संजय के. दीक्षित
तरकश, 19 दिसंबर 2021
2006 बैच के आईपीएस माइनथुंगो तुंगोए 2013 में डेपुटेशन पर गृह राज्य नागालैंड गए थे। 2018 में डेपुटेशन खतम हो गया। मगर इसके बाद उनकी कोई खबर नहीं है। गृह विभाग उनको दो नोटिस भेज चुका है। अभी तक कोई रिप्लाई नहीं...आखिर वे हैं कहां...कोई बता पाने की स्थिति में नहीं है। सुना है, अब उनको नौकरी से कंपलसरी रिटायर करने भारत सरकार को अनुशंसा करने पर विचार किया जा रहा है। माइनथुंगो अगर रिटायर हुए तो गायब रहने के आधार पर नौकरी गंवाने वाले वे पहले आईपीएस होंगे।
एक थे पंकज द्विवेदी
अजीत जोगी सरकार के दौरान आंध्रप्रदेश कैडर के आईएएस पंकज द्विवेदी छत्तीसगढ़ आए थे। रमन सिंह की सरकार आने के बाद भी द्विवेदी को अच्छी पोस्टिंग मिलती रही। जीएडी से लेकर एपीसी तक रहे। बिलासपुर के कोटा में पंकज का ससुराल है। वे कांग्रेस के दिग्गत नेता मथुरा प्रसाद दुबे के दामाद हैं। कोटा विधानसभा सीट से उस जमाने में लगातार पांच चुनाव जीतने की वजह से उन्हें विधानपुरूष कहा जाता था। उनकी बेटी नीरजा पंकज से ब्याही थीं। बहरहाल, डेपुटेशन पूरा होने के तीन बाद भी पंकज जब आंध्र लौटने के लिए तैयार नहीं हुए तो आंध्र सरकार ने आईएएस लिस्ट में उन्हें एबसेंट कर दिया। बदनामी को देखते पंकज आठ साल बाद मन मारकर आंध्र लौटे।
तेज घोड़ों पर दांव
सरकार का तीन साल पूरा हो गया है। बचा डेढ़ साल। डेढ़ साल इसलिए, क्योंकि आखिरी के छह महीना कोई काम होता नहीं। सो, सरकार का जो लक्ष्य है, उसके लिए वक्त अब कम रह गया है। लिहाजा, जिलों में अब और तेज दौड़ने वाले घोड़ों पर दांव लगाने की तैयारी की जा रही है। सरकार को कई बड़े जिलों से शिकायतें मिल रही हैं....कलेक्टर काफी स्लो हैं। पता चला है, सरकार परफारमेंस के आधार पर ऐसे कलेक्टरों की लिस्टिंग करा रही है, जिनके जिलों में योजनाओं की रफ्तार ढिली है। सुनने में आ रहा...लूज कलेक्टरों के साथ अबकी कोई मरौव्वत नहीं...बिना किसी किन्तु-परंतु के साथ उन्हें बदला जाएगा। बड़े जिलों में दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, जगदलपुर जैसे बड़े जिलों को लेकर अटकलें गर्म है....इनमें से कुछ को हटाए जाने की तो कुछ को और अहम जिलों में अपग्रेड करने की खबर है। इसके साथ छोटे जिलों के आधा दर्जन से अधिक कलेक्टर्स भी नप सकते हैं।
एसपी का पट्टा
कलेक्टरों के साथ-साथ कुछ पुलिस अधीक्षक भी बदले जाएंगे। हालांकि, एसपी की लिस्ट उतनी लंबी नहीं होगी। नारायणपुर और बलौदा बाजार के एसपी पिछले दो महीने में बदले गए हैं। उससे पहिले भी आधा दर्जन से अधिक एसपी इधर-से-उधर हुए थे। बहरहाल, जब भी एसपी की लिस्ट निकलती है, आईपीएस के व्हाट्सएप ग्रुप में डॉ0 अभिषेक पल्लव को लेकर चुटकी षुरू हो जाती है। बैचमेंट बोलते हैं, अभिषेक तू दंतेवाड़ा का ही अब मूल निवासी बन जा...पट्टा लिखवा ले...और भी बहुत कुछ...। जाहिर है, अभिषेक के नाम किसी एक जिले में सबसे लंबे समय तक एसपी रहने का रिकार्ड दर्ज हो गया है। वे पहले एसपी हैं, जिनकी पोस्टिंग भाजपा सरकार में हुई और अभी तक क्रीज पर डटे हुए हैं। याने करीब चार साल से। बताते हैं, दंतेवाड़ा में अभिषेक का कोई विकल्प नहीं मिल रहा। उन्होंने दंतेवाड़ा में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस का मजबूत नेटवर्क बना दिया है। इसलिए, अभिषेक को जब भी चेंज करने की बात आती है तो सीनियर पुलिस अधिकारी आगे-पीछे होने लगते हैं।
कलेक्टरों को श्रेय या...
