INDIA: जानिए क्यों... छत्तीसगढ़ में खत्म हो गई I.N.D.I.A.की संभावना, इसमें AAP की क्या है भूमिका और किसे होगा लाभ
INDIA: भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन के खिलाफ विपक्ष ने इंडिया गठबंधन बनाया है। इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों से एक सीट पर एक ही प्रत्याशी खड़ा करने की रणनीति बनाई है ताकि वोट न बंटे, लेकिन छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इंंडिया गठबंधन की संभावना नहीं दिख रही है।
INDIA: रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में I.N.D.I.A. गठबंधन की संभावना समाप्त हो गई है। यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी (आप) ने छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला कर लिया है। इसके साथ ही पार्टी ने 10 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी है। छत्तीसगढ़ में सक्रिय राजनीतिक दलों में कांग्रेस, आप के अलावा वामपंथी पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। वामपंथी पार्टियां राज्य की कुछ चुनिंदा सीटों पर ही प्रत्याशी खड़ा करती हैं। इन तीनों पार्टियों के बीच विधानसभा का चुनाव संयुक्त रुप से लड़ने को लेकर अब तक किसी भी तरह की चर्चा नहीं हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में पहले से ही इंडिया गठबंधन की संभावना नहीं थी। यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने रायपुर दौरे के दौरान प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला किया था। इसको लेकर मीडिया ने सीएम भूपेश से प्रश्न किया था। इस पर सीएम भूपेश ने दो टूक कहा था कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए है। विधानसभा चुनाव में किसी तरह के गठबंधन का निर्देश हमें पार्टी आलाकमान से नहीं मिला है। अब सवाल यह उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के विधानसभा का चुनाव अलग-अलग लड़ने से राजनीतिक रुप से किसे फायदा होगा।
जानिए...छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं है इंडिया गठबंधन की संभावना
छत्तीसगढ़ में विधानसभा या लोकसभा चुनाव में दोनों राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस और भाजपा किसी छोटी या क्षेत्रीय पार्टी से गठबंधन करे इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है। वजह यह है कि चुनाव में लगभग 80 प्रतिशत वोट इन्हीं दोनों पार्टियों के हिस्से में जाता है। इन दोनों के अलावा तीसरी राष्ट्रीय पार्टी बसपा का भी राज्य के कुछ हिस्सों में आधार है। छत्तीसगढ़ बनने से लेकर 2013 के चुनाव के पहले तक इन तीनों पार्टियों के अलावा किसी दूसरी पार्टी ने चुनाव नहीं जीता था। 2018 में पूर्व सीएम जोगी की पार्टी ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
2003 के चुनाव में कुल मतदान में कांग्रेस का हिस्सा 36.71 और भाजपा का हिस्सा 39.26 प्रतिशत था। 2008 में कांग्रेस का वोट शेयर 38.63 और भाजपा 40.33 प्रतिशत था। 2013 में कांग्रेस को 40.29 प्रतिशत और भाजपा को 41.04 प्रतिशत वोट मिला था। इसी तरह 2018 के चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 43.21 और भाजपा 33 प्रतिशत था।
इंडिया वालों के अलग-अलग चुनाव लड़ने का किसे होगा फायदा
इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों के अलग-अलग विधानसभा चुनाव लड़ने से किसे फायदा होगा, इस प्रश्न पर राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि स्वभाविक रुप से भाजपा को ज्यादा फायदा होगा। आप और वामपंथी पार्टियां कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध मारेगीं। ऐसे में अगर ये दोनों पार्टी प्रत्याशी खड़ा नहीं करते तो इनके समर्थकों का वोट कांग्रेस के खाते में जाता, लेकिन अब यह वोट बंट जाएगा। वैसे भी छत्तीसगढ़ में ज्यादातर पार्टियां वोटकटवा ही मानी जाती हैं।
पिछले चुनाव में हुआ था बसपा और जकांछ का गठबंधन
2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा और पूर्व सीएम जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बीच गठबंधन हुआ था। दोनों पार्टियां लगभग 10 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसमें जकांछ 5 और बसपा के खाते में 2 सीट गई थी। इस चुनाव में बसपा ने पहले ही अलग चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। पार्टी की तरफ से 9 प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी गई है।
राज्य में इंडिया गठबंधन से ज्यादा क्षेत्रीय पार्टियों का वोट शेयर
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन में शामिल दलों का कुल वोट शेयर एक प्रतिशत भी नहीं है। इससे ज्यादा वोट क्षेत्रीय पार्टियों के खाते में जाता है। 2018 के चुनाव में आप का वोट शेयर 0.9 प्रतिशत था। एनसीपी का 0.2 और सीपीआई का 0.3 प्रतिशत। इसके विपरीत क्षेत्रीय पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अकेले के दम पर डेढ प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल किया था।
जानिए क्यों बना है इंडिया गठबंधन
भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए (National Democratic Alliance) का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों ने राष्ट्रीय स्तर पर यह नया गठबंधन बना लिया है। नए गठबंधन को ‘INDIA’ नाम दिया है। इसमें I का अर्थ इंडिया है। N से नेशनल और D से डेमोक्रेटिक। वहीं I से इंक्लूसिव और A से अलायंस हैं। इस तरह इस नए गठबंधन का पूरा नाम इंडिया नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस (India National Democratic Inclusive Alliance) हैं। इसे हिंदी में भारत राष्ट्रीय जनतांत्रिक समावेशी गठबंधन कहा जाएगा। यह गठबंधन मुख्य रुप से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बना है।