अखिलेश अखिल
जयप्रकाश नारायण यानी जेपी, जिन्होंने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया और देश के युवा उस नारे की दुदुम्भी बजाते हुए तत्कालीन इंदिरा सरकार को चुनौती देकर तत्कालीन सरकार को धूल चटा दिया था ,आज फिर से जेपी की माला जप रहे हैं। लेकिन सच यही है कि जे पी के तमाम अनुयायी पिछले कई सालों से सत्ता की राजनीति तो कर रहे हैं लेकिन जेपी ने जिन सवालों को लेकर सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था ,आज भी वे सवाल खड़े हैं और उसकी जड़े पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है। देश के किसी भी राज्य में आप चले जाइये ,जेपी के अनुयाइयों की सत्ता है या फिर विपक्ष में खड़े हैं लेकिन जेपी के आदर्शों को कोई मानने को तैयार नहीं।
जेपी एक बार फिर से चर्चा में हैं। जब से नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़कर राजद समेत सात दलों के साथ महागठबंधन कर नयी राजनीति शुरू की है बीजेपी की परेशानी बढ़ गई है। बिहार सत्ता संग्राम का अखाड़ा बन गया है। बीजेपी के चाणक्य व देश के गृहमंत्री अमित शाह एकबार फिर से जेपी की जयंती पर बिहार आने वाले हैं। जेपी की जन्मस्थली सिताब दियारा से अमित शाह चुनावी शंखनाद करेंगे। हालांकि यह पहली बार नहीं है. जब किसी राजनीतिक दल का नेता सियासी पेंच सुलझाने या फिर दांव-पेंच को साधने के लिए जेपी की भूमि पर आए। अक्सर बीजेपी समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेता जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा आते रहते हैं। अब अमित शाह के दौरे को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का एक नया बयान सामने आया है। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि 'बिहार में भाजपा की हालत टाइट है, इसीलिए बिहार के चक्कर काट रहे हैं।
बीजेपी को लगता है कि जेपी की जयंती के बहाने बिहार में नयी राजनीति की शुरुआत की जा सकती है और लालू और नीतीश को चुनौती दे जा सकती है। याद रहे लालू और नीतीश भी उसी जेपी आंदोलन की उपज हैं और शायद बीजेपी के शीर्ष पर बैठे मोदी और शाह भी। ऐसे में सवाल है कि करीब दो दशक तक सत्ता में नीतीश के साथ रहने वाली बीजेपी क्या इसका जबाव दे सकती है कि उसने जेपी के आदर्शों का पालन किया है ? पुरे देश में जिस तरह से बीजेपी की राजनीति आगे बढ़ रही है और समाज में टूट दिखाई पड़ती है क्या इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार नहीं ? क्या कोई भी राजनीतिक दल जो जेपी का नाम लेता है उसने भी कोई जेपी की उसूलों के मुताबिक़ काम किया ? ये गहरे सवाल हैं और इसके उत्तर किसी के पास नहीं। न तो लालू और नीतीश के पास है और नहीं मोदी और शाह के पास ही।
जेपी के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का मक़सद क्या था? जेपी का आंदोलन भ्रष्टाचार के विषय पर शुरू हुआ था। बाद में इसमें बहुत कुछ जोड़ा गया और यह संपूर्ण क्रांति में परिवर्तित हो गया और व्यवस्था परिवर्तन की ओर मुड़ गया। इसके तहत जेपी ने कहा कि यह आंदोलन सामाजिक न्याय, जाति व्यवस्था तोड़ने, जनेऊ हटाने, नर-नारी समता के लिए है. बाद में इसमें शासन, प्रशासन का तरीका बदलने, राइट टू रिकॉल को भी शामिल कर लिया गया। वह अंतरजातीय विवाह पर ज़ोर देते थे। ऐसे में जब जेपी ने 5 जून 1974 के दिन पटना के गांधी मैदान में औपचारिक रूप से संपूर्ण क्रांति की घोषणा की तब इसमें कई तरह की क्रांति शामिल हो गई थी। इस क्रांति का मतलब परिवर्तन और नवनिर्माण दोनों से था। हालांकि, एक व्यापक उद्देश्य के लिए शुरू हुआ जेपी का संपूर्ण क्रांति आंदोलन बाद में दूसरी दिशा में मुड़ गया और जेपी के लोग खुद उसी दलदल में फास्ट चले गए जिसके खिलाफ जेपी आंदोलन कर रहे थे।