Kharge's visit in Chhattisgarh: रमन के क्षेत्र में खड़गे: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की राजनांदगांव में सभा का समझिए सियासी समीकरण
Kharge's visit in Chhattisgarh: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव में सभा कर रहे हैं।
रायपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अब से कुछ देर बाद राजनांदगांव में आमसभा को संबोधित करेंगे। राजनांदगांव को छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी कहा जाता है। राजनीति के हिसाब से भी यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रदेश में लगातार 15 वर्ष तक सरकार चलाने वाले डॉ. रमन सिंह का निर्वाचन क्षेत्र इसी जिले में है। डॉ. रमन मुख्यमंत्री बनने के बाद डोंगरगांव से उप चुनाव जीतकर पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद के तीनों चुनाव वे राजनांदगांव सीट से जीत रहे हैं। डॉ. रमन का गृह जिला कवर्धा भी लगा हुआ है।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव के हिसाब से देखा जाए तो अविभाजित राजनांदगांव जिला में विधानसभा की 6 और कवर्धा में 2 सीट है, ये सभी सीटें राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में आते हैं। राजनांदगांव की 6 में से 1 सीट एससी और 1 सीट एसटी आरक्षित है। 2007 के उपचुनाव को छोड़ दें तो राज्य बनने के बाद से कांग्रेस राजनांदगांव लोकसभा सीट एक भी बार नहीं जीती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 8 में से 6 सीट जीती थी। राजनांदगांव से डॉ. रमन और खैरागढ़ से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की टिकट पर देवव्रत सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे थे। हालांकि देवव्रत सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस वह सीट भी जीत गई। यानी कवर्धा की 2 सीटों को शामिल कर लें तो इस वक्त 8 में से 7 सीट पर कांग्रेस के विधायक हैं। लेकिन 2018 के पहले यह स्थिति नहीं थी। 2008 में कांग्रेस 8 में से केवल 3 सीट जीत पाई थी, बाकी 5 सीट भाजपा के खाते में गई थी। 2013 में कांग्रेस की स्थित थोड़ा सुधार हुआ और पार्टी 4 सीट जीतने में सफल रही।
दो सीटों पर लगातार जीत रही
राजनांदगांव जिला की 6 में से 2 सीट ऐसी है, जिस पर कांग्रेस लगातार तीन चुनावों से जीत दर्ज कर रही है। ये 2 सीट एसटी आरक्षित मोहला-मानपुर और सामान्य सीट खुज्जी है। वहीं, डोंगरगांव सीट कांग्रेस लगातार दो बार से जीत रही। एससी आरक्षित डोंगरगढ़ सीट 2018 में पहली बार कांग्रेस जीती है। उससे पहले के तीनों चुनावों में पार्टी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। इन सीटों पर 2018 का परिणाम दोहराने के इरादे से ही कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे की सभा वहां आयोजित की है। खड़गे पार्टी का सबसे बड़ा दलित चेहरा हैं। ऐसे में डोंगरगढ़ विधानसभा के मतदाताओं में इसका असर होगा। डोंगरगढ़ में इस समय भुवनेश्वर बघेल विधायक हैं।
खड़गे के दौरा के साथ ही इस बात की भी चर्चा गर्म हो गई है कि क्या कांग्रेस इस बार रमन की राजनांदगांव सीट का किला भेद पाएगी। पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस ने डॉ. रमन के सामने अटल बिहारी बाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को मैदान में उतारा था। दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई। डॉ. रमन महज 17 हजार वोटों से ही जीत पाए थे।