आरोपों की झड़ी: विपक्ष का आरोप- चर्चा से भागना चाहती है सरकार, कांग्रेस बोली- 6 दिन का समय पर्याप्त; प्रश्न लगाएं-चर्चा करें
मानसून सत्र की अधिसूचना जारी। खाद-बीज की समस्या, कानून व्यवस्था पर गरमाएगा सदन।
रायपुर। विधानसभा के मानसून सत्र की अधिसूचना जारी होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी लगा दी है। विपक्ष ने जहां 6 दिन के समय को अपर्याप्त बताते हुए सरकार पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया है। वहीं, कांग्रेस ने विपक्ष पर ही वॉकआउट करने, सदन की कार्यवाही को बाधित करने और चर्चा से भागने का आरोप लगाया है।
दरअसल, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मानसून सत्र की अधिसूचना जारी होने से पहले विधानसभा स्पीकर डॉ. चरणदास महंत और सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर सत्र की अवधि 10 दिन रखने की मांग की थी। कौशिक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिस प्रकार से यहां पर समस्याएं हैं, उन्हें देखकर कहा था कि कम से कम 10 सिटिंग होनी चाहिए। अधिसूचना जारी होने के पहले ही यह मांग की थी, ताकि जनहित के मुद्दे उठाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। छत्तीसगढ़ में खाद की समस्या, बीज की समस्या, लगातार चाकूबाजी की घटनाएं, अनाचार की घटनाएं, माफिया द्वारा जमीन, रेत का अवैध कारोबार और गांजा और नशे के सामान की तस्करी जैसे मुद्दे उठने चाहिए। इन मुद्दों के लिए पर्याप्त अवसर चाहिए लेकिन सरकार जान-बूझकर छोटा सत्र बुलाती है, जिससे जनहित के सभी मुद्दों पर चर्चा न हो।
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इस पर कहा है कि 6 दिन का सत्र बहुत होता है। यदि वास्तव में विपक्ष के पास मुद्दे हैं तो प्रश्न लगाएं और सात दिन की अवधि में चर्चा करें। जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है और भाजपा विपक्ष में आई है, तब से किसी भी सत्र में भाजपा पूरी चर्चा के दौरान उपस्थित ही नहीं रही है। हमेशा विपक्ष किसी न किसी बहाने वॉकआउट करते रहा है या सदन को बाधित करते रहा है। यदि वास्तव में वे चाहते हैं कि जनहित के मुद्दों पर चर्चा हो, उनके पास विषय हैं तो निश्चित रूप से प्रश्न लगाएं उस पर चर्चा होगी। अमूमन यह देखा गया है कि भाजपा कमजोर विपक्ष साबित हुई है और वह चर्चा से भागते रही है। यह कहना कि सत्र की अवधि छोटी है और मुद्दे ज्यादा हैं तो यह गलत है। वे प्रश्न लगाएं और चर्चा करें, उनका स्वागत है।