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Land Scam: लगी जमीन के नाम पर बड़ा खेलाः रजिस्ट्री दलाल करोड़पति हो गए, रसूखदारों ने खजाने और इंकम टैक्स को लगाया करोड़ों का चूना...

Land Scam: छत्तीसगढ़ सरकार ने लगी जमीन के नाम पर जमीनों की रजिस्ट्री का खेला रोकने बड़ा कदम उठाया है। पंजीयन विभाग के प्रस्ताव पर विष्णुदेव कैबिनेट ने मुहर लगा दिया है। इस फैसले से जमीनों के दलालों से लेकर राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों में छटपटाहट देखी जा रही है। रजिस्ट्री आफिस के दलाल भी बेहद परेशान हैं। क्योंकि, इसी की आड़ में रजिस्ट्री अधिकारी से अधिक पैसा दलाल कमाते थे। इस खेला का खुलासा एक आईएएस अधिकारी के यहां पड़े ईडी के छापे में खुलासा हुआ। दरअसल, स्टांप ड्यूटी बचाने से अधिक ये खेल ब्लैक मनी को खपाने और इंकम टैक्स बचाने का था।

Land Scam: लगी जमीन के नाम पर बड़ा खेलाः रजिस्ट्री दलाल करोड़पति हो गए, रसूखदारों ने खजाने और इंकम टैक्स को लगाया करोड़ों का चूना...
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Land Scam

By Gopal Rao

Land Scam: रायपुर। पंजीयन विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए लगी जमीन के नाम पर रजिस्ट्री में खेला करने पर रोक लगा दी है। इसके तहत शहरों में लगी जमीन के नाम पर अब रजिस्ट्री में कोई छूट नहीं मिलेगी। दसेक साल पहले सचिव स्तरीय कमेटी ने भूमाफियाओं और बिल्डरों के इशारे पर एक ऐसा नियम बना दिया था, जिससे शहरों की बेशकीमती जमीनें कौड़ियों के भाव रजिस्ट्री होती थी। पंजीयन विभाग ने इस छूट को अब विलोपित कर दिया है।

क्या होती है लगी जमीन

दरअसल, शहरों में 25 डिसमिल से कम कृषि जमीन को प्लॉट माना जाता है और प्लॉट रेट से उसकी रजिस्ट्री होती है। प्लॉट रेट और कृषि भूमि के गाइडलाइन रेट में करीब दस गुना का अंतर होता है। तत्कालीन पंजीयन सचिव ने इस नियम में होल करते हुए भूमाफियाओं के लिए रास्ता बना दिया। सचिव ने सरकार को बताया कि शहरों में कृषि भूमि का रकबा कम हो रहा है इसलिए शहरों में किसी व्यक्ति की कृषि जमीन के बगल में यदि 25 डिसमिल से कम कृषि भूमि है तो एकड़ के हिसाब से उसकी रजिस्ट्री होगी। और सरकार ने भी इस पर मुहर लगा दी।

आईएएस के यहां ईडी के छापे से खुलासा

ईडी ने 2022 में छत्तीसगढ़ के आईएएस समीर विश्नोई के यहां कोल स्केम केस में छापा मारा था। उसमें बडी संख्या में जमीनों के दस्तावेज बरामद हुए थे। जांच में पता चला कि राजधानी रायपुर के कई पॉश कॉलोनियों में लगी जमीन की दर पर उन्होंने रजिस्ट्री करा ली है। रजिस्ट्री अधिकारियों ने कवर कैंपस की पॉश कालोनियों का नाम देखकर आपत्ति नहीं लगाई कि ऐसी कॉलोनी के भीतर एग्रीकल्चर लैंड कैसे हो सकता है। ईडी ने इस मामले में कई रजिस्ट्री अधिकारियों से भी पूछताछ की थी। इस मामले में रजिस्ट्री विभाग के कुछ डिप्टी रजिस्ट्रार ईडी के राडार पर हैं।

बड़े लोगों को फायदा

लगी जमीन के नाम पर रायपुर और बिलासपुर के भूमाफिया, बिल्डर, राजनेता और नौकरशाहों ने जमकर फायदा उठाया। लगी जमीन के नाम पर इन दोनों शहरों में पिछले एक दशक में करीब दस हजार रजिस्ट्रियां हुई हैं। इनमें 99 परसेंट केस फर्जी था। अधिकांश जमीनें तो क्रेताओं की जमीनों से लगी भी नहीं थी मगर चौहदी में लगी लिखवा कर रजिस्ट्री करा ली गई। रजिस्ट्री अधिकारियों को चूकि मोटा पैसा मिल जाता है, इसलिए उन्होंने आंख मूंदकर रजिस्ट्री कर डाली।

असली खेला ब्लैक मनी का

लगी जमीन के नाम पर कम पैसे में रजिस्ट्री से राज्य सरकार के राजस्व को नुकसान तो हुआ ही, उससे बड़ा नुकसान इंकम टैक्स को हुआ। असल में, लगी जमीनों के नाम पर रजिस्ट्री का फायदा बड़े लोगों ने उठाया। इन लोगों को रजिस्ट्री के नाम 10-20 लाख रुपए स्टांप ड्यूटी देने में कोई दिक्कत नहीं। इनका मुख्य उदे्दश्य ब्लैक मनी को खपाना और इंकम टैक्स बचाना होता है। प्लॉट दर पर अगर जमीन खरीदेंगे तो उसी हिसाब से रजिस्ट्री होगी और इंकम टैक्स देना होगा। एकड़ में जमीन का रेट कौड़ियों में रहता है। इससे रजिस्ट्री कम में होती है, बाकी पैसा बाजार रेट के हिसाब से कैश में भुगतान हो जाता है। याने ब्लैक मनी खप गया और इंकम टैक्स भी बच गया। राजधानी रायपुर के 100 से अधिक सफेदपोशों ने इस लगी जमीन के नाम पर करोड़ों रुपए का इंकम टैक्स बचा लिया। राज्य सरकार के खजाने को नुकसान हुआ, सो अलग।

जमीन दलाल करोड़पति

लगी जमीन के नाम पर रजिस्ट्री अधिकारियों से अधिक रजिस्ट्री विभाग के दलालों ने पैसा कमाया। रायपुर, बिलासपुर की जमीनें बड़ी महंगी है। गाइडलाइन रेट कम होने के बाद भी कई बड़े सौदे करोड़ों में होते हैं। ऐसा ही एक केस आपको बताते हैं। एक बडी डील 30 करोड़ की थी। इसका स्टांप ड्यूटी लाखों में जा रहा था। रजिस्ट्री दलान ने कहा कि मैं डिप्टी रजिस्ट्रार से बात करके देखता हूं। फिर 29 करोड़ की रजिस्ट्री 3 करोड़ में हो गई। रजिस्ट्री दलाल ने अफसर को दिया दो लाख और 15 लाख खुद रख लिया। रायपुर, बिलासपुर के रजिस्ट्री दलाल दौलत में अफसरां से ज्यादा बड़े हो गए हैं। गनीमत है कि पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी हैं वरना मंत्री और सरकार से ये नियम बदलवा लेते थे। आखिर, लगी जमीन का नियम एक आईएएस ने ही बनाया था।

मंत्री ओपी चौधरी से शिकायत

ओपी चौधरी के पंजीयन मंत्री बनने के बाद उन्हें किसी ने इस लगी जमीन के नाम पर भूमाफियाओं और रसूखदारों के खेला की शिकायत की। उन्होंने इसकी जांच कराई। मामला सही पाए जाने पर उन्होंने इस पर ब्रेक लगाने का प्रस्ताव तैयार कराया।

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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