कुंडली ग्रहण योग- ये योग होते हैं बहुत घातक, छिन लेते हैं सबकुछ, इससे बचने के लिए जानिए उपाय
रायपुर। ज्योतिष में व्यक्ति की कुंडली से उसके भविष्य का लेखा-जोखा रखा जाता है। कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु और केतु बैठे हों तो यह 'ग्रहण योग' बनाते हैं। इसके साथ अगर सूर्य भी हों तो यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। इस योग के कारण जीवन में स्थिरता नहीं होती।
कब बनता है ग्रहण योग
ग्रहण योग राहु के साथ सूर्य और चंद्रमा की युति होने पर बनता है। जब कुंडली में सूर्य और राहु एकसाथ हों या चंद्रमा और राहु एकसाथ हों तो यह ग्रहण बनता है। ग्रहण योग विपरीत परिणाम देने वाला योग होता है।
यदि कुंडली में ग्रहण योग है तो जिस भाव में यह योग बना हुआ है उस भाव को पीड़ित करके उस भव से संबंधित वस्तुत या सुखों में कमी आती है। ग्रहण योग जिस ग्रह से बनता है वह ग्रह भी स्वयं पीड़ित हो जाता है क्योंकि राहु, चंद्रमा और सूर्य दोनों परम शत्रु हैं। ऐसे में राहु सूर्य और चंद्रमा दोनों को पीड़ित करता है।
ग्रहण योग से परेशानी से भरी जिंदगी
जब सूर्य और राहु की युति ग्रहण योग बनता है तो व्यक्ति को जीवन में यश नहीं मिलता। प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि नहीं मिल पाती। ऐसा व्यक्ति भले ही कितना भी अच्छा काम करे उसे प्रशंसा मिल ही नहीं पाती। इस ग्रहण से पीड़ित व्यक्ति को पिता के सुख की भी कमी रहती है। स्वास्थ्य संबंधी समस्यांए भी जीवन में बनी रहती हैं।
चंद्रमा और राहु के योग से बनने वाले ग्रहण योग से से व्यक्ति को मानसिक रूप से अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोगों को मानसिक शांति नहीं मिल पाती। ऐसे व्यक्ति पर नकारात्मक सोच हावी रहती है। ये लोग छोटी-छोटी बातों को लेकर बहुत परेशान रहते हैं।
ग्रहण योग से बचने के उपाय
रोज एक माला ऊं घृणि सूर्याय नम: का जाप करें।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
प्रतिदिन सूर्य को जल दें।
रविवार को गाय को गुड़ खिलाएं।
चंद्रमा से ग्रहण योग बने तो
एक माला प्रतिदिन ऊं सोम सोमाय नम: का जाप करें।
शिवलिंग पर प्रतिदिन अभिषेक करें।
गरीब व्यक्ति को सोमवार को दूध का दान करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
इन उपायों को करके जातक ग्रहण योग के दुष्प्रभावों से बच सकता हैं। तो फिर देर किस बात किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से अपनी कुंडली दिखाएं और ज्योतिष के उपायों से खुद खुशहाल बनाने का काम करें।