गजब है...IPS कभी- कभार वर्दी पहनते हैं तो भत्ता हजारों में और सिपाहियों और दरोगा को नाममात्र का...
रायपुर। राज्य में कार्यरत आरक्षक से एडिशनल एसपी रैंक तक के पुलिस के अधिकारी-कर्मचारियों को नाम मात्र का वर्दी भत्ता मिल रहा हैं। तो वही आईपीएस को छप्पर फाड़ के वर्दी भत्ता दिया जा रहा। सबसे अनुशासित माने जाने वाले वर्दी धारी विभाग में वर्दी के लिए दिया जाने वाले में भत्तों आईपीएस व अन्य पुलिस कर्मियों के भत्तों में जमीन आसमान का अंतर है। इसकी जानकारी आज विधानसभा में विधायक सत्यनारायण शर्मा के द्वारा लगाए गए सवाल के जवाब से मिली।
आज विधानसभा सत्र का तीसरा दिन था। जिसमे विधायक सत्यनारायण शर्मा ने गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से पुलिस कर्मियों को मिलने वाले वाहन,भोजन, स्टेशनरी सहित अन्य भत्तों के बारे में प्रश्न पूछा था। जिसके जवाब में मंत्री ने बताया हैं कि प्रदेश में आरक्षक से निरीक्षक तक के पुलिसकर्मियों को पौष्टिक आहार खाने के लिए 100 रुपये प्रतिमाह भत्ता मिल रहा है। वही बी-2 श्रेणी के नगरों के लिए आरक्षक से निरीक्षक तक के पुलिसकर्मियों को 100 रुपये प्रतिमाह वाहन भत्ता दिया जा रहा है। जिसे निकट भविष्य में बढ़ाने की भी कोई योजना नही है।
इसके अतिरिक्त वर्दी भत्ता के बारे में गृहमंत्री ने बताया हैं कि आरक्षक व प्रधानआरक्षकों को वर्दी भत्ता की जगह वर्दी ही प्रदान की जा रही हैं। जबकि सहायक उपनिरीक्षक से निरीक्षक तक के पुलिसकर्मियों को तीन वर्ष में एक बार वर्दी नवीनीकरण अनुदान के नाम पर 800 व राजपत्रित अधिकारियों को तीन वर्ष में एक बार 1500 वर्दी नवीनीकरण अनुदान मिलता हैं।
जबकि आईपीएस की बात की जाए तो प्रदेश में कार्यरत आईपीएस को प्रतिवर्ष के जुलाई माह में 20 हजार रुपये वर्दी नवीनीकरण अनुदान मिलता हैं। वही गृहमंत्री ने आगे बताया कि पुलिसकर्मियों को किसी भी किस्म का भोजन भत्ता या स्टेशनरी के लिए कोई भी राशि नही दी जाती। नगर क्षतिपूर्ति भत्ता के नाम पर दुर्ग भिलाई में पदस्थ पुलिसकर्मियों को 75 रुपये जबकी कोरबा व बिलासपुर में पदस्थ पुलिसकर्मियों को 50 रुपये मिलता हैं।
नक्सल क्षेत्र में पदस्थ आरक्षक से निरीक्षक तक के पुलिसकर्मियों को दो हजार रुपये राशन भते के रूप में मिलते हैं। जबकि एसटीएफ में नक्सल एरिया में पदस्थ पुलिसकर्मियों को 2200 रूपये का भत्ता मिलता हैं। वर्दी के मामले में अफसरों व कर्मियों में भत्तों में अंतर तो हैं। पर नक्सल भते में अंतर नही है। बस्तर के नक्सल क्षेत्र में पदस्थ पुलिस कर्मचारियों को मूल वेतन के हिसाब से समान भते प्रदान किये जाते है। सामान्य, संवेदनशील, अतिसंवेदनशील क्षेत्र के हिसाब से 15, 35 व 50 प्रतिशत भत्ता प्रदान किया जाता है।
मुख्यमंत्री व राज्यपाल की सुरक्षा में तैनात आरक्षक से डीएसपी स्तर के पुलिस अफसरों को मूल वेतन का 50 प्रतिशत विशेष जोखिम भत्ता प्रदान किया जाता हैं।