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क्या स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआई में नहीं है तालमेल, दोनों विभाग से निकले आदेश एक दूसरे का विरोधाभासी!

क्या स्कूल शिक्षा विभाग और डीपीआई में नहीं है तालमेल, दोनों विभाग से निकले आदेश एक दूसरे का विरोधाभासी!
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By NPG News

रायपुर। प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग को प्रत्यक्ष तौर पर स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा संचालित किया जाता है लेकिन दोनों विभागों द्वारा जो आदेश निकाले जाते हैं उसमें लगातार विरोधाभास देखने को मिलता है। फिर चाहे शिक्षकों की पोस्टिंग का मामला हो या फिर अन्य, अब मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वामी आत्मानंद का ही मामला ले लीजिए जहां पर प्रतिनियुक्ति के लिए नियम बनाए गए इसके संबंध में 26 मार्च 2022 को स्कूल शिक्षा विभाग से यह आदेश जारी हुआ की स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम स्कूलों में हर हाल में शिक्षक भी उत्कृष्ट होने चाहिए इसलिए यह अनिवार्यता नहीं है की पूर्व से संचालित स्कूलों में कार्यरत शिक्षक को ही उस स्कूल में रखा जाए। चूंकि पहले से संचालित हिंदी माध्यम स्कूलों को ही उत्कृष्ट हिंदी माध्यम स्कूल बनाया जा रहा है इसलिए विभाग ने इस बात को स्पष्ट किया और यह कहा कि यदि वहां कार्यरत शिक्षक उत्कृष्ट नहीं है तो उस स्थिति में जिले में कार्यरत अन्य उत्कृष्ट शिक्षकों को वहां लाया जा सकता है।


स्वाभाविक बात है की जिले में कार्यरत अन्य शिक्षक उस स्कूल में कार्यरत शिक्षकों से बेहतर हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी पदस्थापना वहां की जाए और यह सोच कहीं न कहीं सही भी थी लेकिन ट्रांसफर और पोस्टिंग को ही मुख्य मानने वाले और इसे लेकर विवादों में घिरे रहने वाले लोक शिक्षण संचालनालय ने ने इस नियम को ही बदल दिया। वह भी स्कूल शिक्षा विभाग को बिना विश्वास में लिए, ऐसा इसलिए क्योंकि यदि आदेश में संशोधन होना था तो फिर यह आदेश स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से जारी होना था लेकिन डीपीआई ने अपनी तरफ से नया आदेश जारी कर दिया। जिसके तहत संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने 30 जून 2022 को समस्त संभागीय संयुक्त संचालक को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि


"*स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम विद्यालयों में शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ की व्यवस्था यथासंभव उसी विद्यालय में पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के द्वारा की जानी है । कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों के द्वारा उक्त शालाओं के व्याख्याता/ शिक्षक के द्वारा प्रतिनियुक्ति पर कार्य करने पर असहमति दी गई है इन परिस्थितियों में उनका स्थानांतरण प्रस्तावित किया गया है । अतः आप अपने स्तर पर ऐसे असहमति देने वाले व्याख्याताओं से स्वयं चर्चा कर सहमत कर्मचारियों के प्रतिनियुक्ति प्रस्ताव उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें "

इसका सीधा मतलब है कि डीपीआई ने उन शिक्षकों को भी उसी स्कूल में रखने की जिम्मेदारी ले ली है जो किसी कारणवश उस स्कूल में नहीं रहना चाहते हैं , स्वाभाविक बात है कि जेडी के दबाव में कोई कर्मचारी इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि वह विद्यालय में नहीं रहना चाहता ।

पर बड़ा सवाल यह है कि इन सब के पीछे मुख्यमंत्री का जो उद्देश्य है वह पूरी तरह धराशाई हो जाएगा इसकी ओर विभाग का ध्यान ही नहीं है , जिस पूरे मिशन की शुरुआत ही उत्कृष्टता को लेकर हुई है उसी में इस प्रकार का घालमेल कर देना यह साफ बताता है स्कूल शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय में तालमेल का जबरदस्त अभाव है ।

अपात्र किए गए शिक्षक भी अब आ जाएंगे उत्कृष्ट स्कूल में

राजनांदगांव और बिलासपुर जिले में तो कलेक्टर द्वारा बनाई गई समिति ने कई शिक्षकों को उन स्कूलों के लायक नहीं पाया था और इसके चलते इंटरव्यू भी आयोजित किए गए थे लेकिन अब लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी किए गए इस आदेश के बाद उन तमाम शिक्षकों की बल्ले-बल्ले हो गई है जिन्हें चयन समिति ने बाहर कर दिया था , कहीं उन्हीं शिक्षकों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से तो यह पूरा खेल नहीं खेला गया है । चूंकि मामला उत्कृष्टता का था तो फिर किसी भी हाल में समझौता नहीं होना था और जब विषय विशेषज्ञों और कलेक्टर द्वारा भेजे गए अधिकारियों के समक्ष उस स्कूल में कार्यरत शिक्षक उत्कृष्ट विद्यालय की योग्य नहीं पाए गए थे तो अब कैसे योग्य हो जाएंगे , बड़ा सवाल यह भी है ।

ट्रांसफर और प्रमोशन में भी जमकर किया गया है खेल

इससे पहले नई शिक्षकों की भर्ती और पुराने शिक्षकों के प्रमोशन के समय भी स्कूल शिक्षा सचिव ने साफ तौर पर कहा था कि सबसे पहले पोस्टिंग एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूलों में होना है और किसी भी स्थिति में जिन स्कूलों में पद नहीं है वहां पर नियुक्ति नहीं की जानी है इसके बावजूद धड़ल्ले से जिन स्कूलों में पहले से पर्याप्त मात्रा में कार्यरत शिक्षक थे वही पदस्थापना दी गई , किसी भी स्थिति में आदेश में संशोधन नहीं किया जाना है कभी निर्देश था उसे भी धत्ता बताते हुए जमकर संशोधन किए गए हैं यहां तक कि आरटीआई एक्टिविस्ट जब इसकी जानकारी मांग रहे हैं तो जानकारी तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है इतना अधिक घालमेल किया गया है । आज भी हजारों ऐसे स्कूल हैं जो एकल शिक्षक की और शिक्षक विहीन है और इतनी बड़ी तादाद में पोस्टिंग और रेगुलर शिक्षकों का प्रमोशन होने के बाद भी वह स्कूल शिक्षकों के लिए तरस रहे हैं क्योंकि पोस्टिंग के नाम पर जमकर खेल हुआ है और अब एक बार फिर उसी प्रकार के खेल की तैयारी है।

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