जानिए…क्यों इतना भाव खा रहा है ‘जीरा’, इसके रेट का क्या है चीनी कनेक्शन, कब कम होगा दाम
भारतीय बाजारों में पिछले कुछ समय से जीरा के दाम में तेेजी बनी हुई है। यह तेजी बाजार में जीरा की आवक कम होने की वजह से है। अब नई फसल आने के साथ ही दाम कम होने की उम्मीद की जा रही है।
रायपुर। दाल में तड़का लगाना हो, चावल फ्राइ करना हो या कोई सब्जी बनाना हो, चूल्हे पर चढ़े बर्तन में तेल के बाद सबसे पहले जीरा ही जाता है। एक तरह से कहें तो भारतीय खानों की जान है जीरा, लेकिन पिछले कुछ महीने से जीरा की कीमत आसामन पर चढ़ी हुई है। आम आदमी की भाषा में कहें तो जीरा की कीमतों में आग लगी है। रायपुर में चिल्हर बाजार में इस वक्त जीरा 650 रुपये से लेकर 750 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है। ऐसे में कई परिवारों की रसोई से जीरा गायब हो गया है।
किसी को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर अचानक जीरा का भाव इतना क्यों बढ़ गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अब कभी इसकी कीमत कम होगी। एनपीजी न्यूज ने इन सवालों के जवाब तलाशने का प्रयास किया। इसमें जीरा का भाव बढ़ने के देशी और विदेशी दो तरह के कारण निकलकर सामने आए हैं। यहां हम विस्तार से बताने का प्रयास करते हैं कि कौन- कौन से देशी और विदेशी कारण हैं।
इन कारणों से भारत में बढ़ा है जीरा का भाव
भारत में जीरा की कीमत बढ़ने के कुछ स्थानीय और कुछ अंतरराष्ट्रीय कारण हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण विदेश से बढ़ी मांग है। वहीं, जीरा उत्पादक दूसरे देशों में पिछले सीजन में उत्पादन कम हुआ था। सीरिया और अफगानिस्तान में भी जीरा की खेती होती है। दूसरा देश में जीरा की खेती का रकबा कम होना, तीसरा मौसम और चौथा मुनाफाखोरी शामिल हैं। आईए अब इन कारणों को विस्तार से समझते हैं।
जानिए...चीन के कारण कैसे देश में बढ़ रहा जीरा का भाव
भारत में जीरा की कीमत बढ़ने के प्रमुख कारणों में चीन भी शामिल है। कारोबारी सूत्रों के अनुसार इस वर्ष जनवरी- फरवरी से चीन से जीरा की मांग अत्यधिक बढ़ गई है। वहीं, मार्च- अप्रैल में बंगलादेश सहित अन्य मुस्लिम देशों से भी जीरा की मांग बढ़ गई थी। बताया जा रहा है कि इस वक्त प्रतिदिन 29 से 30 कंटेनर जीरा चीन भेजा जा रहा है। वहीं, पखवाड़ेभर पहले तक मुस्लिम देशों को भी सप्लाई बढ़ गई थी। सूत्रों के अनुसार बकरीद के बाद से विदेशी मांग में कुछ कमी आई है।
मुनाफखोरी ने भी बढ़ी कीमतें
जीरा की विदेश में बढ़ी मांग के कारण मुनाफाखोर भी सक्रिय हो गए हैं। इसके कारण भारतीय बाजारों में मांग की तुलना में पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ रहा है। कारोबारी सूत्रों के अनुसार देश के सबसे बड़े उंझा मंडी (गुजरात) में पहले 30 से 35 हजार बोरा प्रतिदिन जीरा की आवक थी, जो घटकर सात से आठ हजार बोरी रह गई है। व्यापारियों के अनुसार बड़े किसान ने भी जीरा की आपूर्ति रोक रखी है। इसकी वजह से भी बाजार प्रभावित हो रहा है।
जीरा का रकबा घटा, पड़ी मौसम की मार
देश में जीरा की खेती मुख्य रुप से गुजरात और राजस्थान में होती है, लेकिन दोनों ही राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में जीरा की खेती का रकबा कम हुआ है। इन राज्यों में पिछले एक दशक में जीरा की खेती के रकबा में करीब चार लाख हेक्टेयर से अधिक की कमी आई है। इधर, मौजूदा खेती पर मौसम की भर पड़ी है। समद्री चक्रवात और ओला वृष्ठि से जीरा की फसल प्रभावित होगी।
जानिए कब कम होगी कीमतें
विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय बाजारों में अब जीरा की कीमतों में गिरावट का दौर जल्द ही शुरू हो जाएगा। चीन सहित अन्य विदेशी राज्यों से अब मांग घटने लगी है। इस बीच जीरा की नई फसल बाजार में आनी शुरू हो गई है। कारोबारी सूत्रों के अनुसार सीरिया और अफगानिस्तान में इस वर्ष जीरा की अच्छी पैदावार हुई है। वहां का जीरा भी बाजार में आने लगा है। इन सभी कारणों से उम्मीद की जा रही है कि जुलाई में जीरा की कीमतें धीरे-धीरे कम होने लगेगी।