धान उठाव और मिलिंग...अबकी बड़ा स्मूथली चल रहा है...कहीं कोई विवाद नहीं। संकट पैदा करने वाले राईस मिलर आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। तो क्या इसका क्रेडिट कलेक्टरों को दिया जाए...जो कलेक्टर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहे...उन्हें भी पता है कि इसमें पूरी भूमिका मुख्यमंत्री की है। सीएम ने इस बार ऐसा कुछ किया कि राईस मिलर गदगद हो गए। दो बार हाउस में ससम्मान बुलाकर राईस मिलरों को चाय-नाश्ता कराया, उपर से मिलिंग चार्ज 40 रुपए से बढ़ाकर 120। याने तीन गुना। मिलिंग चार्ज 93 में 40 रुपए तय हुआ था, 28 सालों तक यथावत रहा। अब यकबयक 140 रुपए हो जाने से राईस मिलरों की खुशी समझी जा सकती है। फिर मार्कफेड से मिलिंग के लिए धान उठाने मिलरों को प्रति बोरा 2200 रुपए डिपाजिट करना होता था। इसे अब 1500 कर दिया गया। बोरे का रेट भी 18 से 25। इसके बाद तो राईस मिलर बम-बम हैं...। सीएम के अभिनंदन समारोह में राईस मिलरों ने कहा, व्यापारियों की पार्टी मानी जाने वाली भाजपा ने जो नहीं किया, वह कांग्रेस सरकार ने कर दिया। जाहिर है, राईस मिलरों पर राहतों की झड़ी लगाकर सीएम ने व्यापारी समुदाय को बड़ा मैसेज दिया है।
आईएएस, आईपीएस कांक्लेव
न्यू ईयर में तीन दिन का आईएएस कांक्लेव होने जा रहा तो दो दिन का आईपीएस कांक्लेव होगा। इसमें हिस्सा लेने पूरे प्रदेश से आईएएस, आईपीएस परिवार के साथ राजधानी रायपुऱ पहुंचेगे। अभी तक की खबर के अनुसार 7 से 9 जनवरी तक आईएएस और 15 और 16 को आईपीएस कांक्लेव होगा। आईएएस, आईपीएस एसोसियेशन द्वारा इसकी तैयारी शुरू हो गई है। काफी सालों से शांत आईपीएस एसोसियेशन भी अब एक्टिव हो गया है। आईएएस और आईएफएस का सीएम के साथ दिवाली मिलन के बाद आईपीएस में निराशा थी। मगर अब आईपीएस एसोसियेशन भी आगे बढ़ा है।
एक-एक विकेट
इस महीने पुलिस में एक बड़े अफसर रिटायर होंगे तो एक आईएएस से भी। 88 बैच के आईपीएस आरके विज इस महीने 31 को रिटायर हो जाएंगे। 89 बैच के आईपीएस अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाने की वजह से सरकार ने हाल ही में विज को पीएचक्यू से हटाकर संचालक लोक अभियोजन बनाया है। बस्तर आईजी से रायपुर लौटने के बाद बतौर आईजी, एडीजी और स्पेशल डीजी उन्होंने पीएचक्यू में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली। पुलिस महकमे के वे एक मजबूत स्तंभ माने जाते थे। डीजी बनना उनके माथे पर नहीं लिखा था, सो नहीं हुआ। अब उन्हें लोक अभियोजन से ही गुमनामी में विदा होना पड़ेगा। आईएएस में सरगुजा कमिश्नर जे. किंडो इसी महीने रिटायर होने जा रही हैं। सरकार को उनकी जगह कमिश्नर पोस्ट करना होगा। सरकार के पास सिकरेट्री बहुत हो गए हैं, इसलिए कमिश्नर के च्वाइस में अब कोई दिक्कत नहीं। कमिश्नर में बाकी कुछ हो या न हो, गाड़ी-घोड़ा, बंगला मिल जाता है। बाकी हाथ-पैर चलाने वाला हो तब तो कुछ भी संभव है।