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 11 अक्टूबर को एकदिवसीय दौरे पर बिहार जा रहे हैं। शाह स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता जय प्रकाश नारायण की जयंती कार्यक्रम में शामिल होने सिताब दियारा आएंगे, जो जेपी का जन्मस्थान है। बीजेपी नेता का 20 दिन में ये दूसरा बिहार दौरा है। इस दौरान अमित शाह जय प्रकाश नारायण की विरासत को आगे ले जाने का दावा करने वाले नीतीश कुमार और लालू यादव पर हमला बोलते दिख सकते हैं जो (नीतीश-लालू) अपने आप को जेपी का प्रोडक्ट बताते हैं। यह एक संयोग कह लीजिए या समय की जरूरत कि लोकनायक जयप्रकाश की जयंती पर अमित शाह अपना राजनीतिक मोर्चा खोलने आ रहे हैं। जाहिर है बिहार है और राज्य में लालू नीत सरकार हो तो बीजेपी के लिए भ्रष्टाचार एक मजबूत मुद्दा बन जाता है। उस खास समय में जब लालू परिवार रेलवे जमीन घोटाला, मॉल निर्माण या फिर से आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंसती नजर आ रही है तो जय प्रकाश नारायण की भूमि से चुनावी शंखनाद का अपना एक अलग मकसद भी होता है। जय प्रकाश नारायण की सरजमी से अमित शाह उद्घोष कर जनता के बीच संदेश देना चाहते है कि जो कोई भी देश की एकता अखंडता को चुनौती देता है या फिर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है, उसे बिहार की जनता माफ नहीं करती है।
इसके साथ साथ अमित शाह लालू की गृह क्षेत्र ,और शहाबुद्दीन के गढ़ को चुनौती भी देने भी सिताब दियारा आ रहे हैं। वैसे भी जय प्रकाश नारायण की जन्मभूमि से खासकर वे सिवान, गोपालगंज के साथ-साथ छपरा पर भी निशाना साधने आ रहे हैं। इस बार की चुनौती जेडीयू को गठबंधन धर्म के तहत दी गई सीट गोपालगंज और सिवान पर कब्जा करना है जहां अभी जेडीयू के उम्मीदवार पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती 11 अक्तूबर 2022 को मनाई जाएगी। इस दिन राजधानी पटना में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी कड़ी में अब मुख्यमंत्री इस दिन को नागालैंड जाएंगे। इस बात की जानकारी जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने दी है। ललन सिंह ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर जदयू की तरफ से पटना के बापू सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित होगा। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद वो नागालैंड के दौरे पर जाएंगे।
नीतीश कुमार के नागालैंड में जेपी की जयंती मनाने के सवाल पर जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि जब नागालैंड में अशांति थी, तब जेपी वहां तुरंत चले गए थे। उनके प्रयास की वजह से नागालैंड में सीजफायर करवाया था। इसके बाद वो करीब तीन साल बाद तक नागालैंड भी ही रहे थे। उन्होंने वहां के कई सैकड़ों गांवों का दौरा किया था और वहां के लोगों को शांति का पाठ पढ़ाया था। आज वहां पर घर-घर में जेपी की पूजा होती है। इसी वजह से नीतीश कुमार वहां जा रहे हैं।
बता दें कि नागालैंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके अलावा जदयू ने साफ़ कर दिया है कि वो यहां से चुनाव भी लड़ेगी। ऐसे में इसे सियासी चश्में से भी देखा जा रहा है। साफ़ है जदयू वोट की राजनीति के तहत नागालैंड जा रहे हैं तो अमित शाह बिहार में उसी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए आ रहे हैं। दोनों का मकसद वोट उगाहने की है लेकिन खेल जेपी के नाम पर हो रहा है। सवाल फिर वही है कि जो नेता जेपी के आदर्शों को नहीं मान पाया वह किस मुँह से जनता से बात कर पाता है। लालू हों या नीतीश या फिर मोदी और शाह ,जेपी को सबने धोखा ही तो दिया है। जनता ये बातें समझ जाए तो तस्वीर दूसरी हो जाएगी।