raipur news: आज कल की बदलती जीवनशैली में लोगों का काम का तरीका इतना बदल गया है कि लोगों मे चिड़चिड़ापन गुस्सा हर बात में आने लगा है। जब बात-बात पर गुस्सा आता है? छोटी-छोटी बातों को लेकर क्या आप भी उतावले गुस्सैल हो जाते है। तो अपने परिवार और ऑफिस में लोगों से लड़ने-झगड़ने लगते हैं ? अगर वाकई ऐसा है तो आपको ज्योतिषीय नुस्खें अपनाने चाहिए। ताकि आपका मन शांत हो सके।
गुस्से या क्रोध से निजात दिलाने वाली कोई दवा भी नहीं बनी , जिसे खाकर आप क्रोध पर काबू पा सकते है, लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों में कुछ बातें लिखी गई है जिसे जीवन में अपनाकर आप जीवन से क्रोध को दूर कर सकते है तो आइए जानते हैं कौन-कौन से हैं वो चमत्कारी मंत्र, जिनके जाप से इंसान अपने गुस्से पर पूर्ण नियंत्रण कर सकता है।
क्रोध से बचने के उपाय
धर्म ग्रंथ मे सात्विकता और संयम सिखाते है। अगर इसका अनुसरण किया जाये तो क्रोध से बच सकते है। वेदों को दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना गया है। इन्हीं वेदों में छिपा है दुनिया के हर मसले का वैज्ञानिक हल। इसमें भगवान शिव के पुत्र और प्रथमपूज्य भगवान गणेश ने मानव जाति को क्रोध पर नियंत्रण करने का रहस्य बताया है। भगवान गणेश के बताए वैदिक मंत्र के द्वारा कोई भी इंसान अपने क्रोध पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर सकता है।
यह मंत्र क्रोध पर लगाएगा लगाम
इस मंत्र के जाप से आपको गुस्सा तो नहीं आएगा साथ ही ईश्वर की कृपा दृष्टि आप पर सदैव बनी रहेगी । आपके बिगड़ते काम बन जाएंगे।
ॐ शांताकाराय नम:
इस शांति मंत्र प्रतिदिन 21 बार जप करें
इस मंत्र का प्रतिदिन 21 बार जप करने से लाभ जरूर मिलता है। ये भी ध्यान रखें कि मंत्रों को पूरी शुद्धता के साथ ही पढ़ें।प्रतिदिन सुबह स्नान करके ईश्वर की आराधना के साथ इन मंत्रों का जाप करें तो आपके काम बनते जाएंगे । लोग आपकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाएंगे।आपका व्यवहार सौम्य और मधुर रहेगा।
ॐ ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं: पूर्णात्पूर्णमुदच्यते, पूर्णस्य पूर्णमादाय पुर्णमेवावशिष्यते, ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
108 बार 5 मालाओं में जप और बन जायेंगे साधु-संत
वैदिक विधान के अनुसार इस अचूक मंत्र का प्रतिदिन 108 बार 5 मालाओं में जप करना चाहिए। दरअसल प्राचीन ऋषि और आधुनिक विज्ञान का भी यही मानना है कि मस्तिष्क की तंत्रिकाओं के जरिए गुस्से पर ना सिर्फ काबू पाया जा सकता है, बल्कि अपनी खुशियों को बढ़ाया भी जा सकता है।
ॐ गतक्रोधाय नम:
नहीं आएगा गुस्सा, न होगा झगड़ा
ज्यादातर लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर भी झुंझलाहट दिखाने लगते हैं। ये मंत्र झुंझलाहट पर काबू रखने में मददगार है। इसके लिए हमें महर्षि वेदव्यास रचित महान ग्रंथ महाभारत की ओर मुड़ना होगा। इसमें कलियुग द्वारा राजा नल को वरदान देते हुए कही गई है, इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार पढ़ने से झुंझलाहट और चिड़चिड़ेपन से निजात मिलती है।
कर्कोटस्य नागस्य दमयन्त्या नलस्य च। ऋतुपर्णस्य राजर्षे: कीर्तनं कलिनाशनम्।।
इन मंत्रों का नियमित जाप करें तो असर जरूर होता है। वैसे भी मन की शांति के लिए एकाग्रता और मेडिटशन जरुरी होता है। और जब हम एकाग्र रहते हैं ते हमारा चित्त शांत रहता है और प्रसन्न रहता है। तब हमें गुस्सा नहीं है। और मंत्र जाप में एकाग्रता का होना जरूरी है। यहीं एकाग्रता हमारे क्रोध को रोकती है।