अजब सिस्टम, गजब अफसर
राजस्व देने वाले सरकार के अहम रजिस्ट्री विभाग में कुछ भी हो रहा है। एक प्रदेश में दो-दो मापदंड। इसका एक मजमूं है यह वाकया....जांजगीर की महिला डिप्टी रजिस्ट्रार ने लाफार्ज सीमेंट के माईनिंग लीज को सिर्फ एक हजार शुल्क लेकर नुवोको के हवाले कर दिया तो विभाग के शीर्ष अफसर उसे सुधारनामा मान कर आंख मूंद लिए। और अब देखिए....बलौदा बाजार के रजिस्ट्री अधिकारी ने एक हजार के स्टांप में लाफार्ज सीमेंट कंपनी की माईनिंग लीज को नुवोको को ट्रांसफर करने से इंकार कर दिया। अफसर का कहना था, ये सुधारनामा नहीं, सेल है इसकी रजिस्ट्री होनी चाहिए। कंपनी इसके खिलाफ राजस्व बोर्ड गई। राजस्व बोर्ड ने इसे सुधारनामा करार दिया। तो इसके खिलाफ विभाग के अधिकारी हाईकोर्ट जा रहे हैं। याने एक जगह सुधारनामा और दूसरी जगह हाईकोर्ट में चैलेंज। पंजीयन विभाग के अफसरों की महिमा अपरंपार है। दरअसल, राजस्व बोर्ड भी सुधारनामा नहीं मानता। विभाग की ओर से न तो पूरा पेपर पेश हुआ और न ही कोई अफसर। बहरहाल, खेल बड़ा है। इसकी शुरूआत हुई जांजगीर से। माईनिंग लीज की अगर विधिवत रजिस्ट्री हुई होती तो सरकार के खजाने में 10 करोड़ से अधिक राशि आती। लेकिन, मात्र एक हजार लेकर कपंनी को उपकृत कर दिया गया। अब कंपनी पर ये उपकार ऐसे तो नहीं किया गया होगा।
मंत्रिमंडल में सर्जरी
तीन साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इशारे में संकेत दिया कि मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया जा सकता है। बषर्ते उन्हें हाईकमान से अनुमति मिले। अब सवाल उठता है हाईकमान से अगर हरी झंडी मिले तो कितने मंत्रियों की छुट्टी होगी? बिलासपुर, सरगुजा और दुर्ग संभाग से एक-एक मंत्री की मुश्किलें बढ़ सकती है। बस्तर में महेंद्र कर्मा के नाम का फायदा उठाने पार्टी देवती कर्मा के नाम पर भी विचार कर रही है। उधर, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम भी मंत्री बनने के लिए उत्सुक बताए जाते हैं। कुल मिलाकर मामला पेचीदा होगा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. सरकार के निर्देश के बाद भी कलेक्टरों की टीएल बैठकों में पुलिस अधीक्षक क्यों नहीं जा रहे?
2. स्पीकर चरणदास महंत ने चुनावी राजनीति से सन्यास लेकर राज्यसभा में जाने की इच्छा व्यक्त की है, ऐसा क्यों?