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Karnataka Assembly Election Result 2023 कर्नाटक में कांग्रेस को 'संजीवनी' : कर्नाटक में अब कांग्रेस ही 'किंग', एकतरफा बहुमत, पिछले चुनाव से 56 सीटें ज्यादा, भाजपा की 40 सीटें घटी

Karnataka Assembly Election Result 2023 कर्नाटक में कांग्रेस को संजीवनी : कर्नाटक में अब कांग्रेस ही किंग, एकतरफा बहुमत, पिछले चुनाव से 56 सीटें ज्यादा, भाजपा की 40 सीटें घटी
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By Manoj Vyas

नई दिल्ली ब्यूरो. राजनीतिक परिदृश्य में दक्षिण भारत का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में कांग्रेस को नई 'संजीवनी' मिल गई है. यहां अब कांग्रेस ही किंग है, क्योंकि एकतरफा बहुमत के बाद अब किसी किंगमेकर की जरूरत नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के दर्जनों रोड-शो और सभाओं से कर्नाटक की जनता का मन नहीं बदला. चुनाव में बजरंग बली की एंट्री के बाद भाजपा के पक्ष में माहौल बनने की उम्मीद थी, लेकिन संजीवनी बूटी कांग्रेस को मिली. अब तक जो रुझान मिले हैं, उसके मुताबिक कांग्रेस 96 सीटें जीत चुकी है. इन्हें मिलाकर 136 सीटों पर आगे चल रही है. भाजपा ने 45 सीटें जीती हैं और मुश्किल से 64 सीटें आती दिख रही है. कांग्रेस को पिछले चुनाव के मुकाबले 56 सीटें ज्यादा मिल रही है, वहीं भाजपा की 40 सीटें घट गई है. जेडीएस को किंगमेकर माना जा रहा था, लेकिन 20 सीटों पर ही आगे है. जेडीएस की 17 सीटें घट गई हैं. चार सीटें अन्य ने जीती हैं.

इस जीत को संजीवनी बूटी इस लिहाज से भी कह सकते हैं, क्योंकि 224 सीटों वाले कर्नाटक में अपने दम पर जीत का असर साल के अंत में पांच राज्यों में होने वाले चुनाव पर दिखेगा. हालांकि इससे पहले हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की है, लेकिन कर्नाटक के मुकाबले काफी छोटा राज्य है. दूसरा उत्तर भारत और दक्षिण भारत में जीत के अलग मायने हैं. जिन पांच राज्यों में चुनाव है, उनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ काफी अहम हैं, क्योंकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की ही सरकार है, लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा ने जोड़-तोड़ कर कांग्रेस की सरकार छीन ली थी. यही स्थिति कर्नाटक में भी हुई थी, जब कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार को भाजपा ने तोड़कर अपनी सरकार बना ली थी. हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि कर्नाटक में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड रहा है. यही परंपरा राजस्थान के मतदाताओं ने बना ली है. ऐसे में राजस्थान कांग्रेस के लिए चुनौती होगी, क्योंकि वहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सबसे मजबूत सरकार है. हालांकि कुछ विधायकों के परफॉर्मेंस को लेकर लोगों में नाराजगी है. इसके लिए टिकट वितरण के दौरान कांग्रेस को बड़ी सर्जरी करनी पड़ सकती है.


छत्तीसगढ़ के सीएम ने कहा दक्षिण भारत भाजपा मुक्त

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के रुझान में कांग्रेस की एकतरफा बढ़त पर सीएम भूपेश बघेल ने तंज किया कि जो लोग कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते थे, आज भाजपा मुक्त दक्षिण भारत हो गया है. सीएम ने कहा, भाजपा को यह अहसास हो गया था कि वे कर्नाटक में हारने वाले हैं. यही कारण है कि मोदी जी के स्थान पर टीवी में नड्‌डा जी की फोटो लगने लगी है. भाजपा के लोग फिर मोदी के स्थान पर योगी-योगी करने लगे और बुलडोजर की बात करने लगे हैं. भाजपा के नेताओं से पहले अरुण साव जी को पता चल गया था. तभी बोले कि यहां उत्तरप्रदेश की तरह बुलडोजर चलाएंगे. उन्हें पता चल गया कि मोदी जी का जादू समाप्त हो गया है, तभी अरुण साव जी लगातार योगी-योगी करने लगे थे. इस जीत के लिए सीएम ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ कर्नाटक के नेता-कार्यकर्ताओं को बधाई दी है.


एग्जिट पोल में 5 में हंग असेंबली

कर्नाटक में हर पांच साल में सरकार बदलने का रिकॉर्ड है. हालांकि मतदान के बाद जो एग्जिट पोल आया, उसमें पांच ने हंग असेंबली की ओर इशारा किया था. यानी जेडीएस को किंगमेकर बताया था. हालांकि जानकारों का कहना कि एग्जिट पोल के आधार पर यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि किसकी सरकार बनेगी. चार एग्जिट पोल में कांग्रेस की बहुमत के साथ सरकार और एक ने भाजपा की सरकार बनाई थी.

जिसकी सरकार उसकी वापसी नहीं

कर्नाटक के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 38 सालों में कभी सरकार रिपीट नहीं हुई है. यानी जनता हर बार सत्ता की चाबी दूसरी पार्टी को सौंप देती है. हालांकि अपवाद के रूप में जनता पार्टी की सरकार ने 1985 में रामकृष्ण हेगड़े के नेतृत्व में सत्ता में रहते हुए वापसी की थी. 1999 से लेकर 2018 तक पांच चुनावों में यह रिकॉर्ड रहा कि दो बार ही किसी एक पार्टी को बहुमत मिला है. तीन बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बाहरी मदद से सरकार बनाई थी.

Manoj Vyas

मनोज व्यास : छत्तीसगढ़ में 18 साल से पत्रकारिता में सक्रिय, सभी प्रमुख संस्थाओं में दी सेवाएं, इसी दौरान हरिभूमि समाचार पत्र से जुड़े। इसके बाद दैनिक भास्कर में सिटी रिपोर्टर के रूप में जॉइन किया। नौकरी के साथ-साथ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय से एमएमसीजे की पढ़ाई पूरी की। न्यायधानी के बाद राजधानी का रुख किया। यहां फिर हरिभूमि से शुरुआत की और नेशनल लुक, पत्रिका, नवभारत, फिर दैनिक भास्कर होते हुए भविष्य की पत्रकारिता का हिस्सा बनने के लिए NPG.News में बतौर न्यूज एडिटर जॉइन किया। इस बीच नवभारत के भुवनेश्वर, ओडिशा एडिशन में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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