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Kumaki Hathi Duryodhan: गर्लफ्रेंड की तलाश में भागा कुमकी हाथी दुर्योधन, पहुंचा मादा हाथियों के बीच, अब महावत को भी पहचान नहीं रहा

Kumaki Hathi Duryodhan: इंसानों के इश्‍क के किस्‍से तो आपने बहुत सुना होगा, लेकिन क्‍या कभी किसी जंगली जानवर के इश्‍क की कहानी सुनी है।

Kumaki Hathi Duryodhan: गर्लफ्रेंड की तलाश में भागा कुमकी हाथी दुर्योधन, पहुंचा मादा हाथियों के बीच, अब महावत को भी पहचान नहीं रहा
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HATHI
By Sanjeet Kumar
  • विशेषज्ञ वापस बुलाने की कर रहे हैं कोशिश, लेकिन साथ छोड़ने को नहीं है तैयार
  • वन विभाग का कैंप छोड़कर 18 हाथियों के दम में शामिल होकर कर रहा जंगल की सैर
  • जंगली हाथियों को खदेड़ने के लिए विशेष रुप से प्रशिक्षित है दुर्योधन
  • 2018 में कर्नाटक से लगाया गया था कुमकी हाथी दुर्योधन को

Kumaki Hathi Duryodhan सरगुजा। इंसानी इश्‍क- मोहब्‍बत के किस्‍से तो आपने बहुत सुने होंगे। प्‍यार के चक्‍कर में लोग घर छोड़कर भाग जाते हैं, यह भी किस्‍सा अब आम हो चुका है, लेकिन गर्ल फ्रेंड के चक्‍कर में किसी वन्‍यजीव के भागने की कहानी शायद ही सुनी होगी। थोड़ा सोच में पड़ गए, लेकिन यह सच है। यह कहानी छत्‍तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र की है। जहां एक हाथी ग्रर्ल फ्रेंड के चक्‍कर में वन विभाग के कैंप से भाग खड़ा हुआ है। वह मादा हाथियों के बीच पहुंच चुका है और अब वह लौटने को राजी नहीं है। इतना ही नहीं वह अपने महावत को भी पहचानने से इन्‍कार कर रहा है।

इस इश्‍कबाज हाथी का नाम दुर्योधन है। जंगली हाथियों को खदेड़ने के लिए विशेष रुप से प्रशिक्षित यह कुमकी हाथी है। इसे 2018 में अन्‍य हाथियों के साथ कर्नाटक से छत्तीसगढ़ के सरगुजा रामकोला एलिफेंट कैंप लाया गया था। कैंप से भाग कर वह जंगली हाथियों के संग हो गया है। जंगल में 18 हाथियों के साथ जंगल में है। वन विभाग अब इस हाथी की कैंप में वापसी के लिए पिछले 15 दिनों से एडिचोटी का दम लगा रही लेकिन लेकिन मादा हाथियों का साथ छोड़कर वो वापसी को तैयार नहीं है।

जंगल में भागे कुमकी हाथी दुर्योधन के एक पैर में लोहे की चैन बंधी हुई है। इससे उसके जख्‍मी होने की चिंता बनी हुई है।

दो गर्भवती मादा हथनी और महावत के साथ गया था जंगल

वन विभाग के अनुसार 25 जुलाई को सरगुजा रामकोला एलिफेंट कैंप से दो गर्भवती मादा हथनी व महावत के साथ जंगल गया दुर्योधन आदमी की गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर जंगल में आजाद विचरण करने वाले 18 हाथियों के दल में शामिल हो गया। महावत लोकनाथ के इशारे पर किसी भी काम को अंजाम देने वाला दुर्योधन अब जंगल में सौ डेढ़ सौ मीटर से दूर से ही आक्रमक हो जाता है। दुर्योधन के दलबदल याने फिर जंगल वापसी के लिए प्रयास करने बिलासपुर के कानन पेंडारी जू के एक्सपर्ट डॉ. पीके चंदन को भी सरगुजा बुलाया गया लेकिन वो भी दुर्योधन की वापसी नहीं करा पाए। ऐसे अवस्था में फिलहाल उसकी घर वापसी में वक्त लग सकता है। डॉ. चंदन ने बताया कि दुर्योधन जंगल के काफी अंदर है। अपने महावत तक की बात नहीं मान रहा काफी आक्रामक है। दो दिनों तक हमने प्रयास किया फिर वापस लौट आए।

