Malnutrition In Child: गरीबों को नहीं अमीरों के बच्चे भी हो रहें कुपोषण का शिकार, जानिए लक्षण और उपाय
रायपुर - बच्चों में कुपोषण I कुपोषण यह बीमारी अब आम हो चली है। आजकल समृद्ध घरों के बच्चे में अच्छी डायट के आभाव में कुपोषण का शिकार हो रहे हैँ। कारण की जीवनशैली में बदलाव और पैरेंट्स के पास समय का अभाव बच्चों में फास्ट फूड को बढ़ावा दे रही है। ऐसे तो आपको पता है कि अच्छा पौष्टिक भोजन आपके बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है, खासकर गर्भावस्था के समय में लेना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इससे आपके बच्चे की सेहत जुड़ी होती है । जन्म के बाद भी बच्चे को दो साल केवल पौष्टिक भोजन ही देना चाहिए। आपके बच्चे के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार बच्चे को देना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत बनती है और बीमारियां दूर रहती हैं। आपका बच्चा जरूरत से ज्यादा पतला है और जल्दी-जल्दी बीमार पड़ता है तो ये आपके बच्चे के लिए घातक है जो बच्चे को कुपोषण का शिकार बनाता है।
कुपोषण के कारण
कुपोषण के कारण के बारे में बात की जाए तो, इसकी चपेट में आने का मुख्य कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना है। यह रोग आमौतर पर छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को अधिक होता है। जिन बच्चों को और गर्भवती महिलाओं को सही आहार नहीं मिलता है वो इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं।
बच्चों में कुपोषण के लक्षण
कुपोषण जब बच्चे के शरीर में जरूरी पोषक तत्व, खनिज और कैलोरी की कमी होती है। कुपोषण शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। कुपोषित बच्चों को शारीरिक कमियों का खतरा हो सकता है जिसके कारण उसका विकास अवरुद्ध होता है या कोई रोग हो सकता है । ऐसे में बच्चे ज्यादा बीमार पड़ते हैं। ध्यान रहें कि आपके बच्चे के मांसपेशियों का कमजोर होना, हर समय थकान और कमजोरी महसूस होना, बार-बार सर्दी जुकाम से परेशान होना, भूख में कमी और खाने में अरुचि पैदा होना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना, लंबाई और वजन कम होना, बच्चे को पेट से जुड़ी समस्या रहना, हाथ पैर कमजोर और पतले होना ये सब हो तो आपका आपका कुपोषित हो रहा है आप समय रहते इलाज कर लें और सावधान हो जाए तो अच्छा रहेगा।
कुपोषण का शिकार होने पर बच्चे अपनी उम्र से काफी कम दिखते हैं।
ये रोग होने पर शरीर हमेशा थका हुए रहता है।
आंखे धंसी दिखती हैं और शरीर की रोग- प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।
त्वचा और बालों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। बाल और त्वचा रुखी हो जाती है और बाल झड़ने लग जाते हैं।
कुपोषण होने पर मसूड़ों में सूजन आ जाती है और दांतो में सड़न हो जाती है।
पेट फूलना, अधिक ज्यादा रोना, चिड़चिड़ापन भी कुपोषण के लक्षण होते हैं। मांसपेशियों में खूब दर्द होना।
हड्डियों-जोड़ों में दर्द रहना और नाखूनों का अपने आप टूटना जाना। भूख का ना लगना और आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ना।
बच्चों में कुपोषण खान-पान में गड़बड़ी की वजह से होता है। लंबे समय तक सही डाइट न मिलने पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। ऐसा नहीं है कि गरीब लोगों में ही कुपोषण की समस्या होती है। कई बार आम घरों में भी बच्चों को बैलेंस डाइट नहीं मिलने की वजह से बच्चे में कुपोषण पैदा हो सकता है।
कुपोषण से बचने के उपाय
कुपोषण न केवल पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है, बल्कि इसके अत्यधिक सेवन के कारण भी होता है और इसलिए बच्चे को पोषित और स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है।
इन उपाय का सही से पालन करके आप अपने बच्चे को गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं। इसके लिए डायट में
सब्जियां : बच्चो के भोजन में हरी सब्जियां जरूर रखें। सब्जियों में विटामिन और मिनरल्स भरपूर पाए जाते हैं और इन्हें खाने से बच्चों को स्वस्थ शरीर मिलता है।
अखरोट: इसमें मोनो सैचुरेटिड फैट है जो कि सेहत के लिए फायदेमंद होता है और अखरोट खाने से कुपोषण सही हो जाता है।
दूध : दूध को सेहत के लिए उत्तम माना जाता है और दूध पीने से शरीर अंदर से मजबूत बन जाता है। शरीर को कई तरह के रोगों से लड़ने की ताकत भी मिलती है।
दाल: दालों को प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत मानते है और दाल खाने से भी कोई भी रोग दूर होता है। जो कुपोषण से ग्रस्त होते हैं उन्हें रोज एक कटोरी दाल पीने को दें।