जांजगीर एसपी विजय अग्रवाल को भी 102 डिग्री बुखार व डिहाइड्रेशन की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके अतिरिक्त रेस्क्यू में लगे एनडीआरएफ के जवानों की भी तबीयत सही बनाए रखने के लिए हर दो-दो घंटे में शिफ्ट बदली जा रही है। रेस्क्यू को एनडीआरएफ की तरफ से संचालित कर रहे अफसर वर्धमान मिश्रा भी घायल हो गए थे। प्राथमिक उपचार के बाद उन्होंने फिर से ऑपरेशन की कमान संभाल ली है।

शाम के समय मौसम थोड़ी देर के लिए बिगड़ा पर फिर मौसम साफ हो गया। रायपुर से आए टनल टीम के इंजीनियर इमरान नवाब व एक्सपर्ट धवल मेहता ने कहा कि अक्सर शहरों में सीवरेज, पानी, नाली के लिए टनल बनाया जाता है पर ये रेस्क्यू ऑपरेशन है। यहां अत्यंत सावधानी रखनी पड़ रही है। बार-बार पत्थर आ जाने की वजह से ऑपरेशन में टाइम लग रहा है। जो भी चट्टान सामने आ रही है, उनमें से अधिकतर डोलोमाइट हैं, जो काफी हार्ड रहता है।

पूरे रेस्क्यू पर सीएम भूपेश बघेल स्वयं नजर बनाए हुए हैं। घटनास्थल पर कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला, एसडीआरएफ के डायरेक्टर मयंक श्रीवास्तव, एनडीआरएफ व आर्मी के जवान जमे हुए हैं।

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