वनजीव विशेषज्ञों के अनुसार 25 जुलाई को दुर्योधन मदकाल में आ रहा था। मदकाल हाथी के जीवन का वह वक्त होता है जब उसके कान के करीब से गाढ़ा द्रव्य रिस्ता है, इस दौर में हाथी को छोटे मजबूत घेरे (क्रॉल) में रखा जाता है। क्योंकि मादा के लिए विचलित नर तब अपने महावत की भी नहीं सुनता। इसी बीच दुर्योधन ने जंगली हाथियों के दल से संपर्क साध कर दल में नर हाथी की जरूरत को जान लिया था। दुर्योधन जिस दल से जा कर मिला है उसमें मात्र एक नर हाथी शेष 17 हथनी हैं। हाथी दल की मुखिया गज-मादा होती है, चूंकि दुर्योधन कर्नाटक से आया हाथी है और उसका कोई सीधा रक्त संबंध सरगुजा के इस हाथी दल से नहीं है, इसलिए कुल माता की स्वीकृति कुमकी हाथी दुर्योधन को मिल गई। मदकाल 25 से 65 दिन तक रह सकता है। इसके बाद सायद दुर्योधन वापस आ जाए।

पहले भी हो चुका है ऐसा Kumaki Hathi Duryodhan:

वन अफसरों के अनुसार यह कोई पहला मामला नहीं है की कोई कुमकी जंगली हाथियों के दल में चला गया हो। कर्नाटक में जब कभी ऐसे मामले हुए तो पालतू हाथी प्रजनन बाद वापस आ जाता है तो दुर्योधन भी अपने पुराने साथियों से आ कर मिल जाएगा। लेकिन यहां 17 मादा और एक हाथी कि स्थिति रही है इसलिए दूसरे हाथी की दल को भी जरूरत है। दुर्योधन 40 साल का है। उसकी वापसी की संभावना अधिक नहीं है। वन अफसरों ने तो अंत में उसे टेन्कूलाइज करने पर भी विचार करना शुरू कर दिए है।

Kumaki Hathi Duryodhan: जाने किसे कहते है कुमकी हाथी

कुमकी हाथी आमतौर पर उसे कहते हैं जिसको साध कर महावतों ने उसका विश्वास जीत लिया होता है। वह महावत के बताए काम को बेहिचक निडर हो कर करता है। कर्नाटक से लाया गया दुर्योधन एक विशाल कुमकी हाथी है जो छत्तीसगढ़ और आस पास के हाथियों से काफी बड़ा है। जब कभी जंगली हाथी उपद्रो मचाते है तो इसे उनके सामने लाकर दल को खदेड़ा जाता है। विशालकाय कुमकी को देख जंगली हाथी भाग जाते है।

वन विभाग के कैंप में कुमकी हाथी दुर्योधन (फाइल फोटो)

Kumaki Hathi Duryodhan: वन जीव प्रेमियों की बढ़ी चिंता

इस घटना ने वनजीव प्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है। नितिन सिंघवी ने बताया कि सरगुजा के एलीफैंट रिज़र्व में रामकोला स्थित हाथी राहत और पुनर्वास केंद्र में रखे गए कुनकी हाथी दुर्योधन को कुछ दिनों पूर्व जब जंगल में घुमाने ले जाया गया था तब वह जंगली हाथियों से मिल गया। अभी तक रेस्क्यू सेंटर में वापस नहीं आया है। वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा दुर्योधन को जंगली हाथियों के दल में पहचान लिया गया है पर विशेषज्ञ उसे जंगली हाथियों से अलग नहीं कर पा रहे हैं। अधिकारी के हवाले से यह छपा है की दुर्योधन को अन्य कुनिकी हाथियों की मदद से अलग करने की कोशिश जा रही है, ट्रेंकुलाइज करना अंतिम विकल्प है। कानन पेंडारी जू के डॉक्टर पी.के. चंदन को बुलाया गया है, इससे पता चलता है कि वन विभाग दुर्योधन को ट्रेंकुलाइज कर वापस लेन की तैयारी कर रहा है। इस पर दुर्योधन को ट्रेंकुलाइज न करने की मांग वन जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने मुख्य वन्यजीव संरक्षक से करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पॉवर कमेटी से ट्रेंकुलाइज करने के पूर्व अनुमति लेने की भी मांग की है।

