मकर संक्रांति आज है या कल?... गलती से भी न करें ये 3 काम, साल भर कराएंगे नुकसान...मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू क्यों बनाए जाते हैं, जानिए असली वजह

नईदिल्ली 14 जनवरी 2022. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मकर संक्रान्ति मनाई जाती है और खरमास का महीना समाप्त हो जाता है. इसी के साथ सभी शुभ काम भी शुरू हो जाते हैं. लेकिन इस बार सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी, शुक्रवार को दोपहर 02:40 बजे प्रवेश करेंगे. चूंकि मकर संक्रान्ति पर नदी स्नान, दान और पुण्य का विशेष महत्व है, ऐसे में दोपहर में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से लोग इस संशय में हैं, कि वे इस त्योहार को किस दिन मनाएं. कुछ लोग इसे 14 जनवरी को मनाने की बात कर रहे हैं तो कुछ 15 जनवरी का दिन दान के लिए शुभ मान रहे हैं. अगर आपको भी संक्रान्ति की तिथि को लेकर कोई कन्फ्यूजन है, तो यहां जान लीजिए सही तारीख के बारे में.
मुहूर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सूर्य के संक्रांति समय से 16 घटी पहले और 16 घटी बाद का पुण्यकाल होता है. इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसमें स्नान, दान, जाप कर सकते हैं. वहीं स्थिर लग्न यानि समझें तो महापुण्य काल मुहूर्त 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक. मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है. इस समय कोरोना की वजह से यात्रा करना सुरक्षित नहीं है. इसलिए मकर संक्रांति के दिन सुबह शुभ मुहूर्त में स्नान करें. ध्यान रखें स्नान से पहले पानी में काले तिल, हल्का गुड़ और गंगाजल मिला लें. नहाने के बाद साफ कपड़े पहन लें और तांबे के लोटे में पानी भर लें. इस पानी में काले तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत (चावल) डाल लें. फिर सूर्य देव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें. सूर्य देव की पूजा के बाद शनि देव को काले तिल अर्पित करें.
सूर्य का मकर राशि में गोचर सूर्यास्त से पहले होगा, इसलिए मकर संक्रांति के लिए सही तिथि 14 जनवरी ही है. इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उनकी पूजा की जाती है. यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करके उनकी पूजा करते हैं. तांबे के लोटे में जल, फूल, तिल, हल्दी-चंदन मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है. इस दिन सूर्य देव और विष्णु भगवान की पूजा करने से आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे.
जाने क्या करें और क्या न करें
मकर संक्रांति के दिन गलती से भी तामसिक भोजन (नॉनवेज, लहसुन-प्याज) और शराब का सेवन न करें. मकर संक्रांति का दिन बेहद पवित्र माना गया है, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. इस दिन शराब-नॉनवेज का सेवन पाप का भागी बनाएंगा और कष्ट देगा.
मकर संक्रांति के दिन दान करने का बहुत महत्व है. खासतौर पर तिल-गुड़, खिचड़ी का दान करना चाहिए. यदि घर के सामने कोई भिखारी आए तो उसे गलती से भी खाली हाथ न लौटाएं. ऐसा करना धन हानि का कारण बनता है. हो सके तो अपनी कुंडली के अनुसार दान करें. इससे ग्रह शुभ फल देने लगेंगे. काले तिल और गुड़ का दान शनि देव और सूर्य देव की कृपा दिलाएगा.
मकर संक्रांति के दिन बिना स्नान और दान किए भोजन ग्रहण न करें. स्नान के लिए पानी में पवित्र नदियों का जल मिलाएं.
तिल के लड्डू क्यों हैं महत्वपूर्ण
शनि देव के घर जब सूर्य देव का आगमन हुआ तो शनि महाराज ने तिल, गुड़ से पिता सूर्य का पूजन किया और उन्हें खाने के लिए भेंट किया। इसकी वजह यह थी कि शनि देव के घर कुंभ के जल जाने से शनिदेव के पास और कुछ नहीं था। पुत्र द्वारा तिल और गुड़ भेंट करने से सूर्य देव बहुत प्रसन्न हुए और शनिदेव से कहा कि जो भी मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से मेरी पूजा करेगे उस पर शनि सहित मेरी भी कृपा बनी रहेगी। उस घटने के बाद से ही मकर संक्रांति पर तिल गुड़ खाने की परंपरा चली आ रही है।वैसे व्यवहारिक रूप से देखा जाय तो मकर संक्रांति का आगमन शीत ऋतु में होता है। तिल और गुड़ की तासीर गर्म होती है इसलिए इस पर्व में तिल गुड़ खाने की परंपरा है क्योंकि इससे शरीर में गर्माहट आती है।
ज्योतिषीय दृष्टि से तिल और गुड़ से बना लड्डू बहुत ही लाभकारी है। दरअसल तिल जो है वह शनि से संबंधित वस्तु है जबकि गुड़ सूर्य देव से संबंधित। तिल और गुड़ का मिलन शनि और सूर्य के मिलन का भी प्रतीक है। इसलिए इन दोनों को भेंट करने से सूर्य देव प्रसन्न हुए थे। तिल के लड्डू खाने से शरीर में शनि और सूर्य का संतुलन बना रहता है।
दान
ऊनी कंबल, जरूरतमंदों को वस्त्र विद्यार्थियों को पुस्तकें पंडितों को पंचांग आदि का दान भी किया जाता है. अन्य खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जी, चावल, दाल, आटा, नमक आदि जो भी यथा शक्ति संभव हो उसे दान करके संक्राति का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है पुराणों के अनुसार जो प्राणी ऐसा करता है उसे विष्णु और श्रीलक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है.