दुर्योधन का कल्याण जंगल में रहने में ही है Kumaki Hathi Duryodhan:

मुख्य वन्यजीव संरक्षक को प्रेषित पत्र में कहा है कि दुर्योधन का कल्याण जंगल में रहने में ही है। उसे ट्रेंकुलाइज करके वापस लाने में उसकी जान को भी खतरा हो सकता है और आजीवन बंधक रहने में उसका किसी भी प्रकार का कल्याण नहीं होने वाला। उसे जबरदस्ती कुनिकी हाथियों की मदद से बंधक नहीं बनाया जाना चाहिए। वन विभाग को वन्यप्राणीयों को पकड़ कर आजीवन बंधक बनाने की मानसिकता से ऊपर उठना चाहिए। गलत निर्णय से दुर्योधन की जान को कोई खतरा होता है तो मुख्य वन्यजीव संरक्षक जिम्मेदार होंगे।

छत्तीसगढ़ को गर्व होना चाहिए कि दुर्योधन ने प्रस्तुत किया देश में एक ज्वलंत उदाहरण

बंधक हाथी को कभी भी पालतू नहीं बनाया जा सकता। यहां तक कि बंधक हाथी के बच्चे को भी एक उम्र पश्चात वन में पुनर्वासित किया जा सकता है। हाथियों का मूल गुण जंगल में रहने का और स्वच्छंद विचरण करने का है। वर्षो से बंधक दुर्योधन ने वापस जंगली हाथियों के दल में शामिल हो कर देश में एक ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत किया है कि हम बंधक हाथियों को भी वन में पुनर्वासित कर सकते हैं। इस पर छत्तीसगढ़ वन विभाग को गर्व होना चाहिए। सिंघवी ने खेद जताया कि दुर्योधन को पकड़ कर वापस रेस्क्यू सेंटर में लाने के लिए ट्रेंकुलाइज करना अंतिम विकल्प रखा गया है और ट्रेंकुलाइज करने के लिए ही डॉ.चन्दन को बुलवाया गया है।

जंगल में हाथी दल के बीच कुमकी हाथी दुर्योधन

Kumaki Hathi Duryodhan: सोनू हाथी को भी छोड़ा जाना था

वर्ष 2016 में अचानकमार टाइगर रिज़र्व से पकडे गए सोनू हाथी के मामले में डॉ मेनन टी.एस. की सलाह मानते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भी सोनू को वन में पुनर्वासित करने का आदेश दिया था कि उसे ऐसे कैंप में रखा जाए जहां पर वह जंगली हाथियों से मिल जाए और धीरे-धीरे वापस जंगल में चला जाए कोर्ट ने यह कार्य कब किया जावे यह वन अधिकारियों की विसडम (बुद्धि) पर छोड़ा था आज तक सोनू को जंगल में पुनर्वासित करने का प्रयत्न नहीं किया गया है।

क्या है सर्वोच्च न्यायलय की हाई पॉवर कमेटी

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मूर्ति एम.एस. के मामले में 03 मार्च 2023 को दिए गए निर्णय में हाथियों और अन्य वन्यजीवों के संबंध में जस्टिस दीपक वर्मा की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी का गठन किया है। निर्णय में उल्लेखित है कि यह समिति किसी रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर द्वारा किसी जानवर के कल्याण के संबंध में अप्रूवल देगी, जिसके लिए हाई पावर कमिटी देश के किसी भी विभाग और प्राधिकरणों से आवश्यकता पड़ने पर सहायता और सहयोग ले सकती है। इसके अलावा समिति भारत में जंगली जानवरों के स्थानांतरण, परिवहन, आयात, या वन्यजीवों की खरीद या किसी बचाव या पुनर्वास केंद्र या चिड़ियाघर द्वारा जंगली जानवरों के कल्याण से संबंधित अनुमोदन, विवाद या शिकायत का निराकरण करेगी।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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